रूबी सरकार
भोपाल नगर निगम और सेंट्रल पल्युशन कंट्रोल बोर्ड ने सार्थक संस्था के साथ मिलकर ई-वेस्ट का वैज्ञानिक तरीके निपटान के लिए आपसी समझौता किया है। इस समझौते के तहत विशेष रूप से युवाओं को जोड़ा गया है, जो कोविड-19 महामारी के बीच ई-वेस्ट कलेक्शन कर प्रतिदिन 400 से 500 रूपये तक कमा रहे हैं।
मध्यप्रदेश के अलग-अलग शहरों के लगभग ढाई सौ युवा ई-कचरे इकट्ठा करने के काम में लगे हैं, जो प्रतिमाह लगभग तीन टन ई-कचरा इकट्ठा कर लेते हैं।
सार्थक संस्था के संरक्षक इम्तियाज अली का कहना है, कि जितना ई-कचरा होता है, इकट्ठा किये गये पूरा कचरे का निपटान मैकेनिजम होता है। कचरा इकट्ठा करने के लिए मोबाइल और एम्बुलेंस को जोड़ा है, ताकि लोग आकर्षित और पर्यावरण के प्रति जागरूक हों।
दरअसल ई-कचरा को लेकर पर्यावरणविद्, नगर निगम और नागरिक सभी संवेदनशील है। परंतु इसका कोई सार्थक उपाय अब तक किसी को नहीं सूझ रहा था। संस्था ने इस दिशा में आगे बढ़ते हुए एक पुरानी बस शहर के बीचो-बीच खड़ा कर इसमें आम नागरिकों को जागरूक करना शुरू किया। जागरूक कार्यक्रम के अंतर्गत प्रस्तुतिकरण के जरिये यह बताया जाता है, कि किस तरह ई-कचरा पर्यावरण के साथ-साथ इंसान के शरीर को नुकसान पहुंचा रहा है, जिससे वे लंग कैंसर, स्कीन कैंसर से लेकर पुरूषार्थ की कमी जैसे रोगों से ग्रसित हो रहे हैं।
यह भी पढ़ें : सऊदी अरब ने भारत से आने और जाने वाली उड़ानों पर क्यों लगाई रोक
इतना ही नहीं, अली नगर निगम के अधिकारी व कर्मचारियों के साथ घर-घर जाकर इलेक्ट्रानिक कचरे के दुष्प्रभाव व इससे बचने के तरीकों की विस्तृत जानकारी दे रहे हैं। लोग भी इसमें बढ़चढ़ कर भाग ले रहे हैं और घर में रखे सालों पुराने कचरे को बाहर निकाल रहे हैं। इससे पहले वे ई-कचरा कबाड़ी को देते थे, जिसे कबाड़ी बेदर्दी से यहां-वहां रख देते थे। फलस्वरूप वातावरण प्रदूषित होने के साथ-साथ लोगों को बीमार भी कर रहा था।
अली ने बताया, इस कचरे को वैज्ञानिक तरीके से निष्पादित करने के लिए वे सारा कचरा अलवर स्थित सेंटर में (राजस्थान) भेजते हैं। अली के अनुसार लॉकडाउन के दौरान वे फोन से लोगों के संपर्क में थे और ज्यों ही अनलॉक हुआ, तो उन्होंने बेरोजगार युवाओं को जोड़कर घर-घर ई-कचरा इकट्ठा करना शुरू कर दिया। उनके अनुसार इनमें से लगभग 30 से 40 फीसदी काचरा दोबारा ठीक करके उपयोग में लाया जा सकता है। उन्होंने इसकी भी व्यवस्था की। इस तरह लोगों को सस्ते सामान उपलब्ध होने लगे।
संसद में भी ई-कचरे की क्लीनिक की मांग की गई और इसकी चर्चा भी संसद में हुई। संसद में इस संबंध में सांसदों द्वारा लगभग 6 प्रश्न पूछे गए और अपने-अपने संसदीय क्षेत्र में इसी तरह की ई-कचरे के लिए क्लीनिक की मांग की गई।
यह भी पढ़ें : आसान नहीं है सुरेश अंगड़ी होना
यह भी पढ़ें : अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर क्यों है घाटी के कश्मीरी पंडित?