जुबिली न्यूज़ डेस्क
नई दिल्ली। कोल इंडिया के कर्मचारी संगठनों की शुरू हुई तीन दिन की हड़ताल से झारखंड, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और ओडिशा जैसे कोयला उत्पादक राज्यों को कुल 319 करोड़ रुपये का राजस्व नुकसान होने का अनुमान है।
सरकार के कोयला के वाणिज्यिक खनन को अनुमति देने के फैसले के विरोध में यह हड़ताल बुलायी गयी है। श्रमिक संगठनों की इस हड़ताल से लगभग 40 लाख टन कोयला उत्पादन के नुकसान की आशंका है।
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कोयला मंत्रालय के एक अधिकारी के अनुसार, इस हड़ताल के कारण राज्यों को राजस्व में 319 करोड़ रुपये का नुकसान हो सकता है। इसमें ओडिशा को सर्वाधिक लगभग 70 करोड़ रुपये की हानि होने का अनुमान है।
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इसके अलावा छत्तीसगढ़ को 66 करोड़ रुपये, मध्य प्रदेश और झारखंड को 61-61 करोड़ रुपये, महाराष्ट्र को 27 करोड़ रुपये, पश्चिम बंगाल को 23 करोड़ रुपये और उत्तर प्रदेश को 11 करोड़ रुपये का नुकसान होने का अनुमान है।
अधिकारी के अनुसार कोल इंडिया प्रति दिन औसतन 15 लाख टन कोयले का उत्पादन करती है। इससे लगभग 106 करोड़ रुपये का राजस्व राज्यों के खजाने में जाता है।
कोयला मंत्री प्रल्हाद जोशी ने दिसंबर में संसद को सूचित किया था कि सरकार ने 2013-14 से 2018-19 तक कोल इंडिया से राजस्व में 2.03 लाख करोड़ रुपये का संग्रह किया है। प्राप्त कुल राजस्व में से, 2018-19 में अधिकतम 44,826.43 करोड़ रुपये मिले थे। इससे पहले 2017-18 में 44,046.57 करोड़ रुपये जबकि 2019-20 में 44,068.28 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त हुआ।
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इस तरह 2015-16 में सरकार को कोल इंडिया से 29,084.11 करोड़ रुपये, 2014-15 में 21,482.21 करोड़ रुपये और 2013-14 में 19,713.52 करोड़ रुपये का राजस्व मिला।
कोल इंडिया की ट्रेड यूनियनें अन्य मुद्दों के साथ वाणिज्यिक कोयला खनन की अनुमति देने के सरकार के फैसले का विरोध कर रही हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले महीने वाणिज्यिक खनन के लिए 41 कोयला ब्लॉकों की नीलामी प्रक्रिया शुरू की थी।
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कोयला मंत्री जोशी ने कहा था कि पश्चिम बंगाल को छोड़कर किसी भी राज्य सरकार ने निजी कंपनियों के लिये कोयला क्षेत्र को खोलने के सरकार के कदम का विरोध नहीं किया।
ये राज्य है उत्पादक
असम, छत्तीसगढ़, जम्मू और कश्मीर, झारखंड, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, मेघालय, ओडिशा, तेलंगाना, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल प्रमुख कोयला उत्पादक राज्य हैं।
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