जुबिली न्यूज़ ब्यूरो
नई दिल्ली. मध्य प्रदेश के बैतूल जिले में एक डॉक्टर ने इस सादगी से अपनी शादी की कि वह पूरे देश में चर्चा का विषय बन गई. जिस दौर में लोग शादियों पर लाखों करोड़ों लुटा रहे हैं उस दौर में इस डॉक्टर ने बारात ले जाने के लिए बैलगाड़ी का इस्तेमाल किया. फूलों से सजी इसी बैलगाड़ी में वह अपनी दुल्हन को लेकर वापस लौटे. यह शादी बैतूल के चिचोली ब्लाक के आदिवासी गांव असाढ़ी में हुई.
डॉ. राजा धुर्वे न सिर्फ एमबीबीएस डॉक्टर हैं बल्कि मोटीवेशनल स्पीकर भी हैं. उनकी शादी थी तो ज़ाहिर है कि बड़ी संख्या में मेहमानों का भी जमावड़ा था लेकिन डॉक्टर ने अपनी शादी के ज़रिये समाज को सादगी का संदेश देने का ऐसा तरीका खोजा कि अब हर तरफ उसी की चर्चा है. बारात ले जाने के लिए डॉ. धुर्वे ने बैलगाड़ी को इतनी ख़ूबसूरती से सजवाया कि शानदार से शानदार बग्घी भी फेल हो जाए. ग्रामीण संस्कृति की पहचान की प्रतीक बैलगाड़ी दुल्हन के घर की तरफ बढ़ी तो जो जहां था वहीं से यह नज़ारा देखता रह गया.
डॉ. धुर्वे ने अपनी बारात ले जाने वाली बैलगाड़ी को सजाने में जनजातीय लोक कलाओं का सहारा लिया. दूल्हे की बैलगाड़ी के साथ मेहमानों को ले जाने के लिए चार बैलगाड़ियाँ और भी पीछे-पीछे चल रही थीं. इन बैलगाड़ियों में महिलाओं, बुजुर्गों और बच्चो को बिठाया गया था. जनजातीय लोकनृत्य और लोकवाद्यों के साथ इठलाती हुई बैलगाड़ी दुल्हन के दरवाज़े पर पहुँची तो लोग वह-वाह कर उठे. दूल्हा और दुल्हन के घरों के बीच की दूरी सिर्फ तीन किलोमीटर थी इसलिए यह बारात पूरे मनोरंजन के साथ अपना सफर तय करती नज़र आयी.
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