चंचल
हम जब जे पी से मिले तब तक ‘लोग’ उन्हें भूल चुके थे । यह वाकया है 72 का । जे पी काशी विश्वविद्यालय स्थित हॉस्पिटल में भर्ती थे । इसकी जानकारी कम ही लोंगो को थी । (यह वाकया हम लिख चुके हैं ) सुबह का वक्त था ,हम लंका पर बैठे स्केच कर थे इतने बनारस के नामी वकील सागर सिंह दिखाई पड़ गए । उन्होंने हमे बुलाया और बताए कि जे पी एडमिट हैं , मिलना चाहो तो मिल लो । हम साथ हो लिए और जे पी से मुलाकात हुई । हर रोज अल सुबह मिलता रहा ।
एक दिन देबू दा ने कहा कि जे पी से बात करो अगर वे एक गोष्ठी में टाइम दे दें तो अच्छा रहेगा । हमने बात किया, जे पी तैयार हो गए। अगर कोई पाठक जो इस पोस्ट को पढ़ रहे हैं ,अगर 72 में राजाराम मोहन राय छात्रावास में रहे होंगे तो उन्हें याद होगा । बहरहाल गोष्ठी हुई और कोई दस बारह लोग मुश्किल से जुटे होंगे । लेकिन जे पी ने बहुत संजीदगी से बोला ।
उस वक्त ही उन्होंने जनतंत्र के संभावित खतरे की ओर आगाह कर दिया था और कहा था – ‘जनतंत्र को जिंदा रखना चाहते हो तो चुनाव को सस्ता करो । ‘
सन 72 के छात्र संघ चुनाव में जिसमे हम महामंत्री पद के उम्मीदवार थे , जे पी के नारे पर ही चुनाव लड़ गए कार्ड पर यही लिखा ‘ जनतंत्र की रक्षा के लिए चुनाव सस्ता करो ‘ और श्री आद्या प्रसाद पांडे जो बाद में मेघालय जा कर कुलपति बने, उनसे बा इज्जत हार गया ।
नतीजा यह निकला कि सियासत और शतरंज में वक्त के पहले कोई कदम उठाना तत्काल तो शह दे सकता है लेकिन दीर्घकाल में मात देने का साधन भी यही बनता है ।
यहां हम दूसरी तबाही भी सामने देख गए । हमारे और आद्या पांडे जी के बीच जनमत जंग में वीणा जी हमारी समर्थक थीं और जब जेल से छूट कर बाहर आया तो वीणा जी ने आद्या प्रसाद जी को अपने पति के रूप में वरण करके वीणा पांडे सदस्य विधान परिषद हो चुकी थी । आगे कई मौके ऐसे आये जब हम और वीणा जी विश्व विद्यालय मंच पर एक दूसरे के खिलाफ उतरे जरूर लेकिन हम दोनों ने एक दूसरे पर कोई भी टिप्पणी कभी नही की । बहरहाल…..
72 के जे पी को 74 में काशी आना है । समूचा बनारस पागल है जे पी को बुलाओ । भाई मोहन प्रकाश छात्र संघ के अध्यक्ष हैं अंजना प्रकाश जी उपाध्यक्ष । देबू दा ने फिर हमें बुलाया तुम पटना जाओ और जे पी से कार्यक्रम लो । हम पटना गए । वक्त मिला । दो शर्त पर ।
मंच पर छात्र संघ के पदाधिकारी के अलावा कोई और नेता किसी भी पार्टी का हो , नही होना चाहिए और नही कोई और नेता बोलेगा । दूसरा – मीटिंग विश्व विद्यालय कैम्पस में नही होगी , क्यों कि कुलपति डॉ कालूलाल श्रीमाली ने कैम्पस में घुसने से मना कर दिया है । हमने दोनो बाते मान ली और लंका पर सभा हुई ।
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ऐसी भीड़ बनारस ने फिर नही देखा । लेकिन आफत विपत देखिये । हम संचालन कर रहे थे , इतने में नेता जी श्री राजनारायण नमूदार हो गए । हमारे हाथ से माइक छीन लिए और जे पी का स्वागत करने लगे । हमारी तो हालत खराब । अब क्या होगा ? हमने जे पी को निहारा , जे पी मुस्कुरा दिए ।
(लेखक काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के छात्र संघ पदाधिकारी रहे, प्रख्यात चित्रकार हैं और एक प्रखर चिंतक हैं )