Saturday - 2 November 2024 - 8:16 AM

‘रिजॉर्ट पॉलिटिक्स’ के जनक कैसे ईडी के शिकंजे में फंसे

न्‍यूज डेस्‍क

कांग्रेस के कद्दावर नेता और पूर्व वित्तमंत्री पी चिदंबरम के बाद अब गांधी परिवार के एक करीबी नेता डीके शिवकुमार ईडी और आयकर विभाग ने अपने शिकंजे में ले लिया है। डीके शिवकुमार को मनी लॉन्ड्रिंग मामले में प्रवर्तन निदेशालय ने गिरफ्तार कर लिया है।

बता दें कि ईडी ने चार बार की पूछताछ के बाद डीके शिवकुमार को गिरफ्तार किया है। ईडी के मुताबिक शिवकुमार पूछताछ में सहयोग नहीं कर रहे हैं। डीके शिवकुमार के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का मामला 2017 से चला आ रहा है।

डीके शिवकुमार ने ईडी की गिरफ्तारी से बचने के लिए कर्नाटक हाईकोर्ट में अग्रिम जमानत की अर्जी दाखिल की थी, लेकिन कोर्ट ने अर्जी खारिज कर दी थी. ईडी के बार-बार नोटिस भेजने के बावजूद वो पेश नहीं हो रहे थे, जिसके बाद ईडी ने उन्‍हें गिरफ्तार कर लिया।

बताते चले कि नोटबंदी के बाद डीके शिवकुमार इनकम टैक्स और ईडी की राडार पर थे। 2 अगस्त 2017 को ईडी ने डीके शिवकुमार के घर और ऑफिसों में रेड डाली थी. डीके शिवकुमार के दिल्ली के सफदरजंग बंगले में 11 करोड़ कैश मिले थे, जिसके बाद इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने उनके खिलाफ मामला दर्ज किया था। डीके शिवकुमार के साथ उनके 4 सहयोगियों के खिलाफ भी केस दर्ज है। इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की चार्जशीट के बाद शिवकुमार के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज हुआ है।

इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने शिवकुमार के हवाला लेनदेन और उनके पास बेहिसाब कैश का पता भी लगाया है। डीके शिवकुमार अपनी बेटी के साथ जुलाई 2017 में सिंगापुर गए थे। वहां हुए फायनेंसियल ट्रांजैक्शन के बारे में ईडी पूछताछ कर रही है।

डीके शिवकुमार कर्नाटक के सबसे अमीर नेताओं में से हैं। 2019 के लोकसभा चुनाव में दाखिल हलफनामे में उन्होंने अपनी और अपने परिवार की कुल संपत्ति 840 करोड़ बताई थी। इसके पहले 2013 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने कुल 251 करोड़ की संपत्ति की घोषणा की थी। यानी सिर्फ 6 साल में उन्होंने 600 करोड़ रुपए कमा लिए।

2019 के हलफनामे में डीके शिवकुमार ने अपने पास 70 करोड़ की चल संपत्ति और 548 करोड़ की अचल संपत्ति की जानकारी दी थी। जबकि इसके पहले 2013 में उनके पास 46 करोड़ की चल संपत्ति और 169 करोड़ की अचल संपत्ति थी।

2019 में दी गई जानकारी के मुताबिक डीके शिवकुमार के परिवार के ऊपर 220 करोड़ की देनदारी है। इसमें उनकी बेटी ऐश्वर्या के ऊपर 46 करोड़ की देनदारी जबकि उनके पास 107 करोड़ की संपत्ति है।

इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने अपनी जांच में डीके शिवकुमार के पास 429.32 करोड़ की बेनामी संपत्ति का पता लगाया था। मार्च 2019 में डिपार्टमेंट ने उनकी 75 करोड़ की संपत्ति जब्त कर ली थी। इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने बताया था कि डीके शिवकुमार ने किसी दूसरे शख्स के नाम पर जमीन खरीदकर संपत्ति बनाई थी, जिसका वो हिसाब नहीं दे पा रहे थे।

वोकालिग्गा समुदाय से आने वाले कर्नाटक में कांग्रेस के चाणक्य हैं डीके शिवकुमार। उन्हें चुनाव प्रबंधन में माहिर माना जाता है। वो पार्टी को हर संकट से उबारने का माद्दा रखते हैं। फंड जुटाने से लेकर वो सभा रैलियों में भीड़ जुटाने का काम करते हैं।

कर्नाटक में कांग्रेस-जेडीएस की सरकार बचाने के लिए डीके शिवकुमार ने एड़ी-चोटी का जोर लगा दिया था। सरकार को बचाने में लगे डीके शिवकुमार के बारे में येदियुरप्पा ने कहा था कि जनता शिवकुमार की हरकतों के बारे में जानती है। वो इस तरह के मामले संभालने में माहिर हैं।

डीके शिवकुमार को रिजॉर्ट पॉलिटिक्स का जनक कहा जाता है। वो मुश्किल वक्त में सरकार बचाने में माहिर माने जाते हैं। हालांकि वो कर्नाटक में कांग्रेस-जेडीएस की गठबंधन सरकार बचा नहीं पाए।

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गुजरात राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस के दिग्गज नेता अहमद पटेल को जिताने में डीके शिवकुमार का अहम रोल रहा है। इस जीत में डीके शिवकुमार की काफी चर्चा रही थी। इसी के बाद वो कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व के करीब आ गए।

डीके शिवकुमार कांग्रेस-जेडीएस की पिछली गठबंधन सरकार में सिंचाई मंत्री थे। उसके पहले सिद्धारमैया की सरकार में उन्होंने उर्जामंत्री का पद संभाला था। वो कनकपुरा विधानसभा सीट से जीते हैं।

डीके शिवकुमार की राजनीति की शुरुआत कुमारस्वामी के पिता एच. डी. देवेगौड़ा के खिलाफ चुनाव लड़ कर हुई थी। 1985 के विधानसभा चुनाव में वोक्कालिगा समुदाय के सबसे बड़े चेहरे एचडी देवेगौड़ा को डीके शिवकुमार ने सातनूर सीट से चुनौती दी थी। शिवकुमार यह चुनाव तो 15,803 के मार्जिन से हार गए।

1985 में देवगौडा दो सीटों होलानरसीपुर और सातनूर से चुनाव लड़े और दोनों पर जीत हासिल की थी। उन्होंने सातनूर की सीट छोड़ दी। यहां हुए उपचुनाव में डीके शिवकुमार फिर मैदान में उतरे और जीत गए। यहीं से उनके सियासी करियर की शुरुआत हुई।

1989 में अपना दूसरा चुनाव भी यहीं से जीतने के बाद वो एस. बंगारप्पा की सरकार में जूनियर मिनिस्टर भी बन गए थे। शिवकुमार और देवेगौड़ा परिवार के बीच दूसरी सीधी चुनावी टक्कर 1999 में हुई। जब उन्होंने एचडी कुमारस्वामी को सातनूर से हराया था।

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