Saturday - 26 October 2024 - 11:55 AM

कांग्रेस के युवा नेतृत्व में बढ़ने लगी है निराशा

कुमार भवेश चंद्र

राजस्थान में अशोक गहलौत और सचिन पायलट के बीच सियासी टकराव के बीच युवा कांग्रेसियों की आवाजें तेज होती जा रही हैं। सचिन के सवाल पर महाराष्ट्र से संजय निरुपम, प्रिया दत्त ने आवाजें उठाई तो उत्तर प्रदेश से जितिन प्रसाद ने भी आवाज दी। कांग्रेस नेतृत्व ने इन आवाजों को अभी तक कोई खास तरजीह नहीं दी है। लेकिन ये आवाजें अभी बंद नहीं हुई है।

इस बार आवाज आई है हरियाणा के युवा नेता कुलदीप बिश्नोई की ओर से। हरियाणा छोटा प्रदेश है। भजनलाल के बेटे कुलदीप बिश्नोई की छवि बागी वाली है। वह हरियाणा जनहित कांग्रेस पार्टी बनाकर कांग्रेस से बाहर भी हो गए थे। लेकिन बाद में राहुल गांधी ने उनकी पार्टी में वापसी कराई और वे फिलहाल कांग्रेस कार्यकारिणी में विशेष आमंत्रित सदस्य हैं। हरियाणा में कांग्रेस तीन ध्रुवों में बंटी है।

2019 में चुनाव से पहले कांग्रेस में महिला और दलित चेहरे के रूप में शोहरत रखने वाली शैलजा वहां पार्टी अध्यक्ष बनाई गईं। लेकिन पार्टी को बढ़त तभी मिली जब भूपेंद्र हुड्डा को चुनाव अभियान समिति का मुखिया बनाया गया। कुलदीप बिश्ननोई फिलहाल आदमपुर से कांग्रेस के विधायक हैं लेकिन हरियाणा की राजनीति में हुड्डा कैंप से उनकी नहीं बनती। भूपेंद्र हुड्डा अपने बेटे दीपेंद्र हुड्डा को आगे लाना चाहते हैं इसलिए भी वे कांग्रेस में दूसरे युवा नेतृत्व को लेकर सतर्क और सावधान हैं।

इस सियासी परिदृश्य के बीच कुलदीप बिश्नोई की आवाज को कांग्रेस का केंद्रीय नेतृत्व कितना महत्व देगा इसपर सवाल है। लेकिन कुलदीप बिश्नोई कैंप से उठने वाली आवाज में दम तो है। कुलदीप बिश्नोई अपने एक युवा कांग्रेसी समर्थक के ट्विटर पोस्ट को रिट्वीट करके चर्चा में आए हैं।

इस ट्विट को समझने की जरूरत है। एसएस बिश्नोई नाम के एक युवा बिश्नोई ने जो ट्विट किया है उसमें कांग्रेस के युवा नेताओं की बात की गई है। पहला नाम बीजेपी में जा चुके ज्योतिरादित्य सिंधिया का है। ट्विट देखिए..

कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व को संबोधित करते हुए इस ट्विट में यह भी कहा गया है कि वह इस बात पर मंथन करें। और चेतावनी भी जारी की गई है कि दूसरी पांत बिखर गई तो बहुत नुकसान होगा। अब सवाल उठता है कि क्या कांग्रेस सचमुच अपनी दूसरी पांत के नेताओं की इच्छाओं और महत्वाकांक्षाओं को महत्व नहीं दे रहा? क्या कांग्रेस नेतृत्व से नाराज युवा नेताओं की संख्या बढ़ती जा रही है?

 

अब उत्तर प्रदेश की बात कर लेते हैं। कांग्रेस की ओर महासचिव प्रियंका गांधी उत्तर प्रदेश के मसलों पर बेहद करीबी नजर बनाए हुए हैं। वह लगातार प्रदेश सरकार के कामकाज को लेकर सवाल कर रही है। योगी सरकार को घेर रही हैं। प्रदेश अध्यक्ष के तौर पर युवा नेता अजय कुमार लल्लू भी जमीन पर बेहद सक्रिय हैं। कोविड19 की चुनौतियों के बावजूद वे जमीन पर उतर कर विपक्ष की भूमिका को रख रहे हैं। योगी सरकार पर सवाल उठा रहे हैं।

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लेकिन दूसरी ओर जितिन प्रसाद जैसे कांग्रेस के युवा नेता बगावती तेवर लिए हुए कई बार विरोधियों के लिए मुखर नज़र आ रहे हैं। वैसे भी वह इस वक्त पार्टी से अधिक ब्राह्मण चेतना संवाद को लेकर अधिक सक्रिय हैं। सवाल उठता है कि क्या वह पार्टी के इशारे पर यूपी में ब्राह्मणों को एकजुट कर रहे हैं या वे किसी और सियासी दांव की तैयारी में जुटे हैं।

उत्तर प्रदेश कांग्रेस में मौजूद दूसरे युवा नेता भी मौजूदा नेतृत्व को लेकर अनमने तरीके से ही साथ साथ दिख रहे हैं। कांग्रेस का केंद्रीय नेतृत्व प्रदेश के सभी युवाओं को एक साथ लेकर चलने की कोशिश करता नहीं दिखा। कांग्रेस की यह कमजोरी क्या युवा नेतृत्व को लेकर उसकी अस्पष्ट नीति का असर है? कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व के लिए यह समय इस मसले गंभीरता से विचार करने का है।

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