- ‘ऑपरेशन नमस्ते है कोरोना के खिलाफ कारगर हथियार
- सैन्य परिवार के सदस्य भी कंधे से कंधा मिला लड़ रहे जंग
राजीव ओझा
कुछ दिन पहले एक खबर आई थी कि इंडियन आर्मी में केवल आठ लोग अब तक COVID-19 से संक्रमित पाए गए हैं। इसी तरह मुम्बई में भारतीय नौसेना के करीब दो दर्जन सदस्य कोरोना संक्रमित पाए गए। क्या आपने कभी सोचा है कि दुनिया की चौथी सबसे बड़ी थल सेना इंडियन आर्मी कोरोना के कहर से अभी तक कैसे बची हुई है? इसका एकमात्र कारण है भारतीय सेना का अनुशासन। दूसरा कारण है COVID-19 संक्रमण से बचने के लिए सेना का विशेष अभियान “ऑपरेशन नमस्ते”।
भारतीय थल सेना दुनिया की सबसे अनुशासित, चौथी सबसे बड़ी और शक्तिशाली सेना मानी जाती है। भारतीय थल सेना में करीब 35 लाख सैनिक हैं। इनमें लगभग 13 लाख 25 हजार सक्रिय सैनिक हैं। कोरोना से बचे रहने का एक बड़ा कारण है थल सेना के सभी विभागों में बेहतरीन तालमेल।
डीआरडीओ हो या सेना की रिसर्च और इंजीनियरिंग विंग, इसके काबिल सदस्य लगातार जरूरत के अनुसार नए नए उपकरण ईजाद करते रहते हैं। यहाँ तक सैन्य परिवार के अन्य सदस्य भी इस काम में भरपूर सहयोग देते हैं। सैनिकों को सीमा की अग्रिम पंक्ति तक ले जाने वाली विशेष ट्रेन को पूरी तरह सैनिटाइज करने के बाद ही चलाया जा रहा है।
हाल ही में “ऑपरेशन नमस्ते” के तहत सेना की राइजिंग स्टार कोर की इलेक्ट्रॉनिक्स और मैकेनिकल इंजीनियरिंग वर्कशॉप ने अल्कोहल और एलोवेरा मिलाकर एक प्रभावशाली सैनेटाइजर तैयार किया है। इसे कश्मीर के रत्नूचक में मेजर रोहित राठी और उनकी पत्नी सृष्टि सिंह ने तैयार किया है। सृष्टि वीआईटी वेल्लोर में जेल आधारित बायोसेंसर सलूशन में पीएचडी कर रही हैं।
सैनिटाइज़र को डब्ल्यूएचओ के दिशानिर्देशों के अनुसार ही तैयार किया गया है। अब तक कुल 809 लीटर सैनिटाइजर तैयार किया जा चुका है। रत्नूचक में इसकी उत्पादन क्षमता प्रतिदिन 100 लीटर है। स्थानीय बाजार में इसके लिए जरूरी विभिन्न रसायनों की उपलब्धता और गुणवत्ता के आधार पर उत्पादन दो गुना तक बढ़ाया जा सकता है। इसी तरह कुछ दिन पहले सेना के इंजीनियर ने ऐसा उपकरण बनाया है जिसमें हाथ लगाये साबुन से हाथ धोया जा सकता है। यह बहुत कास्ट इफेक्टिव है और इसका खुलकर इस्तेमाल किया जा रहा है।
देश में लॉक डाउन घोषित होने के बाद जो सैनिक छुट्टी पर थे उन्हें घर पर ही रुकने को कहा गया था। अब ड्यूटी के लिए रिपोर्ट करने वाले सैनिको को रेड, येलो और ग्रीन जोन से पास होने के बाद ही तैनात किया जा रहा है। संक्रमण के लक्षण वाले रेड जोन में रखे जाते हैं। टेस्ट निगेटिव आने आने पर 14 दिन कोरेंटाइन यानि येलो जोने में रखा जाता। लक्षण न मिलने पर ही वो ग्रीन जोन यानी ड्यूटी के लिए फिट माने जाते हैं।
(लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं)