Friday - 25 October 2024 - 8:36 PM

गलती से भी दूसरों को आत्महत्या के लिए न उकसाएं

न्यूज डेस्क

हत्या करना एक अपराध है ये बात सभी को मालुम है। पर आत्महत्या करना भी एक अपराध है ये बात शायद सब लोगों को न मालुम हो। और तो और आत्महत्या के लिए उकसाना भी एक अपराध है और इसके लिए कानून में बाकायदा सजा का प्रावधान है। इसलिए आत्महत्या से भी बचिए और दूसरों को आत्महत्या के लिए उत्साहित भी मत कीजिये।

बड़े बूढ़े समझा गये है कि सोच समझकर बोलना चाहिए। इसी को संतो की भाषा में तोल मोल कर बोलना कहते है। बोलते समय हमेशा ध्यान रखना चाहिए कि मुंह से ऐसा कुछ न निकले जो दूसरे को बुरा लगे, आपत्तिजनक लगे या फिर इतना अपमानजनक लगे कि व्यक्ति आत्महत्या के लिए मजबूर हो जाए।

यहां मैं दो ऐसे मुकदमो का जिक्र कर रहा हूं जिसमे अपमानजनक शब्दों से आहत होकर दो लोगों ने आत्महत्या कर ली। ये बात अलग है की कोर्ट ने माना कि प्रयुक्त किये गये अपमानजनक शब्द आत्महत्या के लिए उकसाने के अपराध के दायरे में नहीं आते हैं। पर जाने वाले की जान तो चली गई और कोर्ट किसी को अपराधी न माने तो इससे आत्महत्या करने वाला जिन्दा तो नहीं हो सकता।

मामला कानूनी दांवपेंच का भले ही हो, पर बोलते समय हमेशा ध्यान रखना चाहिए कहीं उसके मुंह से फूटे वचन किसी की जिन्दगी पर भरी न पड जाये।

एक मामला पश्चिम बंगाल का है जिसमे एक लड़के के माता पिता ने एक लड़की को ‘कॉल गर्ल’ कह दिया था जिससे आहत होकर लड़की ने आत्महत्या कर ली थी। 15 साल तक इस बात के लिए मुकदमा चला कि कॉल गर्ल कहना किसी लड़की के लिए आत्महत्या के लिए उत्साहित करने का अपराध बनता है कि नहीं।

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस इंदु मल्होत्रा और जस्टिस आर सुभाष रेड्डी ने अपने फैसले में कहा कि गुस्से में कहा गया एक शब्द आत्महत्या के लिए उकसाने का पर्याप्त कारण नहीं माना जा सकता। इस प्रकार लड़के के माँ बाप आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोप से बरी हो गये।

सुप्रीम कोर्ट ने एक अन्य मामले में पति द्वारा पत्नी को आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोप से इस आधार पर बरी कर दिया कि गुस्से में आकर पत्नी को ‘जाकर मर जाओ’ कहना मात्र आत्महत्या के लिए उकसाने की श्रेणी में नहीं माना जा सकता है।

ये बात ठीक है कि किसी लड़की को कॉल गर्ल कह देना और पत्नी को गुस्से में ‘जाकर मर जाओ’ कह देने से इतना आहत होने की जरुरत नहीं है कि लोग दुखी होकर आत्महत्या कर ले। पर ये बात परिपक्व दिमाग वालों के लिए ही ठीक है। कमजूर दिमाग वाले या अतिभावुक लोग आत्महत्या का अपराध कर सकते है। इसलिए समझदार लोगों को सोच समझकर ही बोलना चाहिए।

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