जुबिली स्पेशल डेस्क
नई दिल्ली। सरकार जम्मू-कश्मीर में चुनावी प्रक्रिया बहाल करना चाहती है। इसको लेकर पीएम मोदी और अमित शाह ने कश्मीर के नेताओं से मिलकर इसपर बातचीत की थी।
ऐसे में अब वहां पर राजनीति सरगर्मी लगातार बढ़ रही है। जानकारी मिल रही है कि बहुत जल्द यहां पर चुनाव कराये जा सकते हैं।
इसके लिए परिसीमन आयोग, मुख्य चुनाव आयुक्त सुशील चंद्रा के साथ केन्द्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर का 6 जुलाई से लेकर 9 जुलाई को दौरा कर सकते हैं। इस दौरान वहां के राजनीतिक दलों, केन्द्र शासित प्रदेशों के अधिकारियों और जनता के नुमाइंदों से बातचीत की जा सकती है।
निर्वाचन आयोग के प्रवक्ता ने बुधवार ने इसको लेकर बुधवार को बड़ा ऐलान किया है और बताया है कि परिसीमन आयोग छह जुलाई से नौ जुलाई तक यात्रा के दौरान जम्मू-कश्मीर के राजनीतिक दलों, जनप्रतिनिधियों और प्रशासन के साथ वार्ता करेगा। उन्होंने आगे बताया कि परिसीमन आयोग छह जुलाई से नौ जुलाई तक जम्मू-कश्मीर का दौरा करेगा।
बता दें कि जम्मू-कश्मीर की लोकसभा सीटों का परिसीमन तो पूरे देश के साथ ही होता रहा है, लेकिन विधानसभा सीटों का परिसीमन आखिरी बार 1995 में हुआ था।
इसकी वजह यह थी कि आर्टिकल 370 लागू होने के चलते प्रदेश की विधानसभा का परिसीमन राज्य के संविधान के तहत तय होता था। उधर जम्मू-कश्मीर में परिसीमन को लेकर वहां पर सियासी घमासान तेज हो गया है। अगर अगर परिसीमन हुआ तो जम्मू कश्मीर में सत्ता और राजनीतिक समीकरण पूरी तरह बदल जाएगा।
क्या है जम्मू-कश्मीर विधानसभा का गणित
2011 की जनगणना के मुताबिक सूबे के जम्मू संभाग की आबादी 53,78,538 है और यह प्रांत की 42।89 फीसदी आबादी है। प्रांत का 25।93 फीसदी क्षेत्रफल जम्मू संभाग के अंतर्गत आता है और विधानसभा की कुल 37 सीटें यहां से चुनी जाती है।
दूसरी तरफ कश्मीर घाटी की आबादी 68,88,475 है और यह प्रांत की 54।93 फीसदी हिस्सा है। यहां से कुल 46 विधायक चुने जाते हैं। इसके अलावा लद्दाख में 4 सीटें हैं और यहां से विधानसभा के लिए 4 विधायक चुने जाते हैं।