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सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों के बाद दिवाली में पटाखे कम ही देखने को मिल रहे है। लेकिन इनका क्रेज कम नहीं हुआ है। गूगल पर ग्रीन क्रेकेर्स ट्रेंड करने की वजह से इस बात का पता चल रहा है। क्या आप जानते है ग्रीन क्रैकर्स के बारे में और इन्हें क्यों ईको फ्रेंडली माना जाता है।
ग्रीन पटाखे दिखने, जलाने और आवाज में आम पटाखों की तरह ही होते हैं। बस फर्क सिर्फ इतना होता है कि पटाखों के जलाने के बाद सामान्य पटाखों के मुकाबले कम प्रदूषण होता है। पिछले दो सालों में ग्रीन क्रैकर्स बाजार में काफी पसंद किये जा रहे है।
क्या होते है ग्रीन पटाखे
ग्रीन पटाखे उन पटाखों को कहा जाता है जिनके पास एक रासायनिक फॉर्मूलेशन है। ये पानी के मॉलिक्यूल्स का उत्पादन करता है। ये उत्सर्जन के स्तर को काफी कम करता है और धूल को अवशोषित करता है। इन्हें जलाने से 40-50 प्रतिशत प्रदूषण कम होता है।
इसके अलावा इनमे 30-35 प्रतिशत तक, नाइट्रस ऑक्साइड और सल्फर ऑक्साइड जैसे हानिकारक गैसों और पार्टिकुलेट मैटर (कणों) में कमी का वादा करता है। ऐसा नहीं कि ग्रीन पटाखों को जलाने से प्रदूषण नहीं होता। लेकिन इसे जलाने के बाद जानलेवा गैस और प्रदूषण कम होगा।
ये तीन प्रकार के होते हैं. इनके नाम सेफ वॉटर एंड एयर स्प्रिंकलर्स, सेफ थर्माइट क्रैकर और सेफ मिनिमल एल्यूमिनियम हैं। इसके अलावा ये पटाखे सामान्य पटाखों की तुलना में सस्ते होते है।