जुबिली न्यूज डेस्क
18वीं लोकसभा के विशेष सत्र में तमाम मुद्दों के साथ-सथा सेंगोल भी चर्चा में बना हुआ है. आज गुरुवार को संसद के संयुक्त सत्र को संबोधित करने के लिए संसद पहुंचीं राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु का स्वागत सेंगोल से किया गया.
अब संसद में विपक्षी सांसदों के बीच यह सेंगोल भी एक मुद्दा बन गया है. समाजवादी पार्टी के सांसद आरके चौधरी ने संसद में सेंगोल की जगह संविधान रखने की मांग की है. इस मांग पर एनडीए से जुड़े सांसदों से लेकर अखिलेश यादव और योगी आदित्यनाथ तक की प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं.
आरके चौधरी ने समाचार एजेंसी एएनआई से कहा हम अंबेडकरवादी हैं. बाबा साहेब ने संविधान लिखा है. जब से देश में संविधान लागू हुआ है. तब से देश में लोकतंत्र है लेकिन बीजेपी सरकार, ख़ासकर पिछली सरकार ने मोदी जी के नेतृत्व में उस संसद भवन में स्पीकर के बैठने की जगह के बगल में सेंगोल स्थापित कर दिया है. सेंगोल तमिल शब्द है, जिसका हिंदी में अर्थ है राजदंड. यानी राजा की छड़ी.
वो बोले कभी राजा अपने दरबार में बैठता था तो फैसला करके डंडा पीटता था. अब इस देश में राजाओं के सरेंडर करने के बाद देश आज़ाद हुआ है. अब देश संविधान से चलेगा. न कि राजा के डंडे से चलेगा. आरके चौधरी के बयान पर एनडीए से जुड़े सांसदों की प्रतिक्रियाएं आ रही हैं.
एनडीए से जुड़े सांसदों की प्रतिक्रियाएं
बीजेपी सांसद रवि किशन ने कहा, ”ये जो ताकत मिले, जीत मिले, बहुत अच्छी बात है. लेकिन इन लोगों की बुद्धि ऐसी हो गई है कि ये प्रभुराम को ही रिप्लेस कर रहे थे. उस दिन तो इन्होंने अपने सांसद की ही तुलना प्रभुराम से कर दी थी तो पूरी मति भ्रष्ट हो रही है. बोलते हैं न कि शुरू नहीं हुए और ख़त्म होने की तैयारी हो गई.
यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ
यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ ने भी ट्वीट कर कहा भारत के इतिहास और संस्कृति का समाजवादी पार्टी सम्मान नहीं करती है. सपा के शीर्ष नेताओं का सेंगोल को लेकर दिया बयान निंदनीय है. ये तमिल संस्कृति के लिए इंडिया गठबंधन की नफरत को भी दिखाता है. सेंगोल भारत का गर्व है.
इस बारे में अखिलेश यादव ने क्या कहा
अखिलेश ने कहा मुझे लगता है कि हमारे सांसद इसलिए कह रहे होंगे कि जब पहली बार लगा था तो पीएम जी ने प्रणाम किया था. इस बार शपथ लेते हुए वो भूल गए. इसलिए उन्होंने ये मांग की है. जब प्रधानमंत्री भी प्रणाम करना भूल गए तो उनकी भी यही इच्छा रही होगी.
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अमित शाह ने क्या कहा
अमित शाह ने कहा था कि नेहरू ने इसे अंग्रेज़ों से भारत को सत्ता हस्तांतरण के प्रतीक के तौर पर स्वीकार किया था. जानकारों का कहना था कि नेहरू ने इसे सत्ता हस्तांतरण के प्रतीक के तौर पर स्वीकार किया होगा, इसकी संभावना ना के बराबर है.
सेंगोल कब हुआ था स्थापित
मई 2023 में पीएम मोदी ने संसद के नए परिसर में सेंगोल को स्थापित किया था. पीएम मोदी ने तब तमिलनाडु के अधीनम मठ से सेंगोल स्वीकार किया था और इसे लोकसभा अध्यक्ष के आसन के पास स्थापित किया था. तब अमित शाह ने दावा किया था कि देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने 14 अगस्त, 1947 को तमिल पुजारियों के हाथों सेंगोल स्वीकार किया था.