जुबिली स्पेशल डेस्क
लखनऊ। हाल में संपन्न हुए लोकसभा चुनाव ने बीजेपी को गहरा जख्म दिया है। भले ही उसने अपने सहयोगियों के साथ मिलकर सरकार फिर से बना ली हो लेकिन उसका 400 प्लस का नारा पूरी तरह से फेल हो गया है और सिर्फ 240 सीट ही उसके खाते में गई।
इस वजह से अपने बल पर सरकार बनाना उसके बस में नहीं था। ये तो अच्छा रहा कि चुनाव से पहले नीतीश कुमार और नायडू एक साथ एनडीए में फिर से शामिल हो गए।
इसका नतीजा ये रहा कि एनडीए की सरकार फिर से बन गई लेकिन कुछ राज्यों में खासकर यूपी में उसका प्रदर्शन बेहद खराब रहा। अखिलेश यादव और राहुल गांधी ने मिलकर बीजेपी को यहां पर काफी नीचे पहुंचा दिया है। योगी की रणनीति पूरी तरह से फेल हो गई।
जिस पार्टी ने यहां पर पिछले दो लोकसभा चुनाव में अपना दबदबा कायम करने वाली पार्टी ने सिर्फ इस बार 33 सीट ही जीत पाई।
इस वजह से योगी पर अच्छा खासा दबाव देखने को मिल रहा है। इतना ही नहीं आम आदमी पार्टी और राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने बीजेपी को लेकर बड़ा बयान दिया था। उन्होंने कहा कि चुनाव से पहले अरविंद केजरीवाल ने कहा था कि दो महीने में योगी जी हटाए जाएंगे, इस बात का खंडन न तो मोदी ने किया, न अमित शाह ने और न ही पार्टी ने। अब योगी आदित्यनाथ को हटाने की योजना पर काम तेज हो गया है। अगर ये सच नहीं तो मोदी इस बात का खंडन करें। इसका संकेत भी मिलता दिख रहा है।
चुनाव में खराब प्रदर्शन को लेकर बीजेपी केंद्रीय नेतृत्व अलग-अलग नेताओं से मिलकर फीडबैक ले रहा है। इसी सिलसिले में केशव प्रसाद मौर्य और प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी भी दिल्ली पहुंचे है और पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात की है।बीजेपी विधायक सुशील सिंह ने इस मामले पर एक चैनल से बातचीत में कहा कि आज आदरणीय योगी आदित्यनाथ प्रदेश के मुखिया हैं। 2027 विधानसभा चुनाव के लिए भारतीय जनता पार्टी शीर्ष नेतृत्व का जो भी निर्णय होगा वह सभी को मान्य होगा। हमें उम्मीद है कि अगला चुनाव भी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के ही नेतृत्व में होगा। उन्होंने कहा कि कुछ लोग गुमराह हो गए थे उन्हें लगता था कि सरकार संगठन से बड़ी है।
माना जा रहा है कि उपचुनाव के साथ-साथ मौजूदा स्थिति पर लंबी बातचीत हुई है। दूसरी तरफ यूपी में बीजेपी में मचे घमासान पर अखिलेश यादव ने कहा कि बीजेपी पार्टी अंदरूनी झगड़े में फंसी हुई है। उन्होंने कहा कि बीजेपी की कुर्सी की लड़ाई की गर्मी में उत्तर प्रदेश में शासन-प्रशासन ठंडे बस्ते में चला गया है। तोडफ़ोड़ की राजनीति का जो काम बीजेपी दूसरे दलों में करती थी, अब वही काम वो अपने दल के अंदर कर रही है इसलिए बीजेपी अंदरूनी झगड़ों के दलदल में धंसती जा रही है। जनता के बारे में सोचनेवाला बीजेपी में कोई नहीं है।
कुल मिलाकर अगले कुछ दिनों साफ हो सकता है कि बीजेपी यूपी को लेकर अगला कदम क्या उठाती है। इसके अलावा उसकी नजर उपचुनाव पर खास तौर पर होगी।