जुबिली पोस्ट ब्यूरो
लखनऊ। राजधानी में होने वाली आपराधिक घटनाओं की दौड़भाग पर चुनाव की ड्यूटी भारी पड़ने लगी है। इलेक्शन की तैयारियों का बहाना बनाकर पुलिस कर्मचारी रूटीन के मामलों को टाल रहे हैं। थानों और चौकियों पर फरियाद लेकर पहुंचने वाले लोगों को चुनावी व्यस्तता का हवाला दिया जा रहा है। जबकि, सिर्फ चुनाव आचार संहिता लागू होने से तहसील और थाना समाधान दिवस पर ही रोक है।
किसी अन्य घटना की सूचना पर पुलिस हांफ जा रही है। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि चुनाव को देखते हुए तैयारियां चल रही हैं। वीआईपी मूवमेंट को देखते हुए पुलिस कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई जा रही है। जबकि हमारी पड़ताल में अपराध और लूट की घटनाये लगातार बढ़ रही है।
हाल की कई आपराधिक घटनाओं ने पुलिस का सिरदर्द बढ़ा दिया है। आए दिन छिनैती, लूट और चोरी हो रही है। इस पर पुलिस बजाय ठोस कार्रवाई के चुनाव में व्यस्तता का बहाना बना रही है। इससे लोगों में पुलिस से भरोसा उठ रहा है। पुलिस से जुड़े लोगों का कहना है कि सनसनीखेज घटनाओं की सूचना पर पुलिस पहुंच जाती है। लेकिन अन्य समस्याओं के समाधान के लिए वक्त निकालना मुश्किल है।
आचार संहिता लगने के बाद लखनऊ पुलिस की कार्रवाई ठप, बेखौफ हो गए बदमाश, लोगों की समस्याओं का नहीं हो रहा समाधान, चुनाव में व्यस्तता का बना रहे बहाना
आस पास के जिलों में भी होती है ड्यूटी
लोकसभा चुनाव के पांचवे चरण में 6 मई को राजधानी में इलेक्शन होंगे। इसके पूर्व अन्य चरणों का मतदान कराने के लिए लखनऊ से पुलिस बल ड्यूटी के लिए बाहर भेजी जाएगी। कई चरण में चुनाव कराने के लिए पुलिस बल भेजने की तैयारी की गई है। हर जगह से फोर्स मांगकर रवानगी लिस्ट तैयार की जा रही है। राजधानी से हज़ारो लोगों को अन्य जगहों पर चुनाव ड्यूटी में भेजा जाएगा।
इस वजह से फोर्स की भारी कमी महसूस की जा रही है। इलेक्शन को देखते हुए 15 मार्च से ही सभी पुलिस कर्मचारियों के अवकाश पर रोक लगा दी गई है। रोजाना फ्लैग मार्च निकालकर पुलिस लोगों को सुरक्षा का भरोसा दिलाने में जुटी है। जब इस मामले पर लखनऊ वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक से पूछा गया तो उन्होंने व्यस्तता का हवाला देते हुए बाद में बताने की बात कही।
चुनाव में यूं व्यस्त रहती है पुलिस
- बदमाशों के ऐसे वक्त का इंतजार रहता है जब पुलिस ज्यादा बिजी हो।
- इलेक्शन के दौरान पुलिस का पूरा जोर शांति व्यवस्था बनाए रखने में होता है।
- चुनाव के दौरान वीआईपी मूवमेंट होने से अन्य तरह की ड्यूटी करीब बंद हो जाती है।
- थानों और चौकियों पर तादात कम होने से पुलिसकर्मचारी अक्सर तनाव में रहते हैं।
- अन्य ड्यूटियों की दौड़भाग में अक्सर थाने और पुलिस चौकी खाली हो जाते हैं।
इन समस्याओं का करना पड़ता है सामना
- आपसी विवादों की सूचना पर पुलिस दोनों पक्षों के साथ पंचायत नहीं कर पाती।
- भूमि पर कब्जे और नाली- नाबदान की शिकायतों की जांच और समाधान में वक्त लगता है।
- पुलिस के विभाग के रूटीन के अन्य सभी कामों के लिए फोर्स की कमी हो जाती है।
- चुनाव की दौड़भाग में अफसर और थानेदार अपने दफ्तर में पूरा समय नहीं दे पाते हैं।
- आचार संहिता के अनुपालन की व्यस्तता से थानों पर तैनात पुलिस बल पर्याप्त समय नहीं दे पाते हैं।
- जगह- जगह बैरियर बनाकर चेकिंग शुरू करा दी गई है। थानों के सिपाही वहां भी तैनात किए जा रहे हैं।