- सालाना 20 फीसदी की दर से बढ़ रहा देश में ई-रिक्शा का बाजार
- यूपी की पहली इलेक्ट्रिक व्हीकल सिटी में फैक्ट्री लगाने को इच्छुक 50 उद्यमी
लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार की इलेक्ट्रिक वाहन मैन्युफैक्चरिंग नीति ने दिल्ली, हरियाणा और राजस्थान में ई-रिक्शा बना रहे कारोबारियों को लुभाया है। जिसके चलते उक्त राज्यों में ई-रिक्शा बनाकर उन्हें देश भर में बेचने वाले 50 बड़े कारोबारियों ने अब यूपी में अपनी फैक्ट्री लगाने का फैसला किया है।
यमुना एक्सप्रेस औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यीडा) ने इन कारोबारियों को सेक्टर-28 में 100 एकड़ भूमि मुहैया पर सहमति जता दी है। सेक्टर-28 में इस भूमि को इलेक्ट्रिक व्हीकल सिटी (ईवी सिटी) के रूप में विकसित किया जाएगा।
इस ईवी सिटी में जल्दी ही ई-रिक्शा बनाने वाली कंपनी तथा उनसे जुडी बैटरी एवं मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों को भूमि आवंटित की जाएगी, ताकि जल्द से जल्द यूपी पहली नियोजित ईवी सिटी मेंई-रिक्शा का निर्माण शुरू हो।
अधिकारियों का दावा है कि जल्दी ही यूपी की ईवी सिटी में बने ई-रिक्शा देश में और यूगांडा तथा नेपाल की सड़कों पर चलते हुए दिखेंगे, क्योंकि यूगांडा एवं नेपाल को ई-रिक्शा भेजने वाली कंपनी ने भी ईवी सिटी में अपनी फैक्ट्री लगाने में रूचि दिखाई है।
गौरतलब है कि देश में ई-रिक्शा का बाजार तेजी से बढ़ रहा है। अभी करीब 20 लाख ई-रिक्शा देश की सड़कों पर हैं। वर्ष 2015 से ई-रिक्शा की बिक्री सालाना 20 फीसदी की दर से बढ़ रही है। इस बिक्री में ज्यादातर हिस्सेदारी छोटी कंपनियों की है।
काइनेटिक, हीरो इलेक्ट्रिक और महिंद्रा एंड महिंद्रा जैसी बड़ी आटो कंपनियां भी तेजी से बढ़ रहे ई-रिक्शा बाजार में दाखिल हुई हैं। इसके अलावा एमएसएमई सेक्टर में कार्यरत चार दर्जन से अधिक ई रिक्शा बनाने की कंपनियां है, ये कंपनियां हर महीने देश में करीब 15 हजार ई-रिक्शा बनाती हैं। ई-रिक्शा बनाने वाली एमएसएमई सेक्टर की ये अधिकांश कंपनियां दिल्ली, राजस्थान और हरियाणा में हैं।
कोरोना संकट के दौरान इन कंपनियों को तमाम तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ा तो ई-रिक्शा को बनाने वाले कारोबारियों ने एक स्थान पर अपने कारोबार को ले जाने का विचार किया, ऐसे में उन्हें यूपी सरकार की प्रदूषण नियंत्रण और पर्यावरण की रक्षा के लिए कर्नाटक, आंध्रप्रदेश और तेलंगाना की तरह बनाई गई इलेक्ट्रिक वाहन मैन्युफैक्चरिंग नीति- 2019 पसंद आयी।
इस नीति में मिलने वाली रियायतों से प्रोत्साहित होकर इलेक्ट्रिक व्हीकल मैन्युफैक्चर वेलफेयर ट्रस्ट के चेयरमैन जय भगवान गोयल के नेतृत्व में प्रतिनिधिमंडल ने सरकार के उच्चाधिकारियों से मुलाक़ात ही। इस मुलाक़ात में उन्होंने शासन से इलेक्ट्रिक व्हीकल सिटी विकसित करने की मांग की थी।
अधिकारियों के अनुसार, सरकार की सहमति से बीते दिनों यमुना प्राधिकरण ने एसोसिएशन को ईवी सिटी विकसित करने की सैद्धांतिक मंजूरी दी है। अब गौतमबुद्धनगर के सेक्टर-28 में करीब 100 एकड़ जमीन में यह सिटी बनाई जाएगी।
सरकार की बनाई इलेक्ट्रिक व्हीकल नीति के तहत इलेक्ट्रिक सिटी में आने वाली औद्योगिक इकाइयों को सभी सुविधाएं मुहैया कराई जाएंगी। फिलहाल इलेक्ट्रिक सिटी में ई-रिक्शा निर्माण से जुड़े 50 उद्यमी अपनी फैक्ट्री लगाने को तैयार हैं।
इनमें यात्री, बाहुबली, सार्थी, एवन साइकिल, विक्ट्री, ठुकराल, सिटीलाइफ, मयूरी, उड़ान, गोयनका, सार्थक ब्रांड का ई रिक्शा बनाने वाले उद्यमी तथा बैटरी बनाने वाली कंपनी इस्टमैन एवं ट्रोटेक और मैन्युफैक्चरिंग कारोबार से जुडी कंपनी टीएनआर, सीवाई गोल्ड एवं नान्या से यमुना प्राधिकरण ने संगठन से जुड़े उद्यमियों से डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट मांगी है।
बाहुबली कंपनी का ई-रिक्शा यूगांडा और नेपाल की सड़कों पर चलाया जा रहा है। यह कंपनी ने सबसे ज्यादा जमीन मांग रही है ताकि बड़ी कंपनियों की तरह पूरा ई -रिक्शा एक ही प्लेटफार्म की नीचे तैयार किया जा सके।
जल्दी ही यह कंपनियां अपनी फैक्ट्री से संबंधित प्रोजेक्ट रिपोर्ट प्राधिकरण को सौंप देगी। इलेक्ट्रिक व्हीकल सिटी में उद्योग लगाने वाले उद्यमियों को 50 प्रतिशत ब्याज में छूट 7 साल तक मिलेगी।
खास बात यह है कि यह पैसा सरकार वहन करेगी। इसके अलावा रिसर्च एंड डेवलपमेंट पर 5 प्रतिशत की सब्सिडी मिलेगी। इलेक्ट्रिक ड्यूटी 10 साल के लिए माफ होगी।
स्टेट जीएसटी में 10 साल तक 90 प्रतिशत की छूट मिलेगी। 200 कर्मचारियों तक पीएफ में सरकार सहयोग करेगी। स्टांप शुल्क में 50 प्रतिशत की छूट मिलेगी।
अधिकारियों के अनुसार सूबे की इलेक्ट्रिक वाहन मैन्युफैक्चरिंग नीति के प्रभावी होने से प्रदेश में 40 हजार करोड़ रुपये का निवेश और 50 हजार रोजगार की उम्मीद है।
इस नीति के तहत सरकार इलेक्ट्रिक वाहन मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने के लिए तीन क्षेत्रों में काम कर रही है। सरकार का सबसे पहला प्रयास यो यह है कि राज्य में अधिक से अधिक वाहनों का निर्माण हो और दूसरे उन वाहनों की चार्जिंग का प्रबंध हो।
तीसरे इन वाहनों की मांग भी हो। इसके तहत एंकर यूनिट को खास प्रोत्साहन दिया जा रहा है। मेगा बैटरी यूनिट के लिए जमीन की खरीद में छूट दी जा रही है। वर्ष 2024 तक 70 फीसद सार्वजनिक वाहनों को इलेक्ट्रिक करने का लक्ष्य है।
दो लाख चार्जिंग स्टेशन बनाये जाने हैं। चार्जिंग स्टेशनों के लिए निजी निवेशकों को भी भारी छूट दी जायेगी। एक स्टेशन के निर्माण में करीब 25 लाख रुपये का खर्च है। जमीन को छोड़कर 25 प्रतिशत या छह लाख रुपये का अनुदान मिलेगा।
दो पहिया वाहनों पर दस हजार, तिपहिया पर 20 हजार और बड़े वाहनों पर 40 प्रतिशत तक अनुदान मिलेगा। रजिस्ट्रेशन भी निशुल्क होगा और रोड टैक्स में 25 प्रतिशत की छूट मिलेगी।
सरकार का मानना है कि भारतीय ऑटोमोबाइल उद्योग विश्व भर में बढ़ रहे उद्योगों में से एक है। इस सेक्टर के कारण मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र को गति मिलेगी और देश की अर्थव्यवस्था मजबूत होगी।