न्यूज डेस्क
हरियाणा त्रिशंकु सरकार बनाने की संभावना बन रही है। विधानसभा चुनाव में अभी तक आए रुझान में किसी भी पार्टी को बहुमत मिलता नजर नहीं आ रहा है। हरियाणा में सीएम खट्टर की कुर्सी खतरे में है। कांग्रेस से कांटे के मुकाबले में बीजेपी बहुमत के आंकड़े से पीछे थमती दिख रही है। ऐसे में चौटाला परिवार किंगमेकर की भूमिका में उभरता हुआ नजर आ रहा है।
इस बीच बीजेपी की तरफ से अध्यक्ष अमित शाह और कांग्रेस चीफ सोनिया गांधी ऐक्टिव हो गए हैं। भूपेंदर सिंह हुड्डा ने कांग्रेस अध्यक्ष से बात की है और पार्टी हाईकमान ने उन्हें खुद फैसला लेने की छूट दे दी है। टीवी रिपोर्ट के मुताबिक बीजेपी के बहुमत के आंकड़े से दूर रहने के रुझानों को देखते हुए पार्टी हाईकमान ने मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर को दिल्ली बुला लिया है।
खबर है कि बीजेपी ने अपने प्लान-B पर भी काम शुरू कर दिया है। हरियाणा में अपनी प्रतिष्ठा बचाने के लिए बीजेपी ने पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल को आगे किया है, जिससे कांग्रेस के समीकरण को ध्वस्त किया जा सके। रिपोर्टों में कहा जा रहा है कि अगर बीजेपी बहुमत से दूर रह जाती है तो प्रकाश सिंह बादल को डील के लिए आगे किया जा सकता है। दरअसल, प्रकाश सिंह बादल के दुष्यंत चौटाला के परिवार से दोस्ताना संबंध रहे हैं।
विधानसभा चुनाव में इनेलो से टूटकर जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) बनाने वाले दुष्यंत चौटाला करीब 10 विधानसभा सीटों पर बढ़त बनाए हुए हैं। जबकि इनेलो को पांच सीटें मिलती दिख रही हैं। ऐसे में अगर चौटाला परिवार एक बार फिर से एक हुआ तो इनके बिना किसी भी पार्टी की सरकार नहीं बन पाएगी।
गौरतलब है कि हरियाणा की 90 विधानसभा सीटों पर आए रुझान के मुताबिक बीजेपी 36, कांग्रेस 33, जेजेपी 10 और बाकी पर अन्य बढ़त बनाए हुए हैं। ऐसे में बहुमत के लिए 46 सीटें चाहिए। हरियाणा की सियासत ऐसी होती नजर आ रही है, जिसमें जेजेपी और इनेलो अहम भूमिका में नजर आ रहे हैं।
कभी हरियाणा की सियासत में ताऊ चौधरी देवीलाल की जबरदस्त तूती बोलती थी। 32 साल के बाद उनकी विरासत संभाल रहा चौटाला परिवार दो धड़ों में बंट गया है। इनेलो की कमान जहां ओम प्रकाश चौटाला और उनके छोटे बेटे अभय चौटाला के हाथों में है तो भतीजे दुष्यंत चौटाला अलग पार्टी बनाकर किंगमेकर की भूमिका में दिख रहे हैं।
अगर चुनावी नतीजे के बाद इनेलो और जेजेपी यानी चौटाला परिवार एकजुट होता है तो फिर हरियाणा की सत्ता की चाबी चाचा-भतीजे के हाथ में होगी, क्योंकि इन दोनों के पास करीब 15 सीटें हो जाएगी। ऐसे में इनके बिना कांग्रेस और बीजेपी दोनों सरकार बनाने की स्थिति में नहीं होंगी।
बता दें कि हरियाणा की सियासत में चौधरी देवीलाल दो बार के सीएम रहे। हरियाणा के साथ-साथ पंजाब में विधायक रहे देवीलाल दो अलग-अलग सरकारों में देश के उपप्रधानमंत्री भी बने। देवीलाल की राजनीतिक विरासत बेटे ओमप्रकाश चौटाला ने संभाली और चार बार हरियाणा के सीएम रहे। तीन दशक के बाद देवीलाल की विरासत संभाल रहा चौटाला परिवार दो धड़ों में बंट चुका है।
दुष्यंत चौटाला दादा और चाचा से बगावत कर हरियाणा में किस्मत आजमा रहे थे। उन्होंने हरियाणा की सभी 90 विधानसभा सीटों पर प्रत्याशी उतारे थे। दुष्यंत चौटाला अपने चुनाव प्रचार में दादा और चाचा का जिक्र करने के बजाय अपने परदादा ताऊ चौधरी देवीलाल के नाम पर वोट मांग रहे थे। हरियाणा का युवा जाट बड़ी तादाद में जेजेपी से जुड़ा।
वहीं, इनेलो की कमान संभाल रहे ओम प्रकाश चौटाला और अभय चौटाला ने हरियाणा के रण में कुल 78 सीटों पर प्रत्याशी उतारे। चौटाला के जीवन में यह चुनाव सबसे कठिन रहा है। इनेलो के एक दर्जन से ज्यादा विधायकों ने पार्टी छोड़कर बीजेपी का दामन थाम लिया था।
दूसरी स्थिति कांग्रेस और जेजेपी के बीच सियासी समीकरण बनाने की है। हरियाणा में जादुई आंकड़ा 46 का है। अब तक के अनुमान के मुताबिक अगर कांग्रेस को 31 सीटें मिलती हैं तो उसे 15 सीटों को साधना होगा। अगर JJP कांग्रेस को समर्थन देने को राजी होती है तो कांग्रेस के सरकार बनाने की संभावना बढ़ सकती है। फिलहाल बीजेपी और कांग्रेस का केंद्रीय नेतृत्व ऐक्टिव हो गया है और लगातार नेताओं से बातचीत का दौर जारी है।