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इस बार की दिवाली कुछ खास होने वाली है। इस बार दिवाली के दिन करीब 37 साल बाद महासंयोग बन रहा है। इससे महालक्ष्मीजी आप पर कृपा बरसाएगी। इसके साथ ही मां काली की आराधना भी आपको फल देगी। बता दें कि कार्तिक मास की चतुर्दशी 27 नवंबर को दिवाली धूमधाम से मनाई जाएगी।
ज्योतिषाचार्य आचार्य पंडित गिरीश चन्द्र तिवारी का कहना कि कार्तिक माह में साल की सबसे अंधेरी रात को दिवाली का मुख्य त्योहार मनाया जाता है। साथ ही कोई भी पूजा बिना दीपक जलाए पूरी नहीं मानी जाती है।
ज्योतिषाचार्य का कहना है कि दिवाली के दिन घर की अच्छी तरह से सफाई करें। खासकर मुख्य द्वार अच्छी तरह से साफ करें। इसके बाद मुख्य द्वार पर हल्दी का जल छिड़कें। साथ ही भगवान गणेश को दूब-घास और मां लक्ष्मी को कमल का पुष्प चढ़ाना चाहिए। ये वस्तुएं दोनों देवी-देवता को अत्याधिक प्रिय हैं।
इसके अलावा घर के बाहर रंगोली को जरुर बनाएं, क्योंकि रंगोली को शुभ माना जाता है। वहीं, घर के मुख्य द्वार पर जूते और चप्पल नहीं रखना चाहिए। दिवाली के दिन घर की रसोई में भी एक दीपक जला कर रखें। साथ ही पूजा के समय मां अन्नपूर्णा की भी पूजा करें।
शनिवार को नरक चतुर्दशी के साथ ही छोटी दिवाली भी है। ऐसे मान्यता है कि नरकासुर ज्योतिषपुर नगर का राजा था। जो मौजूदा समय में नेपाल में है नरकासुर की शक्ति से इंद्र, वरुण, अग्नि, वायु आदि सभी देवता चिंतित थे। उसने संतों के परिवारों की 16 हजार स्त्रियों को बंदी बना रखा था। इसेक बाद देवता औराषि-मुनि के कहने पर भगवान श्रीकृष्ण ने कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष के दिन नरकासुर का वध किया। उसके बाद देवताओं ने दिवाली मनाई।
दीवाली की तिथि और शुभ मुहूर्त
दीवाली / लक्ष्मी पूजन की तिथि: 27 अक्टूबर 2019
अमावस्या तिथि प्रारंभ: 27 अक्टूबर 2019 को दोपहर 12 बजकर 23 मिनट से
अमावस्या तिथि समाप्त: 28 अक्टूबर 2019 को सुबह 09 बजकर 08 मिनट तक
लक्ष्मी पूजा मुहुर्त: 27 अक्टूबर 2019 को शाम 06 बजकर 42 मिनट से रात 08 बजकर 12 मिनट तक
कुल अवधि: 01 घंटे 30 मिनट