जुबिली न्यूज़ डेस्क
नई दिल्ली। कोरोना महामारी के आगे साल 2020 में हर कोई परेशान रहा। खासकर वेतन पाने वालो के लिए इसलिए क्योंकि कंपनियों की हालत खराब होने से उन्हें कर्मचारियों के वेतन पर भरी कैची चलानी पड़ी, लेकिन ये कैची जुलाई के बाद से पटरी पर आने लगी। लेकिन मोदी सरकार ने पहले ही कुछ ऐसी नीति बना राखी है जिससे आपके वेतन पर फिर कैची चल सकती है?
अगले साल से कर्मचारियों को ग्रेच्युटी और भविष्य निधि मद में बढ़ोतरी होगी। वहीं हाथ में आने वाला पैसा (टेक होम सैलरी) घटेगी। यहां तक कि कंपिनयों की बैलेंस शीट भी प्रभावित होगी। इसकी वजह है पिछले साल संसद में पास किए गए तीन मजदूरी संहिता विधेयक (कोड ऑन वेजेज बिल)। इन विधेयकों के अगले साल 1 अप्रैल से लागू होने की संभावना है।
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वेज (मजदूरी) की नई परिभाषा के तहत भत्ते कुल सैलेरी के अधिकतम 50% होंगे। इसका मतलब है कि मूल वेतन (सरकारी नौकरियों में मूल वेतन और महंगाई भत्ता) अप्रैल से कुल वेतन का 50% या अधिक होना चाहिए।
गौरतलब है कि देश के 73 साल के इतिहास में पहली बार इस प्रकार से श्रम कानून में बदलाव किए जा रहे हैं। सरकार का दावा है कि नियोक्ता और श्रमिक दोनों के लिए फायदेमंद साबित होंगे।
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नए ड्राफ्ट रूल के अनुसार, मूल वेतन कुल वेतन का 50% या अधिक होना चाहिए। इससे ज्यादातर कर्मचारियों का वेतन संरचना बदलेगी, क्योंकि वेतन का गैर- भत्ते वाला हिस्सा आमतौर पर कुल सैलेरी के 50% से कम होता है। वहीं कुल वेतन में भत्तों का हिस्सा और भी अधिक हो जाता है।
मूल वेतन बढ़ने से आपका पीएफ भी बढ़ेगा। पीएफ मूल वेतन पर आधारित होता है। मूल वेतन बढ़ने से पीएफ बढ़ेगा, जिसका मतलब है कि टेक- होम या हाथ में आने वाला वेतन में कटौती होगी।
ग्रेच्युटी और पीएफ में योगदान बढ़ने से रिटायरमेंट के बाद मिलने वाली राशि में इजाफा होगा। इससे लोगों को रिटायरमेंट के बाद सुखद जीवन जीने में आसानी होगी। उच्च-भुगतान वाले अधिकारियों के वेतन संरचना में सबसे अधिक बदलाव आएगा और इसके चलते वो ही सबसे ज्यादा प्रभावित होंगे।
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पीएफ और ग्रेच्युटी बढ़ने से कंपनियों की लागत में भी वृद्धि होगी क्योंकि उन्हें भी कर्मचारियों के लिए पीएफ में ज्यादा योगदान देना पड़ेगा। इन चीजों से कंपनियों की बैलेंस शीट भी प्रभावित होगी।
नए ड्राफ्ट कानून में कामकाज के अधिकतम घंटों को बढ़ाकर 12 करने का प्रस्ताव पेश किया है। ओएसच कोड के ड्राफ्ट नियमों में 15 से 30 मिनट के बीच के अतिरिक्त कामकाज को भी 30 मिनट गिनकर ओवरटाइम में शामिल करने का प्रावधान है।
मौजूदा नियम में 30 मिनट से कम समय को ओवरटाइम योग्य नहीं माना जाता है। ड्राफ्ट नियमों में किसी भी कर्मचारी से 5 घंटे से ज्यादा लगातार काम कराने को प्रतिबंधित किया गया है। कर्मचारियों को हर पांच घंटे के बाद आधा घंटे का विश्राम देने के निर्देश भी ड्राफ्ट नियमों में शामिल हैं।
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