जुबिली पोस्ट ब्यूरो
नई दिल्ली। हमारे देश में शराब के विज्ञापन पर रोक है, लेकिन शराब पर नहीं। यही वजह है कि टेलीविजन, अखबार और पत्रिकाओं आदि में इसके पोस्टर या वीडियो प्रचार नहीं आते हैं। यहां तक कि टेलीविजन के धारावाहिकों और फिल्मों में धूम्रपान और शराब के सेवन के दौरान वैधानिक चेतावनी भी दिखाई जाती है।
ये भी पढ़े: पूर्व राष्ट्रपति ने कहा- GST लागू होने के बाद बढ़े कॉरपोरेट घोटाले
लेकिन आपको यह जानकर हैरानी होगी कि इतनी पाबंदियों के बाद भी देश में शराब की खपत साल-दर-साल बढ़ती जा रही है और पियकड़ों की तादाद दिनों-दिन बढ़ती जा रहा है।
पाबंदियों के बाद भी शराब की खपत साल-दर-साल बढ़ी है, मदिरालय और रेस्ट्रो-बार की संख्या भी देश में बढ़ रही है।
यहां तक कि बार और रेस्ट्रो- बार की संख्या देश में बढ़ रही है। शराब पीने वालों के पास अब इतने ज्यादा विकल्प हैं कि उन्हें मेन्यू में से अपनी पसंद को चुनना पड़ता है। पिछले दो दशक में बार के मेन्यू में पृष्ठों की संख्या 50 तक पहुंच गई है। इतना ही नहीं बार और रेस्ट्रो-बार में आने वाले लोगों की संख्या में तेजी से इजाफा हुआ है।
ये भी पढ़े: ‘सम्मान’ के इंतजार में लाखों किसान
शराब खरीदने वालों की उम्र कम (20 वर्ष से कम उम्र के खरीददार) होती जा रही है और खपत बढ़ती जा रही है। महिलाओं की भागीदारी भी तेजी से बढ़ी है, जिससे शराबियों की जमात में इजाफा हुआ है।
देश की अर्थव्यवस्था भले ही चौपट होती जा रही है लेकिन शराब का व्यापार और बाजार तेजी से बढ़ रहा है। शराब खरीदने वालों में 20 से 29 वर्ष के आयु वर्ग के लोगों की संख्या बढ़ी है। शराब के विभिन्न ब्रांड की कीमतें बढ़ने के बाद भी न तो उनकी मांग कम हुई है और न ही खपत घटी है। दुनिया में कई देश ऐसे हैं जहां खूब शराब पी जाती है।
ये भी पढ़े: दूध-घी की गंगा बहाने चले थे, यहां नमक-रोटी खाने को मजबूर बच्चे
बाजार शोध संस्था यूरोमेंटल इंटरनेशनल की रिपोर्ट के अनुसार, पिछले 10 वर्षों में भारत में शराब उद्योग कारोबार दोगुना से अधिक बढ़ा है। 20 से 25 वर्षों तक के युवा व्हिस्की और वोदका जैसे अलकोहल का सेवन अधिक कर रहे हैं। बीयर की डिमांड ऐसी हो चुकी है मानो कोल्ड ड्रिंक। पिछले 10 वर्षों के आंकड़ों के अनुसार, बीयर और वाइन की खपत सबसे अधिक बढ़ी है।
शराब की खपत
भारत में शराब की खपत 2008 में 16,098 लाख लीटर से बढ़कर 2018 में 27,382 लाख लीटर हो गई है। इसमें बीयर और वाइन के आंकड़े शामिल नहीं हैं।
बीयर की खपत
साल 2008 में बीयर की खपत 10,000 लाख लीटर थी, जो 2018 में 24,250 लाख लीटर हो गई है। मतलब एक दशक में बीयर की खपत 142 फीसदी बढ़ी है।
वाइन की खपत
2008 में जहां भारत में 113 लाख लीटर वाइन की खपत होती थी, वो 2018 में यह बढ़कर 307 लाख लीटर हो गई। बीते 10 सालों में वाइन की खपत में 172 फीसदी की बढ़त हुई है।
वोदका की खपत
भारतीय युवाओं के बीच वोदका काफी प्रसिद्ध है। यही कारण है कि इसकी खपत में 122 फीसदी का इजाफा हुआ है। साल 2008 में भारत में 362 लाख लीटर वोदका की खपत हुई थी, जबकि 2018 में यह आंकड़ा 803 लाख लीटर हो गया। यानी एक दशक में वोदका की खपत में 122 फीसदी का इजाफा हुआ है।
ब्रांडी की खपत
बीयर, वाइन और वोदका के मुकाबले ब्रांडी की खपत में इजाफा अन्य के मुकाबले कम हुआ है। 2008 में जहां 2,930 लाख लीटर ब्रांडी की खपत हुई थी, वहीं 2018 में 5,650 लाख लीटर की खपत हुई है। इसमें 92 फीसदी का इजाफा हुआ है।
व्हिस्की की खपत
भारत में व्हिस्की काफी पसंद की जाती है लेकिन पिछले 10 सालों के आंकड़ों पर जाएं तो बीयर, वाइन, वोदका और ब्रांडी की खपत व्हिस्की से ज्यादा बढ़ी है। 2008 में भारत में 9,190 लाख लीटर व्हिस्की की खपत हुई थी, जो 2018 में 16,790 लाख लीटर हुई। एक दशक में इसमें 83 फीसदी की वृद्धि हुई है।
रम की खपत
रम की खपत की बात करें, तो इसमें ज्यादा अंतर नहीं आया है। एक दशक में रम की खपत 17 फीसदी बढ़ी है। 2008 में जहां 3,310 लीटर रम की खपत हुई थी, वहीं 2018 में रम की खपत 3,880 लीटर पर पहुंची।
यूपी आबकारी का राजस्व टारगेट
- 2008 – 12,000 करोड़
- 2016 – 19,200 करोड़
- 2017 – 22,000 करोड़
- 2018 – 49,000 करोड़
पहले भी शराब की बिक्री बड़े पैमाने होती थी, लेकिन व्यवस्था हाईटेक नहीं थी। अब ऑनलाइन होने के बाद ये आंकड़े तुरंत पता चल जाते है। कुछ बढ़ावा देने में सरकारों का भी हाथ है। अब जब ये फैशन में शुमार हो चुका है इसलिए इसकी बिक्री में लगातार बढ़ोतरी हो रही है।
कन्हैया लाल मौर्या, यूपी शराब एसोसिएशन