जुबिली स्पेशल डेस्क
पटना। लोकसभा चुनाव से पहले पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव अब खत्म हो गए है और कांग्रेस को बड़ी निराशा हाथ लगी है। कांग्रेस के हाथ से छत्तीसगढ़ और राजस्थान निकल गया है।
इतना ही नहीं मध्य प्रदेश में उसे बड़ी हार का सामना करना पड़ा है। बस उसके खाते में सिर्फ तेलंगाना आया है। अब लोकसभा चुनाव की उलटी गिनती शुरू हो गई है।
बीजेपी के हौसले बुलंद है और वो फाइनल मुकाबला यानी लोकसभा चुनाव को जीतने का दावा कर रही है तो दूसरी तरफ कांग्रेस के लिए खोने को कुछ नहीं है।
ऐसे में लोकसभा चुनाव को लेकर सियासत की पिच पर कौन-कौन उतरेंगा इसको लेकर चर्चा तेज हो गई है। एनडीए बनाम विपक्षी इंडिया गठबंधन अब फाइनल मुकाबले के लिए पूरी तरह से तैयार है और दोनों तरफ से राजनीतिक दल अब पहले ज्यादा अब एक्टिव मोड में आ गए हैं।्र
इंडिया गठबंधन मोदी को रोकने के लिए एक बार फिर अहम बैठक करने जा रहा है। इस बैठक के लिए दिल्ली में मंच तैयार है और विपक्षी नेताओं का आना शुरू हो गया है।
विपक्ष की इस बैठक में चुनौतियां ज्यादा नजर आ रही है क्योंकि हाल में कांग्रेस का प्रदर्शन उम्मीद के मुताबिक नहीं रहा है। इतना ही नहीं कांग्रेस अकेले चुनाव लडऩे का दावा भी उसे राज्यों के चुनाव में काफी भारी पड़ा है। ऐसे में नीतीश कुमार एक बार फिर एक्टिव हो गए है और विपक्षी एकता को मजबूत करने के लिए फिर से तैयारी कर रहे हैं।
दूसरी तरफ नीतीश कुमार खुद को एक नेशनल लीडर के तौर साबित करना चाहते हैं। इसी के तहत उन्होंने विपक्ष के अभियान का आगाज करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्वाचन क्षेत्र वाराणसी को चुना था लेकिन वो रैली रद्द कर दी है और अब नीतीश जनवरी में झारखंड में भी रैली करने वाले हैं। हालांकि उन्होंने ये संदेश देने की जरूर कोशिश की है कि मोदी को रोकने के लिए वो असली विकल्प हो सकते हैं। यूपी की राजनीति से वो सीधे तौर पर केंद्र की मोदी सरकार पर हमला बोलने की तैयारी में नीतीश कुमार के लिए सबसे बड़ी चुनौती है कि विपक्षी गठबंधन को कैसे संभाला जाये।
अभी तक सीट बटवारे को लेकर कोई बात नहीं हुई जबकि अखिलेश से लेकर केजरीवाल बार-बार सीट बटवारे का राग-अलाप रहे हैं। अब देखना होगा मोदी को रोकने के लिए नीतीश कुमार अगला दाव क्या चलते हैं।