न्यूज डेस्क
मजबूरी का नाम महात्मा गांधी। ऐसा ही कुछ बल्ले से सरकारी कर्मचारी को पिटाई करने के लिए सुर्खिया बंटोर चुके इंदौर के विधायक आकाश विजयवर्गीय के साथ है। आकाश जेल से रिहा हो गए हैं और अब वह गांधी जी के बताए मार्ग पर चलेंगे। हालांकि उन्हें अपने पिछले कृत्य का कोई मलाल नहीं है। अपनी इमेज चमकाने के लिए आकाश मजबूरी में ही सही महात्मा गांधी के शरण में पहुंच गए हैं।
मध्य प्रदेश के इंदौर भाजपा विधायक आकाश विजयवर्गीय जमानत मिलने के बाद रविवार को जेल से बाहर आ गए। उनके समर्थकों ने किसी नायक की तरह उनका स्वागत किया। वहीं, नारों के बीच आकाश विजयवर्गीय ने कहा कि उन्हें अपने कृत्य पर कोई पछतावा नहीं है। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि अब वे गांधी के बताए रास्ते पर चलने की कोशिश करेंगे।
इंडियन एक्सप्रेस में प्रकाशित खबर के मुताबिक विधायक ने कहा, मुझे (इस घटना को लेकर) कोई दुख या पछतावा नहीं है। एक जानकारी मिली थी कि मेरे विधानसभा क्षेत्र के कुछ कांग्रेस नेता नगर निगम से साठ-गांठ कर घर खरीद रहे हैं और वे उन्हें (मकान) तोड़ कर गरीबों को बेघर कर रहे हैं।
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उसके बाद मैंने उनसे अनुरोध किया था। मैं उनका चुना हुआ प्रतिनिधि हूं। क्या मुझे पूछने का हक नहीं है कि क्या हो रहा है? मैंने उनसे यह भी कहा था कि उन्हें जो भी कार्रवाई करनी है मुझे सूचना देने के बाद करें, (लेकिन) उन्होंने मेरी बात बिलकुल नहीं सुनी।
आकाश ने पूरे मामले पर विस्तार से बताते हुए कहा कि, ‘उन्होंने एक इमारत को नोटिस भेजा था जिसमें एक गरीब परिवार रहता है। वह मेरे पास आया था। मैंने कमिश्नर को फोन किया और उन्हें घर की तस्वीरें भेजीं। मैंने उन्हें बताया कि परिवार बहुत गरीब है। उनके यहां एक विकलांग महिला भी है। यह मानसून का मौसम है और उनके पास रहने के लिए कोई और जगह नहीं है। मेरा अनुरोध है कि इन्हें कुछ समय दिया जाए।’
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आकाश ने आगे बताया, मैंने डिप्टी कमिश्नर को फोन किया। उन्होंने कहा कि इस बारे में कमिश्नर कोई फैसला लेंगे। घटनास्थल पर मौजूद व्यक्ति (अधिकारी) से मैंने कहा था कि वह कार्रवाई रोक दे, लेकिन मेरे कहने के बाद उसने और जल्दबाजी दिखाते हुए महिलाओं को खींचना शुरू कर दिया।
उन्होंने जेसीबी चला दी थी। मैं जब वहां पहुंचा तो पुलिस सुरक्षा के बीच महिलाओं को (बाहर) खींचा जा रहा था। मैंने उनसे (अधिकारियों) वहां से चले जाने को कहा। उन्हें दूर करने के लिए मुझे हाथ में बल्ला लेना पड़ा।
आकाश विजयवर्गीय का कहना है कि वे अपने इस व्यवहार को गलत करार नहीं देंगे। वे कहते हैं, ‘मैंने क्या किया। अगर मुझे पांच मिनट और देर हुई होती तो उन्होंने मकान गिरा दिया होता। वे और ज्यादा बुरा बर्ताव करते। (इसलिए) मुझे कोई पछतावा नहीं है, लेकिन में भगवान से प्रार्थना करता हूं कि फिर मुझे ऐसा करने का मौका न मिले। मैं अब भविष्य में गांधीजी के रास्ते पर चलना चाहता हूं।’