न्यूज़ डेस्क
नई दिल्ली। कोरोना वायरस के कारण दुनियाभर के कई देशों में लॉकडाउन जारी है। इन देशों में अमेरिका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया समेत यूरोप के भी कई देश शामिल हैं। लॉकडाउन में लोग घरों में रहते हुए कैद महसूस कर रहे हैं तो वहीँ लॉकडाउन के कारण घेरलू हिंसा के मामलों में वृद्धि की खबरें सामने आई हैं।
अमेरिका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया समेत यूरोप के कई देशों में घरेलू हिंसा के मामलों में तेजी की कई रिपोर्ट सामने आ रही हैं। यहां के अपराध रजिस्टर में अब घरेलू हिंसा को सबसे ज्यादा दर्ज किया जा रहा है। विशेषज्ञों ने इसे कोरोना महामारी के सोशल इफ़ेक्ट के रूप में बड़ी समस्या बताते हुए चेतावनी भी जारी की है।
कोरोना वायरस से बचने के लिए लॉकडाउन लगाया गया लेकिन घर पर रहते हुए लोग आक्रामक हो रहे हैं। विशेषज्ञों की माने तो महिलाओं और बच्चों के लिए यह समय मुश्किलों भरा है।
दरअसल लॉकडाउन के बीच लोगों में तनाव और डर की भावना बढ़ रही है जिससे घरों में अत्याचार की तीव्रता बढ़ जाती है। वहीं इस बारे में अमेरिका की डीसी सेफ नामक एक संस्था का कहना है कि पिछले दो हफ्तों में उसके पास आने वाली घरेलू हिंसा से जुड़ी फोन कॉल्स की तादाद दोगुनी हो गई है।
ऑस्ट्रेलिया में दर्ज सबसे ज्यादा मामले
इस बारे में वाशिंगटन पोस्ट में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, ऑस्ट्रेलिया में ऐसे मामले 40% तक बढ़ गए हैं। जबकि अमेरिका में घरेलू हिंसा के मामले देखने वाले वकीलों ने स्थानीय प्रशासन को विशेष चेतावनी जारी की है। वहीं 20 राज्यों के सीनेटरों ने ट्रंप प्रशासन से घरेलू हिंसा पीड़ितों की सहायता करने वाली एजेंसियों पर लॉकडाउन से छूट की मांग की है, ताकि वे पीड़ितों तक आसानी से पहुंच सकें।
ऑस्ट्रेलिया में सरकार की तैयारी
सर्वाधिक आबादी वाले ऑस्ट्रेलिया के राज्य न्यू साउथ वेल्स में लॉकडाउन के दौर में घरेलू हिंसा के मामले 40% बढ़ गए हैं। इसमें भी एक तिहाई मामले ऐसे हैं जिनमें कोरोना के सीधे संक्रमण को लेकर हिंसा हुई है। कई पुलिस थानों में दर्ज मामलों की संख्या दोगुनी हो गई है। ऐसी कंडीशन को देखते हुए ऑस्ट्रेलिया सरकार ने 15 करोड़ डॉलर सिर्फ घरेलू हिंसा के मामलों से निपटने के लिए रखा है।
दर्द बांटने वाला कोई नहीं
इस बीच सबसे बड़ी समस्या यह है कि लॉकडाउन और कोरोना के कारण सभी सभी जगह के स्कूल, कॉलेज और दफ्तर बंद हैं। जिसकी वजह से न लोग बाहर निकल पा रहे हैं और न ही अपना दुःख किसी से शेयर कर पा रहे हैं। इन वजहों से लोगों के मन में तनाव, अवसाद और कुंठा घर कर रही है।
महिला- पुरुष दोनों पीड़ित
डेली मेल की खबर के अनुसार, घरेलू हिंसा को रोकने के लिए अमेरिका के रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र ने बताया कि अमेरिका में चार में से एक महिला और सात में से एक पुरुष को अपने साथी द्वारा गंभीर शारीरिक हिंसा का सामना करना पड़ रहा है। इतना ही नहीं इन बढ़ते मामलों की वजह से न्यूयॉर्क, वॉशिंगटन और शिकागो में सहायता जे लिए लोकल हेल्पलाइन पर फोन कॉल्स की संख्या बढ़ गई है।
यूरोप पर गहराता बड़ा संकट
कोरोना वायरस से चीन के बाद सबसे ज्यादा प्रभावित यूरोप हुआ है जो इसका बड़ा संकट झेल रहा है। घरेलू हिंसा के मामलों में भी यूरोप आगे है। यहां ऐसे मामलों से जुड़ी संस्थाओं ने इस बारे में पहले ही देश को आगाह किया था। इस बारे में जर्मन फेडरल एसोसिएशन ऑफ वीमंस काउंसलिंग सेंटर्स एंड हेल्पलाइंस ने सोशल डिस्टेंस के बढ़ने के चलते तनाव जैसी कंडीशन पैदा होने की चेतावनी भी दी है।
इतना ही नहीं यूरोप संस्थाओं ने देश ने बढ़ती महिला व बच्चों के खिलाफ यौन हिंसा को लेकर भी चेताया है। संस्थाओं का कहना है कि लॉकडाउन के कारण लोगों का घरेलू जीवन तबाह हो गया है।