Thursday - 7 November 2024 - 2:41 AM

राप्ती नदी की धारा मोड़ न दे योगी की सियासत का रुख

पॉलीटिकल डेस्क

गोरखपुर जिले में बांसगांव तहसील के कुशवासी इलाके के लाखों लोग राप्ती नदी की धारा मोड़े जाने की वजह से खासा नाराज हैं। अपने गांव और खेत को बचाने के लिए ये सड़क पर उतर गये हैं। अपनी समस्या के लिए ये लोग सीएम योगी को जिम्मेदार मान रहे हैं।

इन लोगों ने प्रदेश सरकार की इस तुगलकी योजना के खिलाफ पूरी ताकत से लड़ने का संकल्प लिया है और चुनाव में सबक सिखाने की बात कही है।

कुशवासी इलाके में सैकड़ों गांव हैं, जो राप्ती नदी के किनारे पर बसे हैं। यह इलाका ब्राह्मण बाहुल्य है। ब्राह्मणों की नाराजगी को देखते हुए सवाल उठने लगा है कि क्या ब्राह्मणों को नाराज कर सीएम योगी चुनाव में जीत का परचम लहरा पायेंगे।

ऐसी चर्चा है कि गोरखपुर संसदीय क्षेत्र के ब्राह्मण पहले से नाराज हैं। ऐसी दशा में सीएम योगी का ब्राह्मण दांव उलटा न पड़ जाए।

नदी की धारा मोड़ने के विरोध में आर पार के संघर्ष का ऐलान

कुशवासी इलाके मे करजंही गांव के समीप राप्ती नदी की धारा मोड़ने के खिलाफ 14 अप्रैल को करजंही गांव में राप्ती तट पर अईमा, करजंही, नवापार, कतरारी, बेला आदि गांव के सैकड़ों लोगों ने जनपंचायत लगाई।

पंचायत में आये लोगों ने नदी की धारा मोड़ने के विरोध में आर पार के संघर्ष का ऐलान किया और ‘नदी बचाओ – गांव बचाओ संघर्ष समिति’ का गठन किया।

 

लोगों ने हाथ में राप्ती का जल लेकर संकल्प लिया और कहा कि प्रदेश सरकार की इस तुगलकी योजना के खिलाफ हम पूरी ताकत से लड़ेंगे और इसे किसी भी कीमत पर सफल नहीं होने देंगे। संघर्ष समिति ने निर्णय लिया कि अगर जरूरत पड़ी तो संसदीय चुनाव का बहिष्कार किया जायेगा।

योगी के खिलाफ फूंका बिगुल

कुशवासी इलाके के लोग मानते हैं कि सीएम योगी के फरमान पर ही सिंचाई विभाग राप्ती नदी की धारा मोड़ रहा है। 14 अप्रैल को जनपंचायत में लोगों ने कहा कि नदी की धारा मोड़ने की योजना सिर्फ सरकारी धन की लूट के लिये बनायी गयी है।

मुख्यमंत्री विकास की योजनाओं पर कार्य करने की बजाय विनाश की योजनाएं बनाने और क्रियान्वित करने मे लगे हैं, और यही सब इनके पतन का कारण बनेगा।

लंबे समय से नदी और पर्यावरण के लिए काम करने वाले विश्व विजय कहते हैं, ‘राज्य सरकार को जनसरोकारों से कोई लेना-देना नहीं रह गया है। यह कोई सामान्य मामला नहीं है, यहां नदी की धारा मोडऩे से सैकड़ों वर्षों से बसे इन गांवों के अस्तित्व पर खतरा उत्पन्न हो जायेगा। नदी की धारा मोड़ने का मतलब करजंही, अईमा, कतरारी, नवापार, बेला आदि गांवों को मौत के मुंह में धकेल देने जैसा है।

विश्व विजय कहते हैं बिना किसी रिसर्च के नदी की धारा मोड़ी जा रही है। पर्यावरण पर इसका क्या फर्क पड़ेगा, यह भी नहीं सोच रही सरकार। कछार क्षेत्र में जब नदी खुद अपनी धारा मोड़ती है तो जमीनों पर गांवों में कब्जे को लेकर संषर्घ छिड़ जाता है। सरकार के इस कदम से गांवों में तो संषर्घ छिड़ेंगा ही साथ पर्यावरण के साथ खेतों को भी भारी नुकसान होना तय है।

ब्राह्मणों के समर्थन के बिना कैसे दांव जीतेगी बीजेपी

गोरखपुर संसदीय क्षेत्र में करीब डेढ़ लाख मतदाता ब्राह्मण हैं। चुनाव में इनकी भूमिका महत्वपूर्ण होती है। 2018 में गोरखपुर उपचुनाव छोड़ दिया जाये तो गोरखपुर में पिछले तीस साल से एक तरफा चुनाव होता रहा है। इसमें ब्राह्मणों की भूमिका महत्वपूर्ण रही है।

गोरखपुर उपचुनाव में बीजेपी की हार की वजह सवर्ण वोटरों की नाराजगी बताई गई थी। सवर्णों में ब्राह्मण, क्षत्रिय और कायस्थ शामिल है। इनकी नाराजगी ने योगी के अजेय गढ़ की दीवारों को हिला दिया।

एक बार फिर योगी को अपनी प्रतिष्ठा और गढ़ को बचाने के लिए जीत की दरकार है। पिछले कुछ महीनों से यहां के ब्राह्मण योगी से खासा नाराज हैं। वह इतने नाराज है कि उन्होंने लोक सभा चुनाव के बहिष्कार का ऐलान कर दिया है।

इस बार योगी ने ब्राह्मण दांव खेलते हुए भोजपुरी स्टार रवि किशन को मैदान में उतारा है। अब सवाल उठता है कि ब्राह्मणों को नाराज कर योगी कैसे जीत का परचम लहरायेेंगे।

Radio_Prabhat
English

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com