- बंगाल के उत्तरी हिस्से के अनानास उत्पादकों ने नेपाल को अनानास नहीं भेजने का किया है फैसला
जुबिली न्यूज डेस्क
भारत और नेपाल के बीच तनाव बढ़ता ही जा रहा है। इसका असर अब व्यापारिक गतिविधियों पर भी पडऩे लगा है। इस तनाव को देखते हुए ही पश्चिम बंगाल के उत्तरी हिस्से के अनानास उत्पादकों ने इस साल नेपाल को अनानास निर्यात नहीं करने का फैसला किया है। इसके चलते इस साल नेपाल के लोगों को यहां का मीठा अनानास खाने को नहीं मिलेगा।
पश्चिम बंगाल के उत्तरी हिस्से से बड़े पैमाने पर नेपाल को अनानास निर्यात किया जाता है, लेकिन इस साल तनाव के चलते किसानों ने यह फैसला लिया।
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नेपाल की हरकत से उत्पादकों और व्यापारियों में भारी रोष है। उनका कहना है कि अनानास भले आधी कीमत में बिके या खेतों में ही सड़ जाएं, इनको किसी भी कीमत पर नेपाल नहीं भेजा जाएगा।
बंगाल में अनानास के कुल उत्पादन का 80 फीसदी इसी इलाके में होता है, लेकिन इस साल कोरोना और उसकी वजह से जारी लंबे लॉकडाउन की वजह से कीमतों में गिरावट से अनानास उत्पादकों को भारी नुकसान सहना पड़ा है। इस बार पैदावार भी खूब हुई थी।
650 करोड़ का है टर्नओवर
बंगाल के दार्जिलिंग जिले के विधाननगर इलाके और उत्तर दिनाजपुर के इस्लामपुर सब-डिवीजऩ में बड़े पैमाने पर अनानास की खेती होती है। इस इलाके की अर्थव्यवस्था काफी हद तक अनानास और छोटे चाय बागानों पर ही निर्भर है।
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पाइनेप्पल मर्चेंट्स एसोसिएशन के आंकड़ों के अनुसार इस क्षेत्र में 20 हजार हेक्टेयर में अनानास की खेती होती है। सालाना उत्पादन 6.2 लाख मीट्रिक टन है। यहां से जुलाई से अगस्त के आखिर तक देश के दूसरे राज्यों में भेजा जाता है।
यहां के कोई एक लाख लोग प्रत्यक्ष या परोक्ष तौर पर इस फल की खेती से जुड़े हैं। इलाके में अनानास के कारोबार का सालाना टर्नओवर लगभग 650 करोड़ रुपए है।
यहां से नेपाल को तीन हजार मीट्रिक टन अनानास का निर्यात किया जाता है। सीजन यानी जुलाई और अगस्त के दो महीनों के दौरान रोजाना औसतन 50 टन अनानास वहां भेजा जाता है। कीमतों के उतार-चढ़ाव के अनुसार यह निर्यात 12 से 18 करोड़ रुपए के बीच है, लेकिन इस साल व्यापारी नेपाल के बदले उत्तर भारत के बाजारों में अनानास भेजने के उपायों पर विचार कर रहे हैं।
नेपाल के अलावा बांग्लादेश को भी बड़े पैमाने पर इसका निर्यात किया जाता है।
पाइनेप्पल मर्चेंट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष काजल घोष कहते हैं, “भारत के विरोध के बावजूद नेपाल ने नक्शे में हमारी जमीन को शामिल किया है। इसके विरोध में हमने अनानास का निर्यात बंद करने का फैसला किया है। ”
असमंजस में हैं सीमावर्ती इलाकों में रहने वाले नेपाली
पिछले कुछ माह से नेपाल के साथ चल रहे विवाद की वजह से नेपाल से सटे पश्चिम बंगाल के सीमावर्ती इलाकों में रहने वाले नेपालियों को भी असमंजस में डाल दिया है।
इन लोगों को डर है कि इस विवाद के बढऩे की स्थिति में उन्हें कहीं स्थानीय लोगों की नाराजगी न झेलनी पड़े। दार्जिलिंग जिले के सिलीगुड़ी जैसे शहरों और दूसरे इलाकों में नेपालियों की बड़ी आबादी है। यह लोग नौकरी के अलावा छोटे-मोटे रोजगार भी करते हैं।
चीन की शह पर नेपाल दिखा रहा है तेवर
नेपाल के इस तेवर के लिए यहां के लोग चीन को जिम्मेदार मानते हैं। अनानास उत्पादकों और व्यापारियों का कहना है कि पहले नेपाल ऐसा नहीं था, लेकिन अब चीन की शह पाकर ही वह आंखें दिखाने का प्रयास कर रहा है। उनका मानना है कि देर-सबेर नेपाल को अपनी गलती का अहसास होगा। हमारे बिना उसका काम नहीं चल सकता।