रूबी सरकार
मध्यप्रदेश में कोरोना से देश के औसत से दोगुनी मौतें सामने आई है। यहां कोरोना संक्रमित और मौत का प्रतिशत देश में होने वाली औसत मौतों की तुलना में दोगुना हैं वहीं, स्वस्थ होने की औसत दर देश के औसत से आधी हैं।
कांग्रेस विधायक कुनाल चौधरी बताते है, कि कोरोना के संक्रमण को देखते हुए कमलनाथ सरकार ने सबसे पहले सामूहिक जगहों को बंद करने का फैसला लिया था। उन्होंने स्कूल, कॉलेज ले लेकर शॉपिंग मॉल और सिनेमा हॉल तक सब बंद करा दिये गये थे।
यहां तक कि उन्होंने पहली मार्च को ही डॉक्टरों की नियुक्ति की प्रक्रिया भी शुरू कर दी थी, जिससे आपात स्थिति में डॉक्टरों की कमी न हो। लेकिन वर्तमान शिवराज सरकार में तो डॉक्टर इस्तीफा दे रहे हैं। पुलिस से मार खा रहे हैं ।
जहां दे श में डॉक्टरों का मनोबल बढ़ाने की बात हो रही है, वहीं मध्यप्रदे श में डॉक्टरों की पिटाई हो रही है। जिसके खौफ से डॉक्टर इस्तीफा दे रहे हैं। कुनाल ने कहा, फेसबुक पर वीडियों अपलोड कर दर्द बयां करते हुए एम्स के जूनियर डॉक्टर युवराज और ऋतुपर्णा ने बताया, कि अस्पताल की ड्यूटी से लौटते समय पुलिस ने उनके साथ मारपीट की।
दोनों डॉक्टरों ने कहा, कि परिचय-पत्र दिखाने के बावजूद पुलिस ने उनकी पिटाई की। इससे उसका हाथ फ्रेक्चर हो गया । हालांकि घटना की जानकारी मिलने के बाद एसपी दक्शिण साईकुमार थोटा ने सिपाही सुनील नहारिया को लाईन अटैच कर दिया । कुनाल की बात में सच्चाई तो है, लेकिन यह बात भी किसी से छिपी नहीं है, कि जब देश में कोरोना संक्रमण का संकट दस्तक दे चुका था, तब मध्यप्रदेश में राजनीतिक उठा-पटक और सरकार बचाने और गिराने का खेल चल रहा है। ऐसे में कोरोना संक्रमण से लड़ने की फुर्रस किसे थी।
कुनाल ने आरोप लगाते हुए कहा, कि 10 मार्च से प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री गायब हैं। पूरे महकमे में अफरा-तफरी का माहौल था।आज भी संकट के हालत में प्रदेश में न तो स्वास्थ्य मंत्री है, न खाद्य मंत्री और न ही गृह मंत्री। ऐसे में अकेले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान क्या-क्या देखेंगे।
इधर भाजपा प्रवक्ता डॉ हितेश वाजपेई ने कहा है, कि विपक्श का काम है कमियां गिनाना, लेकिन हम सरकार में है तो हमें समाधान खोजना है। उन्होंने कहा, संकट की घड़ी में ऐसे हादसे होते हैं। अकेला मध्यप्रदेश नहीं, बल्कि कई प्रदेशों में इस तरह की घटनाएं हो रही हैं।
इसके लिए पूरे कौम को दोशी नहीं ठहराया जा सकता । देश ही नहीं पूरी दुनियां के सामने ऐसा संकट पहली बार आया है। इसलिए भी असुविधा हो रही है। डॉ वाजपेई ने कहा, नोवल कोरोना वायरस से उत्पन्न स्थिति से निपटने के लिए सर्वोच्च स्तर पर मुख्यमंत्री समीक्शा कर रहे हैं। रोजाना वे संबंधित विभागों के अधिकारियों के साथ स्थिति की समीक्शा कर रहे हैं । साथ ही कलेक्टरों, पुलिस अधीक्शकों एवं स्वास्थ्य विभाग के जिला स्तरीय अधिकारियों से भी वीडियों कॉन्फ्रेसिंग से स्थिति का जानकारी ले रहे हैं ।
गौरतलब है, कि तत्कालीन कमलनाथ सरकार ने कोरोना से लड़ने के लिए गजराराजा मेडिकल कॉलेज ने 114 जूनियर रेजिडेंट डॉक्टरों की भर्ती के लिए वैकेंसी निकाली थी। एक सप्ताह पहले ही जीआरएमसी ने 92 रेजिडेंट जूनियर डॉक्टरों को ज्वाइनिंग दी थी, लेकिन अब इनमें से 50 डॉक्टरों ने नौकरी से इस्तीफे दे दिए हैं।
जीआरएमसी ने इन डॉक्टरों को जयारोग्य अस्पताल, कमलाराजा महिला एवं बाल्य चिकित्सालय और सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में तैनात किया था।
50 साथी डॉक्टरों के इस्तीफे मंजूर होने के बाद 8 अप्रैल की शाम को 25 से 30 और जूनियर रेजिडेंट डॉक्टरों ने इस्तीफे प्रभारी डीन डॉ.आयंगर को सौंप दिये। स्थिति को भांपते हुए शिवराज सिंह चौहान ने मध्यप्रदेश में तुरंत एस्मा (आवश्यक सेवा संरक्शण अधिनियम) लागू कर दिया , लिहाजा डॉक्टर्स के इस्तीफे नामंजूर हो गए । अब इन डॉक्टरों को कानूनी पेंच के चलते तीन महीने तक सेवा देना होगी।
बहरहाल प्रदेश में कोविड-19 संक्रमण से 52 में से 19 जिले प्रभावित है और कुल 441 संक्रमित मरीज हैं, जबकि इंदौर में एक डॉक्टर के साथ ही 31 संक्रमितों की मौत हो चुकी हैं । प्रदेश में मरीजों की संभावना को देखते हुए श्शासकीय एवं निजी चिकित्सा महाविद्यालयों, निजी अस्पतालों में आईसीयू बेड एवं वेन्टीलेटर की व्यवस्था की गई हैं।
वर्तमान में लगभग 30 हजार बेड की उपलब्धता है, जिसमें से आइसोलेशन बेड साढ़े 9 हजार चिन्हित किये गये हैं तथा आईसीयू बेड की उपलब्धता लगभग 1600 है और वेन्टीलेटर एक हजार करीब उपलब्ध है। प्रदेश की साढ़े 7 करोड़ जनता की टेस्टिंग की सुविधा वर्तमान में 7 है।
4 अन्य लैब तैयार करने की प्रक्रिया चल रही है। इसके साथ ही 6 हजार टेस्टिंग किट उपलब्ध है। सरकार ने कोविड.19 से बचाव के लिए मास्क पहनना अनिवार्य कर दिया गया है।