जुबिली न्यूज डेस्क
संसद का मानसून सत्र चल रहा है और पेगासस जासूसी विवाद, कृषि कानून और कोरोनावायरस के मुद्दे पर विपक्षी दल सदन में केंद्र सरकार को घेरे हुए हैं। विपक्ष के विरोध के चलते व केंद्र सरकार की कोशिशों के बावजूद इस मानसून सत्र में लोकसभा और राज्यसभा की कार्यवाही लगातार स्थगित हुई है।
मंगलवार को तो बीजेपी संसदीय दल की बैठक में पीएम मोदी ने विपक्ष पर निशाना साधा था। उन्होंने विपक्ष के विरोध के तरीके को संविधान, संसद और जनता का अपमान करार दिया।
हालांकि, प्रधानमंत्री मोदी को खुद यह याद नहीं रहा कि जिस विपक्ष के प्रदर्शन की वे आलोचना कर रहे थे, संसद में कुछ वैसा ही प्रदर्शन बीजेपी के नेतृत्व वाले विपक्ष ने यूपीए-2 के कार्यकाल में किया था।
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बीजेपी ने कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूपीए गठबंधन के दौरान 10 साल (2004 से लेकर 2014) तक मुख्य विपक्षी दल की भूमिका निभाई थी। मनमोहन सरकार के पहले कार्यकाल में तो संसद की कार्यवाही सामान्य स्तर पर चली थी, लेकिन यूपीए-2 के कार्यकाल के दौरान विपक्ष सरकार पर लगातार हावी रहा।
इस दौरान बीजेपी ने कोई मौका नहीं छोड़ा था यूपीए सरकार को घेरने मे। उस दौरान गैर-लाभकारी संस्था PRS लेगिस्लेटिव रिसर्च की स्टडी में सामने आया था कि 2009 से 2014 के बीच 15वीं लोकसभा का कामकाज पिछले 50 सालों में सबसे खराब था।
बताया जाता है कि उस दौरान भ्रष्टाचार के आरोपों में घिरी कांग्रेस पर हर दिन ही बीजेपी का हमला होता था। इसके चलते सत्र के बाद सत्र स्थगित होने का सिलसिला जारी रहा। बीजेपी ने खुद इस तरह के प्रदर्शन को लोकतंत्र का ही एक रूप बताया था।
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कोयला घोटाले के आरोपों में जब बीजेपी ने नहीं चलने दी संसद
साल 2012 वह दौर था, जब कांग्रेस कोल ब्लॉक आवंटन से जुड़ी अनियमितताओं को लेकर आरोपों का सामना कर रही थी। इस दौरान बीजेपी के प्रदर्शन के चलते संसद के मानसून सत्र की उत्पादकता काफी नीचे रही थी। तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने तब बीजेपी की हरकत को लोकतंत्र का प्रतिवाद कहा था।
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तब लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष रहीं सुषमा स्वराज ने कहा था कि संसद न चलने देना भी एक तरह का लोकतंत्र है। उधर तब राज्यसभा में विपक्ष के नेता रहे अरुण जेटली ने कहा था कि संसद की कार्यवाही रोकना सरकार को जिम्मेदार ठहराने के बराबर है। बीजेपी का कहना था कि वह यह प्रदर्शन कांग्रेस नेताओं पर भ्रष्टाचार की जांच कराने और जिम्मेदार मंत्रियों और प्रधानमंत्री के इस्तीफे के लिए कर रहे हैं।