न्यूज डेस्क
मां-बाप ने बड़े ही अरमान से अपनी बच्चियों का स्कूल में दाखिला कराया कि उन्हें अच्छी शिक्षा-दीक्षा मिलेगी। पर उन्हें क्या पता था कि यहां उनसे झाडू़, बर्तन कराने के साथ पैर दबवाया जायेगा। जी हां, उत्तर प्रदेश के रायबरेली जिले में ऐसा ही एक मामला सामने आया है।
रायबरेली के जगतपुर स्थित कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय में पढऩे वाली बच्चियों ने वॉर्डन पर गंभीर आरोप लगाते हुए स्कूल छोड़ दिया है। इन बच्चियों ने आरोप लगाया है कि वॉर्डन उनसे अपने पैर दबवाती थी, बाल बंधवाती थी। इसके अलावा रसोई का काम कराती थी। इन बच्चियों ने वॉर्डन द्वारा बाल बंधवाने, पैर दबाने, बर्तन धुलवाने और झाडू लगवाते फोटो भी अभिभावकों को दिए।
रोते हुए इन बच्चियों ने बताया कि कि जब वह ये काम करने से इनकार करती हैं, तो उन्हें मारा-पीटा जाता है। उन्हें भोजन भी नहीं दिया जाता। इस मामले में डीएम ने बीएसए को जांच सौंपकर जल्द कार्रवाई करने का आदेश दिया है।
वॉर्डन की प्रताड़ना से आजिज आकर 6 नवंबर को कुछ छात्राएं शिकायती पत्र के साथ डीएम कार्यालय पहुंची। इन बच्चियों ने कार्रवाई की मांग की। बच्चियों ने बताया कि वॉर्डन कुसुमा देवी पढ़ानेे के बजाय जातिसूचक शब्दों का प्रयोग करती हैं।
छात्राओं ने आरोप लगाते हुए बताया, ‘हमसे बाल बंधवाया जाता है, बर्तन साफ करवाया जाता है, पूरे परिसर में बच्चियों से ही झाड़ू लगवाई जाती है। यहां तक कि पैर भी दबवाया जाता है। काम से इनकार करने पर वॉर्डन कहती हैं कि क्या तुम्हें आईएएस बनना है। जब कोई बालिका वॉर्डन की बात नहीं मानती तो कमरें में बंदकर उसकी पिटाई की जाती है।’
बच्चियों ने बताया कि दंडस्वरूप उन्हें भोजन नहीं दिया जाता और न ही किसी से मिलने दिया जाता है। दीपावली की छुट्टी पर जब बच्चियां घर आईं और छुट्टी बीतने के बाद दोबारा स्कूल नहीं पहुंची, तो अभिभावकों ने उनसे कारण पूछा, जिसके बाद बच्चियों ने वॉर्डन की कहानी और फोटोज अभिभावकों को दिए। फोटो देख अभिभावक बिफर पड़े।
जब प्रकरण की जानकारी वॉर्डन को हुई तो वह बच्चों को लेने उनके घर पहुंची, तो अभिभावकों से भी अभद्रता की। उन्होंने कहा कि बड़े-बड़े हमारी बात नहीं काट सकते। आप लोगों की हिम्मत कैसे पड़ी। फिलहाल डीएम शुभ्रा सक्सेना ने बीएसए पीएन सिंह को जांच सौंपकर जल्द कार्रवाई करने का आदेश दिया है।
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