- मध्य प्रदेश में राज्यसभा की 3 सीटों के लिए 19 जून को है वोटिंग
- कांग्रेस के खाते हैं एक सीट और मैदान में हैं दो उम्मीदवार
- दलित कार्ड के कारण राज्यसभा की रेस में पिछड़ सकते हैं दिग्विजय सिंह
न्यूज डेस्क
कोरोना महामारी के बीच में ही मध्य प्रदेश की सत्ता में काफी बदलाव हुआ और अब इस बदलाव का असर 19 जून को राज्यसभा की तीन सीटों के लिए होने वाले मतदान में भी दिखने वाला है। जिसका असर कांग्रेस के दिग्गज नेता व पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के राज्यसभा जाने पर पड़ सकता है।
23 मार्च को पहले मध्य प्रदेश की सियासत में बड़ा फेरबदल हुआ था। कांग्रेस के हाथ से सत्ता निकल गई और बीजेपी सत्तासीन हो गई। इस सबमें ज्योतिरादित्य सिंधिया की बड़ी भूमिका रही। सिंधिया के साथ-साथ कांग्रेस के 22 विधायकों ने भी इस्तीफा दे दिया जिसकी वजह से अब दो सीटें बीजेपी के खाते में जाती दिख रही है।
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जब कांग्रेस सत्ता में थी तब यह तय था कि कांग्रेस के दोनों उम्मीदवार राज्यसभा आसानी से पहुंच जायेंगे, पर बदले सियासी समीकरण से हालात बदल गए हैं। दिग्विजय सिंह के राज्यसभा जाने पर संशय इसलिए है क्योंकि सियासी गलियारे में चर्चा है कि कांग्रेस उपचुनाव को देखते हुए मध्य प्रदेश में कोई बड़ा फैसला ले सकती है। साथ ही पार्टी के अंदर से ही यह आवाज उठ रही है कि फूल सिंह बरैया को राज्यसभा भेजा जाए।
कांग्रेस की तरफ से राज्यसभा के लिए जब 2 उम्मीदवारों ने पर्चा दाखिल किया था, तब प्रदेश में सरकार थी। उस समय तक यह तय था कि कांग्रेस 2 सीटें निकाल सकती हैं।
कांग्रेस के दिग्गज नेता और मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह प्राथमिक सीट से हैं। उनकी जीत अभी तक पक्की मानी जा रही है, लेकिन बदले सियासी हालात में अब उन्हें लेकर संशय बरकरार है। चर्चा है कि कांग्रेस पार्टी के अंदर से ही दलित चेहरे को राज्यसभा में भेजने की मांग उठने लगी है। साथ ही दिग्गी विरोधी खेमा यह मांग करने लगे हैं कि बरैया को राज्यसभा भेज बीजेपी का समीकरण बिगाड़ सकते हैं।
बरैया के पक्ष में लॉबिंग कर रहे नेताओं का तर्क है कि उन्हें राज्यसभा भेज में आरक्षित वर्ग के वोटों का लाभ ले सकते हैं। अगर पार्टी इस पर राजी हो गई तो दिग्विजय सिंह राज्यसभा नहीं पहुंच पाएंगे।
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आमने-सामने आए बरैया-दिग्गी समर्थक
मध्य प्रदेश कांगे्रस में एक बार फिर फूट दिखाई दे रही है। राज्यसभा को लेकर बरैया-दिग्गी समर्थक आमने-सामने आ गए हैं। दरअसल ग्वालियर-चंबल इलाके में आरक्षित वर्गों का वोट काफी है। बरैया समर्थकों के तर्क पर दिग्गी खेमा ने भी जवाब दिया है।
दिग्विजय सिंह के लोगों का कहना है कि राज्यसभा इन्हें ही भेजा जाए। फुल सिंह बरैया को उपचुनाव में पार्टी किसी सीट से उम्मीदवार बनाए। इससे भी आरक्षित वर्ग के वोट पार्टी के पक्ष में आएंगे। वहीं, मीडिया से बात करते हुए फुल सिंह बरैया ने कहा कि जब तक निर्वाचन नहीं हो जाता तब तक वे मुकाबले में हैं। कांग्रेस ने मुझे उम्मीदवार बनाया है।
बदला समीकरण
मध्य प्रदेश में 23 मार्च तक कांग्रेस की सरकार थी। सिंधिया समर्थकों के इस्तीफे के बाद कमलनाथ की सरकार चली गई और शिवराज सिंह चौहान मुख्यमंत्री की कुर्सी पर काबिज हो गए।
उस समय सपा, बसपा और निर्दलीय विधायकों को मिलाकर कांग्रेस के पास विधायकों की संख्या 121 थी तो बीजेपी के पास 107 विधायक थे। उस समय के हिसाब से कांग्रेस को राज्यसभा की 2 सीटें मिल रही थीं। अब हालात बदल गए हैं। कांग्रेस 1 ही सीट जीत सकती है। बदले हालत में पार्टी को ही तय करना है कि राज्यसभा कौन जाएगा।