न्यूज डेस्क
धनतेरस पर इस बार प्रदोष काल में पूजन करने से मां लक्ष्मी की विशेष कृपा मिलेगी। 25 अक्टूबर को धनतेरस के साथ ही पांच दिवसीय दीपोत्सव का आगाज हो जाएगा। इसे लेकर बाजार जहां खिले उठे हैं वहीं दुकानदार भी ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए सजावट करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं।
दीपावली के दो दिन पहले धनतेरस पर नए सामानों की खरीदारी की जाती है। सोना-चांदी, वाहन, इलेक्ट्रानिक्स सामान व प्रापर्टी सहित अन्य सामानों की खरीदारी की जा सकती है। यह पर्व कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है।
धनतेरस के दिन कुछ नया खरीदने की परंपरा है। विशेषकर पीतल व चांदी के बर्तन खरीदने का रिवाज है। मान्यता है कि इस दिन जो कुछ खरीदा जाता है उसमें लाभ होता है। धन संपदा में वृद्धि होती है। इसलिए इस दिन लक्ष्मी की पूजा की जाती है। धन्वन्तरि भी इसी दिन अवतरित हुए थे इसी कारण इसे धनतेरस कहा जाता है।
यह भी कहा जाता है कि देवताओं व असुरों द्वारा संयुक्त रूप से किए गए समुद्र मंथन के दौरान प्राप्त हुए 14 रत्नों में धन्वन्तरि व मां लक्ष्मी भी शामिल हैं। इसलिए इस दिन को धन त्रयोदशी भी कहते हैं। भगवान धन्वन्तरि कलश में अमृत लेकर निकले थे, इसलिए इस दिन धातु के बर्तन खरीदने की परंपरा है।
प्रदोष काल में पूजन श्रेयस्कर: घरों और व्यापारिक प्रतिष्ठानों में शाम 7:21 बजे से रात्रि 9:45 बजे तक पूजन किया जा सकता है। पं. राजेश कुमार तिवारी ने बताया कि 25 अक्टूबर को शाम 7:08 बजे से लेकर 26 अक्टूबर को दोपहर 3:46 बजे तक धनतेरस का मान रहेगा।
धनतेरस के दिन प्रापर्टी, जमीन, जायदाद, मकान, दुकान, आभूषण, सोना, चांदी एवं अन्य कीमती धातु की खरीदी जा सकती है। शाम 5:30 बजे से रात्रि 8 बजे तक प्रदोष काल रहेगा, इस समय खरीदारी करना और पूजन करना श्रेयस्कर होगा।
वहीं आचार्य एसएस नागपाल ने बताया कि वाराणसी के पंचांग के अनुसार धनतेरस 25 को शाम 4:31 बजे से 26 को दोपहर 2:08 बजे तक रहेगा। इस बीच हर राशि के लोग खरीदारी कर सकते हैं।
ऐसे करें भगवान धन्वन्तरि की पूजा
मिट्टी के हाथी और भगवान धन्वन्तरि की प्रतिमा के सामने दीप जलाकर परिवार के साथ पूजन करना चाहिए। पं. राघव मिश्रा ने बताया कि दीप, धूप, इत्र, पुष्प, गंगाजल, अक्षत, रोली से भगवान का आह्वान करना चाहिए। आचार्य राघव ने बताया कि इस दिन भगवान धन्वन्तरि अमृत के साथ प्रकट हुए थे। इस दिन भगवान से निरोग रखने की प्रार्थना करनी चाहिए।
जैन समाज का ध्यान तेरस
जैन आगम (जैन साहित्य प्राचीनतम) में धनतेरस को ‘धन्य तेरस’ या ‘ध्यान तेरस’ कहते हैं। अशोक जैन ने बताया कि भगवान महावीर इस दिन तीसरे और चौथे ध्यान में जाने के लिए योग निरोध के लिए चले गए थे।
पूजन का मुहूर्त
- त्रयोदशी 25 अक्टूबर को शाम 7:08 बजे से 26 अक्टूबर को दोपहर 3:46 बजे तक
- धनतेरस पूजन मुहूर्त – शाम 7:08 बजे से रात्रि 8:14 बजे तक
- प्रदोष काल – शाम 5:30 बजे से रात्रि 8 बजे तक
कब क्या खरीदें
- शाम 6:35 से रात्रि 8:35 बजे तक प्रापर्टी, जमीन, जायदाद, मकान, दुकान, आभूषण, सोना, चांदी एवं अन्य कीमती धातु की खरीदारी की जा सकती है।
- रात्रि 8:30 से 10:44 बजे तक दोपहिया-चार पहिया वाहन, टीवी, फ्रिज और अन्य इलेक्ट्रॉनिक्स सामान खरीदा जा सकता है।
- शाम 4:55 से 7:35 बजे तक बर्तन-बहुमूल्य धातुओं के पात्र व घर के सजावटी सामान खरीदे जा सकते हैं।
ऋणमोचन योग दिलाएगा कर्ज से मुक्ति
इस बार पड़ने वाली ‘धनत्रयोदशी’ मंगलकारक होगी। इसके चलते इस दिन ऋणमोचन का विशेष योग है। धनतेरस के दिन इस बार ऋणमोचन योग होने के चलते लंबे समय से कर्ज न चुका पाने वाले लोग ऋण चुका सकते हैं।
आचार्य एसएस नागपाल ने बताया कि धनतेरस के दिन न तो उधार देना चाहिए और न ही उधर लेना चाहिए। पूजन के बाद बाद ऋण चुकाना शुरू करेंगे तो अगली धनतेरस तक ऋण से मुक्ति मिल जाएगी। हर राशि के लोग बर्तन, सोने-चांदी के आभूषण व सिक्के की खरीदारी कर सकते हैं।
ऐसे करें पूजन
धनतेरस को शाम को पूजा करना श्रेयस्कर होता है। पूजा के स्थान पर उत्तर दिशा की तरफ भगवान कुबेर और धन्वन्तरि की प्रतिमा स्थापित करनी चाहिए। आचार्य सतीश त्रिपाठी ने बताया कि स्थापना के बाद मां लक्ष्मी और भगवान श्रीगणोश की पूजा करनी चाहिए।
ऐसी मान्यता है कि भगवान कुबेर को सफेद मिठाई और धन्वन्तरि को पीली मिठाई का भोग लगाना चाहिए। फल,फूल,चावल, रोली, चंदन, धूप व दीप के साथ पूजन करना चाहिए। इसी दिन यमदेव के नाम से एक दीपक निकालने की भी प्रथा है।