लखनऊ। विश्व हाइड्रोग्राफी डे” के उपलक्ष में वाॅटरएड इंडिया, महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ वाराणसी एवं विज्ञान फाउंडेशन के संयुक्त तत्वावधान में ”ग्रीन सोशल वर्क एवं इकोसिस्टम रेस्टोरेशन” विषय पर आयोजित जल चौपाल (वेबीनार) में समाज कार्य विभाग के विद्यार्थियों के अलावा करीब 100 लोगो ने प्रतिभाग किया।
कार्यक्रम की शुरुआत करते हुए महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ वाराणसी के सोशल वर्क फैकल्टी के डीन, प्रोफ़ेसर संजय ने वाॅटरएड इंडिया, सोशल वर्क डिपार्टमेंट और अन्य विश्वविद्यालय से जुड़े छात्र एवं छात्राओं का स्वागत किया साथ ही विभाग द्वारा संचालित ग्रीन सोशल वर्क के बारे में बताते हुए विद्यार्थियों को प्रेरित किया कि कैसे हम ग्रीन सोशल वर्क के माध्यम से अपने आसपास के पर्यावरण को सुधार सकते हैं क्योंकि प्रकृति और संस्कृति का संयोग ही पर्यावरण है।
यह क्यों बिगड़ रहा है और हम इसे कैसे संयोजित कर सकते हैं इसी पर आधारित है। विकास का पर्यावरण पर बहुत ही नकारात्मक परिणाम देखने को मिलता है जितना हमने विगत 15 सौ वर्षों से अधिक समय में पर्यावरण को नुकसान नहीं किया था उससे अधिक मात्र विगत 50 वर्षों में विकास के नाम पर हमने पर्यावरण को नुकसान पहुंचाया है ।
जिसके कारण जलवायु परिवर्तन के संकट का सामना करना पड़ रहा है। जिसके दुष्प्रभाव सम्पूर्ण समाज पर तो पड़ता है है लेकिन सर्वाधिक दुष्प्रभाव समुदाय के सीमांत एवं वंचित वर्ग पर पड़ता है।
जिससे की आजीविका, स्वास्थ्य और रोजगार के अवसर बुरी तरह प्रभावित होते हैं साथ ही उनको पलायन का विष भी पीना पड़ता है। इस वेबिनार के माध्यम से वर्षा जल संचयन के कम लागत के मॉडल के विषय में समझने की आवश्यकता है जिससे कि स्वयं के स्तर पर समझ कर समाज को जागृत करने का प्रयास कर सकते हैं।
महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ वाराणसी के समाज कार्य विभाग की विभागाध्यक्ष, प्रोफेसर वंदना सिन्हा ने ग्रीन सोशल वर्क के माध्यम से पर्यावरण के संरक्षण के विषय में छात्र छात्राओं को जानकारी देते हुए बताया कि शहरीकरण और अनियंत्रित विकास के कारण भी पर्यावरण पर दुष्प्रभाव हुए हैं।
झुग्गी झोपड़ी में रहने वाले लोगों के साथ सोशल जस्टिस नहीं होता है जैसे कि सम्मानपूर्वक रहने का अधिकार, साफ सफाई की उचित व्यवस्था, पेयजल की व्यवस्था एवं अन्य बुनियादी सुविधाएं जो कि पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखने हेतु जरूरी होते हैं, उनसे उन्हें वंचित रहना पड़ता है जिसके कारण पर्यावरण में विसंगतियां होती हैं।
उन्होंने ग्रीन सोशल वर्क से जुड़े कुछ अभियानों के विषय में भी जानकारी दी जैसे कि चिपको आंदोलन, टेहरी डैम आंदोलन, बॉक्साइट माइनिंग के विरुद्ध आंदोलन आदि प्रमुख रहे। पानी का मुद्दा भी ग्रीन सोशल वर्क का ही एक अंग है और इसे लोगों के मध्य संवेदना के दृष्टिकोण से रखने की आवश्यकता है जिससे कि भविष्य के प्रति इसका निरंतर उपयोग सुनिश्चित हो सके।
वाॅटरएड इंडिया के कार्यक्रम समन्वयक डॉक्टर शिशिर चंद्रा ने जल चौपाल पर चर्चा करते हुए प्रतिभागियों को बताया कि पानी सभी से सीधा जुड़ा मुद्दा है और इसे साझे तरीके से ही सुलझाया जा सकता है।
पानी का मूलतः दो स्रोत हैं, ग्लेशियर और वर्षा का पानी। वाटर बजटिंग अपने आप में एक अनोखा शब्द है, जिस प्रकार हम अपने घर के कार्यक्रमों में खर्चे का बजटिंग करते हैं उसी प्रकार से हमें समुदाय के मध्य पानी के खर्च का बजटिंग कराना चाहिए जिससे कि उनमें यह समझ पैदा हो सके कि वह दैनिक कार्यों हेतु कितना पानी उपयोग में लाते हैं और प्रकृति द्वारा उन्हें कितना पानी उपलब्ध है जिससे कि वह डिमांड और सप्लाई को समझ सके, साथ ही भूमिगत जल की गणना वर्षा का चलन आदि को समझ कर यह अनुमान लगा सकें कि पानी को किस प्रकार से बुद्धिमत्ता पूर्ण ढंग से इस्तेमाल कर भविष्य के लिए संचित किया जा सकता है। उन्होंने प्रतिभागियों को वर्षा जल संचयन से जुड़े अनेक प्रकार के मॉडल को दिखाकर उन पर चर्चा की।
वॉटरएड इंडिया के क्षेत्रीय प्रबंधक फारुख रहमान खान ने बताया कि यूनाइटेड नेशन ने अगले 10 वर्षों के लिए इकोसिस्टम रेस्टोरेशन थीम का आवाहन साथ देशों से किया है और अगले 10 वर्षों तक इसी मुद्दे पर कार्य करने की आवश्यकता पर बल दिया है सरकार ने भी पानी के मुद्दों को प्रमुखता से लिया है और जल जीवन मिशन के अंतर्गत हर घर नल योजना भी चलाई जा रही है जिसमें अबतक 11% ग्रामीण क्षेत्रों में पाइप वाटर सप्लाई की उपलब्धता सुनिश्चित हो सकी है।
उन्होंने साथ ही यह भी बताया कि समाज कार्य विभाग से जुड़े छात्रों के लिए भी यहां एक अवसर के रूप में देखा जा सकता है जिसमें समुदाय का योगदान समुदाय की सहभागिता एवं विकसित संसाधनों के ऑपरेशन एवं मेंटेनेंस में उनकी भूमिका सुनिश्चित कराने में संस्थाओं के साथ जुड़कर अपना अहम योगदान दे सकते हैं।
इस वेबिनार में 15 शिक्षक, विभिन्न प्रदेशों के 90 विद्यार्थी,एवं विभिन्न स्वयं सेवी संगठनों के प्रतिनिधि भी सहभागिता किये।कार्यक्रम का संचालन कर रहे वॉटर एड इंडिया से डॉक्टर शिशिर चंद्रा ने किया। धन्यवाद ज्ञापन वाटर ऐड इंडिया के क्षेत्रीय निदेशक फरुख रहमान ने किया। सहभागियों ने इस तरह के आयोजन को लगातार आयोजित करने की दिशा में काम करने का सुझाव दिया।