जुबिली न्यूज़ डेस्क
नई दिल्ली. ऑनलाइन खरीददारी पर सबसे ज्यादा भरोसा करने वालों के लिए सावधान हो जाने का समय है. ऑनलाइन मोबाइल फोन खरीदने वालों के साथ कई बार फ्राड हुआ है और उन्हें मोबाइल की जगह साबन या उसी वजन की कोई और चीज़ पहुँच गई है लेकिन फ्राड करने वालों को किसी की ज़िन्दगी और मौत से भी कोई लेना देना नहीं है. ऑनलाइन रेमडेसिविर इंजेक्शन मंगाने की सोच रहे हैं तो ऐसा मत करियेगा क्योंकि ऑनलाइन खरीदा हुआ इंजेक्शन नकली भी हो सकता है.
रेमडेसिविर इंजेक्शन कोरोना मरीजों को दिया जाता है. दवा की दुकानों पर यह आसानी से उपलब्ध नहीं है इसलिए बहुत से लोग इसे ऑनलाइन खरीद रहे हैं. ऑनलाइन इंजेक्शन मंगाने वालों को नकली इंजेक्शन मिल सकता है क्योंकि इस इंजेक्शन की सप्लाई पूरी तरह से सरकार ने अपने हाथ में ले ली है. आपको अपने मरीज़ के लिए यह इंजेक्शन चाहिए है तो इसे ऑनलाइन खरीदने की गलती न करें. वर्ना यह आपके मरीज़ के लिए घातक हो सकता है.
एक समाचार के अनुसार साइबर एक्सपर्ट को जानकारी मिली है कि रेमडेसिविर इंजेक्शन, आक्सीमीटर और फेबी फ़्लू जैसी दवाइयों के नाम पर रोजाना दस हज़ार से ज्यादा लोग ठगी का शिकार हो रहे हैं. ठगी का शिकार बहुत से लोगों को तो इस बात की जानकारी ठगे जाने के बाद भी नहीं हो पाती.
साइबर एक्सपर्ट बताते हैं कि कोरोना संक्रमण झेल रहे मरीजों के रिश्तेदार अपने मरीज़ की सलामती के के लिए कोरोना संक्रमण के इलाज के ज़रूरी उपकरण और दवाइयों का तत्काल ऑनलाइन पेमेंट कर देते हैं लेकिन पैसे लेकर डिलीवरी न करने या फिर नकली भेजकर मरीजों की जान से खेलने वाले अपराधी पैसों के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं.
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रेमडेसिविर इंजेक्शन की पूरी सप्लाई की ज़िम्मेदारी अब सरकार के हाथ में है. इसलिए किसी कोरोना मरीज़ को यह इंजेक्शन लिखा जाए तो मरीज़ के परिजन डॉक्टर के पर्चे के साथ अपने जिले के मुख्य स्वास्थ्य अधिकारी से ऑनलाइन आवेदन करें. इस आवेदन के साथ मरीज़ का आधार कार्ड भी देना होगा. मुख्य स्वास्थ्य अधिकारी आवेदन प्राप्त होने के बाद मरीज़ के डॉक्टर को सीधे इंजेक्शन मुहैया कराएगा.