जुबिली न्यूज़ डेस्क
एक वक्त था जब गावं से शहरों की तरफ पलायन करने वाले लोग कमाए हुए पैसे का एक हिस्सा गाँव में रह रहे अपने परिजनों को भेजते थे । कोरोना काल में ये कहानी उलट चुकी है ।
संकट में फंसे मजदूर और कामगारो के पास जब पैसा खत्म हो गया तो उन्होंने वापस अपने परिजनों को गुहार लगाई । फिलहाल का हाल ये है कि अब पैसे का प्रवाह उल्टा हो गया है । शहरों में फंसे लोगों को गांवों से पैसा भेजा जा रहा है ।
बैंकिंग की भाषा में डोमेस्टिक रेमिटेंस यानी देश में एक जगह से दूसरी जगह पैसा भेजने को कहते हैं । कोरोना वायरस संक्रमण के चलते लगे लॉकडाउन में अप्रैल में डोमेस्टिक रेमिटेंस लगभग ठप पड़ गया था। लेकिन मई में इसकी गतिविधियों में थोड़ी हलचल देखने को मिली है। इस हलचल के पीछे इकोनॉमिक एक्टिविटी में कुछ तेजी आने और गाँवों से शहरों में पैसा भेजे जाने जैसे कारण हैं।
इस सेगमेंट में जो बैंक काम कर रहे हैं उनकी प्रमुख इकाइयों जैसे फिनो पेमेंट्स बैंक, स्पाइस डिजिटल, एको फाइनेंसियल सर्विसेज और पेप्वाइंट ने मई के पहले दो हफ्तों में कारोबार 35-50 प्रतिशत रिकवरी की जानकारी दी है। उनका कहना है कि मार्च और अप्रैल में कारोबार में 90 फीसदी तक गिरावट हुई थी। और लॉकडाउन के बाद शहरी इलाकों में ये बिलकुल ठप हो गया था।
यही नहीं कुछ इकाइयों ने रेमिटेंस की दिशा में बदलाव भी देखे। इन बदलावों में शहरों में काम करने वालों की और से अपने गांव पैसा भेजने के बजाय, गांवों से शहरों में फंसे लोगों के पास पैसा भेजने का ट्रेंड दिखाई पड़ा। इससे पहले आमतौर पर ऐसा पहले नहीं हुआ। अक्सर शहरों के लोग ही गांव में पैसा भेजते थे।
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लॉक डाउन की वजह से मजदूर शहरों में फंसे होने की वजह से गांवों से उनके घर के लोग थोड़ी बहुत हुई बचत का हिस्सा उनके पास भेज रहे हैं। इस मामलें में फिनो बैंक के सीइओ का कहना है कि कोरोना वायरस जब नहीं था उस समय हम हर महीने 4500 करोड़ का रेमिटेंस कर रहे थे लेकिन लॉकडाउन में ये करीब करीब ठप हो गया।
उन्होंने बताया कि लेकिन अब ये धीरे धीरे 2000 करोड़ के लेवल पर आ गया है। लेकिन आगे ऐसी उम्मीद है कि इसमें और बढ़ोतरी होगी। वहीं इस मामलें में स्पाइस मनी के चेयरमैन दिलीप मोदी ने कहा, अप्रैल के पहले हफ्ते से तुलना करें तो मई के पहले दो हफ़्तों में स्थिति बहुत हद तक सुधरी है।
उन्होंने कहा कि हमारा 50 प्रतिशत कारोबार वापस आ गया है। केरल आंद्र प्रदेश और कर्नाटक में स्तिथि काफी सुधरी हैं लेकिन दिल्ली मुंबई के मुकाबले ट्रानजैक्शंस की मात्रा काफी कम है। जाहिर है कि देश में मुख्य रूप से छह बड़े कोरिडोर हैं जहां से बड़ी मात्रा में पैसा भेजा जाता है. इनमें दिल्ली, मुंबई, इंदौर, राजस्थान और गुजरात शामिल हैं।