जुबिली न्यूज डेस्क
अपने विवादित बयानों की वजह से चर्चा में रहने वाले पश्चिम बंगाल के भाजपा अध्यक्ष दिलीप घोष ने अबकी बार ऐसा कुछ कहा है जिससे राज्य में माहौल और हिंसक हो सकता है। उनका यह बयान भड़काने वाला है।
बंगाल में एक जनसभा में भाजपा अध्यक्ष घोष ने कहा कि ‘हिंदू समाज को हथियार उठाने होंगे, अगर कोई कायर निहत्था कहे, तो तुम उसका गला पकड़ लो।’
घोष यही नहीं रूके। उन्होंने आगे कहा कि ‘हिंदू समाज कायर नहीं था, हम तलवार, बंदूक, त्रिशूल से सामना करने वाले हैं। हिंदुओं का कोई भी देवी-देवता बिना शस्त्र का नहीं है।’
घोष के इस बयान के क्या मतलब निकाला जाए। एक ओर पिछले कुछ महीनों में पश्चिम बंगाल में राजनीतिक हिंसा के कारण बहुत ख़ून बह चुका है, और इस हालात में घोष अपने बयानों से आग में घी डालने का काम कर रहे हैं।
बंगाल में राजनीतिक हिंसा का इतिहास बहुत पुराना है। कोई भी चुनाव हिंसा से अछूता नहीं रहा है। चाहे वह पंचायत चुनाव हो या लोकसभा। हर चुनाव में जमकर हिंसा हुई है।
पिछले कई महीनों में बीजेपी-टीएमसी के कई कार्यकर्ताओं की हत्या हुई है। इसको लेकर बीजेपी और सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस आमने-सामने हैं।
भाजपा अध्यक्ष दिलीप घोष इससे पहले टीएमसी के कार्यकर्ताओं को यह कहकर धमका चुके हैं कि, ‘उनके हाथ-पैर तोड़ दिए जाएंगे, पसलियां तोड़ दी जाएंगी और सिर फोड़ दिया जाएगा। हो सकता है आपको अस्पताल जाना पड़ जाए। यदि आपने ज़्यादा कुछ किया तो आपको श्मशान भी जाना पड़ सकता है।’
घोष अक्सर अपने विवादित बयानों की वजह से चर्चा में रहते हैं। और सबसे बड़ी विडंबना है कि उनके इन बयानों का भाजपा शीर्ष नेतृत्व संज्ञान भी नहीं लेता।
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पिछले साल दिसंबर माह में जब नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में प्रदर्शन करने वाले तथा सार्वजनिक संपत्तियों को नुकसान पहुंचाने वालों को लेकर घोष ने कहा था कि असम और उत्तर प्रदेश में उनकी सरकार ने ऐसे लोगों को “कुत्ते की तरह मारा” है।
घोष के इस तरह के कई बयान मीडिया में हैं जो बेहद आपत्तिजनक हैं और हिंसा को बढ़ावा देते हैं। सवाल उठता है कि अगर घोष की बयान के जवाब में दूसरी ओर भी इसी तरह के बयान३ दिए जाएं तो निश्चित रूप से राज्य में कानून व्यवस्था के बिगडऩे का ख़तरा पैदा होगा।
राज्य का माहौल बहुत ही नाजुक है। कुछ ही दिनों पहले बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के काफिले पर हमला हो चुका है। राजनीतिक हिंसा का यह ख़ूनी खेल तुरंत बंद किए जाने की जरूरत है और इसके लिए जरूरी है कि इस तरह के वाहियात बयान देने वालों पर नकेल कसी जाए।
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भाजपा के दोहरे रवैया समझ से परे हैं। एक ओर पार्टी मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर राज्य में राजनीतिक हिंसा को संरक्षण देने का आरोप लगाती है तो वहीं खुद उनके नेता भड़काऊ बयान देकर माहौल खराब करने की कोशिश में लगे हुए हैं।
सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस लगातार भाजपा पर आरोप लगा रही है कि भाजपा बंगाल की छवि खराब करने की कोशिश की जा रही है।
क्या है बीजेपी की मंशा
दरअसल भाजपा किसी भी सूरत में बंगाल में अपनी सरकार बनाना चाहती है। इसके लिए वह कुछ भी करने को तैयार है। बंगाल में सरकार बनाने के लिए आरएसएस भी लगातार सक्रिय है। भाजपा अपने हिंदुत्व के एजेंडे के माध्यम से राज्य के पांच करोड़ वोटरों को अपने पक्ष में करने की जुगत में लगी हुई है।
राज्य में बीजेपी और टीएमसी के कार्यकर्ताओं के बीच खूनी झड़पें होना आम बात है। इस हिंसा में दोनों दलों के कार्यकर्ताओं को अपनी जान गंवानी पड़ी है। इसके बावजूद कोई भी इससे सबक लेने को तैयार नहीं है।
घोष पर होगी कार्रवाई?
भाजपा में नेताओं का विवादित बयान देना कोई नई बात नहीं है। पश्चिम बंगाल हो या कर्नाटक, उत्तर प्रदेश हो या बिहार, हर राज्य में नेता विवादित बयान देते हैं और सबसे मजे की बात यह है कि अनुशासन का पाठ पढ़ाने वाली भाजपा इनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करती।
अब सवाल है कि क्या भाजपा घोष के खिलाफ एक्शन लेगी? जाहिर है नहीं, बीजेपी को अगर कार्रवाई करनी होती तो वह घोष के अब तक आए बयानों को लेकर उन पर शिकंजा कसती। ऐसे में कहा जा सकता है कि ऐसे नेताओं को उसकी ओर से खुली छूट है, जो इस तरह के बयान देते हैं।
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हर दल को पूरा अधिकार है कि वह अपनी ताकत दिखाए, जनता के सामने अपनी बातों को रखे, लेकिन किसी भी तरह का सांप्रदायिक ध्रुवीकरण, किसी मजहब, जाति के मतदाताओं के ध्रुवीकरण के लिए भड़काऊ बयान देने पर उस नेता के खिलाफ तुरंत और सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए।