Tuesday - 29 October 2024 - 7:17 AM

श्राप नहीं है बेटी होना, इस बात को अपनाने दो

प्रीति सिंह

कह लेने दो अपने मन की, कर लेने दो अपने दिल की
अब इस बात का विश्वास तो हो जाने दीजो
की वो खुद कहे की…
अगले जनम मोहे बिटिया ही कीजो।।

यह कुछ पंक्तियां इस देश की सिस्टम की कमजोरी को बयां करती है। यह पक्तियां सरकार से, सिस्टम से बदलने के लिए गुहार लगाती है। यह गुहार उन महिलाओं और बच्चियों की है जो बलात्कार की शिकार हो चुकी हैं।

भारत में महिला-बच्चियों की सुरक्षा अहम मुद्दा रहा है। सरकारों ने कठोर कानून बनाए लेकिन इनके खिलाफ हिंसा नहीं रूकी। लचर कानून-व्यवस्था की वजह से कुंठित मानसिकता वालों का मनोबल बढ़ता गया और महिला-बच्चियां इनकी शिकार होती गई।

निर्भया, आसिफा, ट्विंकल को कौन भूल सकता है। ये लोगों के जेहन में आज भी मौजूद है। कारण सबको पता है। इन बच्चियों के साथ दरिंदगी की सारी सीमा पार कर दी गई थी। इस देश में हर साल हजारों बच्चियां ऐसी दरिंदगी का शिकार होती हैं और इनके हजारों दोषियों को सजा नहीं मिलती।

दो चार साल के आंकड़ों पर नजर डालने की जरूरत नहीं है। सिर्फ छह माह के आंकड़े रोंगटे खड़े करने वाले हैं। 2019 की पहली छमाही में बच्चों से बलात्कार के 24 हजार से ज्यादा मामले दर्ज हुए हैं। साल एक जनवरी से 30 जून के बीच देशभर में बच्चों के बलात्कार के मामले में 24,212 एफआईआर दर्ज हुई है।

सुप्रीम कोर्ट ने भी जताई चिंता 

सुप्रीम कोर्ट ने देश में बढ़ रहे बच्चों के बलात्कार के मामलों पर स्वत: संज्ञान लिया है और इससे निपटने के लिए दिशानिर्देश तैयार करने का फैसला किया है।

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चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस दीपक गुप्ता और अनिरुद्ध बोस की पीठ ने कहा कि इस साल एक जनवरी से 30 जून के बीच देशभर में बच्चों के बलात्कार के मामले में 24,212 एफआईआर दर्ज हुई है। पीठ ने कहा कि इनमें से 11,981 मामलों की जांच की जा रही है और 12,231 मामलों में चार्जशीट दायर की गई है।

पीठ ने भी चिंता जताते हुए कहा कि सिर्फ 6,449 मामलों में सुनवाई शुरू हुई है। यह काफी चौंकाने वाला है कि बाकी मामलों में अभी तक सुनवाई क्यों नहीं शुरू हुई।

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पीठ का कहना है कि निचली अदालतों ने अब तक सिर्फ 911 मामलों पर फैसला लिया है, जो कुल दर्ज मामलों का लगभग चार फीसदी है।
अदालत ने वरिष्ठ अधिवक्ता वी गिरी से इस मामले में एमिक्स क्यूरी (न्यायमित्र) के तौर पर सहयोग करने को कहा उन्हें यह सुझाव देने को कहा कि इन मामलों के जल्द निपटारे के लिए क्या किया जा सकता है।

पीठ ने गिरी से कहा, ‘इनकी कमियों की तरफ देखें।’ अदालत ने कहा कि इन मामलों में अदालत के समक्ष पेश किए गए राज्यवार ब्योरे और सामूहिक आंकड़े गिरी को उपलब्ध कराए जाएं। इस मामले की अगली सुनवाई 15 जुलाई को निर्धारित की गई है।

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