अशोक कुमार
डमी स्कूल, एक ऐसी अवधारणा जो शिक्षा प्रणाली में एक विकृत रूप के रूप में उभरी है। जहाँ छात्र ना तो नियमित रूप से स्कूल जाते हैं और ना ही उन्हें शिक्षाविषयक ज्ञान प्राप्त होता है। इन स्कूलों का मुख्य उद्देश्य छात्रों को प्रवेश परीक्षाओं, जैसे कि JEE, NEET, UPSC, आदि, की तैयारी कराना होता है।
डमी स्कूलों का उदय:
प्रवेश परीक्षाओं का दबाव: प्रतिष्ठित संस्थानों में प्रवेश के लिए कठिन प्रवेश परीक्षाओं ने छात्रों और अभिभावकों पर दबाव डाला है।
नियमित स्कूलों की कमी: गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने वाले नियमित स्कूलों की कमी ने डमी स्कूलों की ओर रुझान बढ़ाया है।
प्रतिस्पर्धात्मक माहौल: अत्यधिक प्रतिस्पर्धात्मक माहौल ने छात्रों को अपनी सफलता सुनिश्चित करने के लिए डमी स्कूलों का सहारा लेने के लिए प्रेरित किया है।
डमी स्कूलों के प्रभाव:
प्रवेश परीक्षाओं में सफलता: डमी स्कूल प्रवेश परीक्षाओं में बेहतर प्रदर्शन करने के लिए छात्रों को केंद्रित प्रशिक्षण और मार्गदर्शन प्रदान करते हैं।
समय प्रबंधन: प्रवेश परीक्षाओं की तैयारी के लिए एक संरचित वातावरण और समय सारणी छात्रों को समय का कुशलतापूर्वक प्रबंधन करने में मदद करती है।
अनुशासन और एकाग्रता: डमी स्कूलों का सख्त माहौल छात्रों में अनुशासन और एकाग्रता विकसित करने में सहायक होता है।
नकारात्मक प्रभाव:
शैक्षिक मूल्यों का क्षरण: डमी स्कूलों का एकमात्र ध्यान प्रवेश परीक्षाओं पर केंद्रित होता है, जिसके परिणामस्वरूप छात्रों में समग्र शैक्षिक विकास बाधित होता है।
मानसिक तनाव: प्रवेश परीक्षाओं के अत्यधिक दबाव और प्रतिस्पर्धा के कारण छात्रों में मानसिक तनाव और चिंता की समस्याएं बढ़ सकती हैं।
सामाजिक बहिष्कार: डमी स्कूलों में छात्रों के पास सामाजिककरण और व्यक्तित्व विकास के लिए कम अवसर होते हैं, जिससे वे सामाजिक रूप से बहिष्कृत महसूस कर सकते हैं।
अनैतिक गतिविधियां: कुछ डमी स्कूल अनुचित साधनों और गैरकानूनी गतिविधियों का सहारा लेकर छात्रों को प्रवेश परीक्षाओं में सफलता दिलाने का दावा करते हैं।
निष्कर्ष:
डमी स्कूल शिक्षा प्रणाली में एक जटिल मुद्दा हैं। यद्यपि वे प्रवेश परीक्षाओं में सफलता प्राप्त करने में सहायक हो सकते हैं, लेकिन उनके नकारात्मक प्रभावों को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। छात्रों और अभिभावकों को डमी स्कूलों में प्रवेश लेने से पहले उनके सभी पहलुओं पर सावधानीपूर्वक विचार करना चाहिए। शिक्षा प्रणाली में सुधार लाने और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को सभी के लिए सुलभ बनाने पर ध्यान केंद्रित करना ज़रूरी है ताकि डमी स्कूलों की आवश्यकता कम हो सके।
(पूर्व कुलपति कानपुर , गोरखपुर विश्वविद्यालय, विभागाध्यक्ष , राजस्थान विश्वविद्यालय जयपुर)