जुबिली स्पेशल डेस्क
तालिबान के कब्ज़े के बाद अफगानिस्तान के आर्थिक हालात बुरी तरह से चरमरा गए हैं. बड़ी संख्या में लोग अपनी जान बचाने के लिए देश से पलायन कर गए तो उससे भे बड़ी संख्या में अफगानिस्तान के लोग भुखमरी से जूझ रहे हैं।
तालिबान से जिस चीज की उम्मीद की गई थी, वह सब पूरा होता दिख रहा है। जब अफगानिस्तान पर तालिबान ने कब्जा किया था तो यह कहा जा रहा था कि तालिबान की कट्टरता महिलाओं के लिए भारी पड़ेगी।
सत्ता में आने के बाद से तालिबान लगातार तुगलकी आदेश जारी कर रहा है। महिलाओं के अधिकार लगभग खत्म करने वाले तालिबान ने अब अफगान में पुरुषों की आजादी पर भी रोक-टोक शुरू कर दी है।
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हालांकि अफगानिस्तान में अब जिंदगी धीरे-धीरे पटरी पर लौटने लगी। इसके साथ ही अब तालिबान ने लड़कियों के स्कूल खोलने पर भी विचार कर रहा है। तालिबान के संस्कृति और सूचना उपमंत्री जबीहुल्लाह मुजाहिद ने इस मामले पर बड़ा बयान दिया है।
और कहा है कि शिक्षा विभाग 21 मार्च से शुरू होने वाले अफगान नववर्ष के बाद लड़कियों और महिलाओं के लिए कक्षाएं खोलना चाहता है।तालिबान के संस्कृति और सूचना उपमंत्री जबीहुल्लाह मुजाहिद ने कहा कि उनका शिक्षा विभाग 21 मार्च से शुरू होने वाले अफगान नव वर्ष के बाद सभी लड़कियों और महिलाओं के लिए कक्षाएं खोलना चाहता है।
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अगस्त के मध्य में तालिबान के देश पर कब्जे के बाद से अफगानिस्तान को अब तक औपचारिक रूप से मान्यता नहीं मिली है। मुजाहिद ने कहा कि हम लड़कियों की शिक्षा के खिलाफ नहीं हैं।
मालूम हो कि तालिबान ने 15 अगस्त को अफगानिस्तान की राजधानी काबुल पर कब्जा करने के बाद से ही तालिबान ने देशभर में शरिया कानून लागू करना शुरू कर दिया था।
हाल ही में तालिबान की क्रूरता उस समय देखने को मिली जब किडनैपिंग के चार आरोपियों को मारकर चौराहे पर लटका दिया गया था।