Tuesday - 29 October 2024 - 2:06 PM

आखिर दिल्ली पुलिस क्यों हो गई है कमजोर

न्‍यूज डेस्‍क

नागरिकता कानून संशोधन (सीएए) को लेकर शुरू हुआ बवाल उत्तर पूर्वी दिल्ली में अब खतरनाक मंजर अख्तियार करता जा रहा है। उत्तर-पूर्वी दिल्ली में सोमवार को जमकर हिंसा हुई। मंगलवार को भी मौजपुर और ब्रह्मपुरी इलाके में पत्थरबाजी शुरू हो गई। दिल्ली हिंसा में अबतक 7 लोगों की मौत हो चुकी है, जिसमें हेड कॉन्स्टेबल रतनलाल भी शामिल हैं। साथ ही 100 से ज्यादा घायल हैं।

साफ है कि दिल्ली पुलिस का इंटेलिजेंस एक बार फिर से फेल हो गया। क्योंकि बीते रविवार को हुई हिंसा के बाद से ही लग गया था कि सोमवार का दिन बेहद अहम होगा। क्योंकि जहां एक तरफ सीएए के विरोधियों ने प्रदर्शन की चेतावनी दी थी वहीं दूसरी तरफ उसके समर्थन में भी लोगों ने पुलिस को अल्टीमेटम देते हुए कहा था कि प्रदर्शनकारी जल्द से जल्द हटाए जाएं, लेकिन उसके बाद भी पुलिस नहीं चेती।

दूसरी ओर हिंसा के बाद अब इस पर बयानबाजी भी शुरू हो गई है। दिल्ली हिंसा मामले में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) सांसद गौतम गंभीर ने कपिल मिश्रा पर कार्रवाई करने की मांग की है। गौतम गंभीर ने कहा कि कोई फर्क नहीं पड़ता कि वह इंसान कौन है, चाहे वह कपिल मिश्रा हो या कोई भी, किसी भी पार्टी से संबंधित हो, अगर उसने कोई भड़काऊ भाषण दिया है तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए।

राजधानी दिल्ली में पिछले दो दिनों से बिगड़े माहौल के बीच मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने अपने विधायकों के साथ बैठक की। दिल्ली सीएम ने इस दौरान सभी विधायकों को इलाके में जाकर लोगों से शांति की अपील करने को कहा। अरविंद केजरीवाल बोले कि पुलिसकर्मियों को ऊपर से ऑर्डर नहीं मिल रहे हैं, इसलिए वो कोई एक्शन नहीं ले पा रहे हैं।

मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा, ‘गृह मंत्री अमित शाह ने मुझे भरोसा दिलाया है कि पुलिस की कोई कमी नहीं होगी। हम सब मिलकर दिल्ली को शांति के रास्ते पर दोबारा लाने की कोशिश करेंगे। हिंसा किसी के हित में नहीं होता है।

बैठक के बाद दिल्ली के मुख्यमंत्री ने कहा, ‘हमने सभी अस्पतालों को अलर्ट पर रहने का आदेश दिया है, अगर कोई घायल होता है तो उसे तवज्जो दी जानी चाहिए। इसके अलावा फायर डिपार्टमेंट को कहा गया है कि वो पुलिस डिपार्टमेंट के साथ मिलकर घटना वाली जगहों पर तुरंत पहुंचे’।

हिंसा को लेकर दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि बॉर्डर वाले इलाके में बाहर से लोग आ रहे हैं, ऐसे में दिल्ली पुलिस को कुछ गिरफ्तारियां करनी चाहिए जिससे माहौल ना बिगड़े। दिल्ली के मुख्यमंत्री बोले कि हिंसा वाले क्षेत्र के विधायकों की शिकायत है कि पुलिसबल काफी कम है और इसी कारण से पुलिस भीड़ के सामने एक्शन नहीं ले पा रही है।

अरविंद केजरीवाल ने आरोप लगाया कि पुलिसवालों को ऊपर से ऑर्डर मिल रहे हैं। दिल्‍ली पुलिस पर सवाल इसलिए भी खड़े हो रहें, क्‍योंकि हिंसा ऐसे समय पर फैली है जब विश्‍व के सबसे शक्तिशाली नेता और अमेरिका के राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप भारत दौरे पर हैं और वो और उनकी पत्‍नी दिल्‍ली में मौजूद हैं। उनके भारत दौरे पर आने से काफी समय पहले से सुरक्षा एजेंसियां पूरी तरह से मुस्‍तैद हैं। इसके बाद भी इतनी बड़ी घटना हो जाना पुलिस और सुरक्षा एजेंसियों पर उंगली उठाने को मजबूर करती हैं।

जिस तरह से दिल्ली के उत्तर-पूर्वी जिले में दंगा भड़का, उस देख कर साफ कहा जा सकता है कि लापरवाही जिला पुलिस और दिल्ली पुलिस का खुफिया तंत्र फेल हो गया है। जबकि षड्यंत्रकारी भीड़ ने सुनियोजित तरीके से सोमवार को दिल्ली पुलिस के हवलदार रतन लाल को मार डाला। कई वाहन फूंक डाले। जिले में अफरा-तफरी और भगदड़ मचा डाली।

सोमवार को उत्तर पूर्वी जिले के दयालपुर, मौजपुर, करावल नगर, गोकुलपुरी, भजनपुरा, कर्दमपुरी, चांद बाग में हिंसा अचानक नहीं भड़की। इस हिंसा को उकसाने का और इस कदर भयानक रूप में लाने देने के लिए सीधे-सीधे तौर पर उत्तरी जिला पुलिस ही जिम्मेदार है।

साथ ही जिम्मेदारी है दिल्ली पुलिस की उस खुफिया शाखा की (स्पेशल ब्रांच) की, जिसके पास इलाके के हर घर की कुंडली मौजूद होती है। स्पेशल ब्रांच का काम और जिम्मेदारी ही है कि वो संवेदनशील इलाकों के हालातो पर नजर रखने की। जहां-जहां जिन इलाकों में हालात बिगड़ने वाले हों, वहां-वहां की खुफिया सूचना पूर्व में ही इकट्टठी करके जिला पुलिस एवं दिल्ली पुलिस मुख्यालय को मुहैया कराना।

रविवार दोपहर बाद से उत्तर पूर्वी जिले के कई इलाकों में भड़की हिंसा को लिए सीधे-सीधे जिला पुलिस और दिल्ली पुलिस का खुफिया तंत्र यानि स्पेशल ब्रांच जिम्मेदार है। सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो और तस्‍वीरों में साफ देखा जा सकता है कि उपद्रवी पत्‍थरबाजी कर रहे हैं ओर पुलिस मुख दर्शक बनकर खड़ी है। इस हिंसा में केवल आम जनता को ही नुकसान हुआ है। बल्कि इस दौरान कई पुलिस वाले में हिंसा के शिकार हुए हैं।

आपको बता दें कि दिल्ली के अलग-अलग इलाकों में सोमवार को हुई हिंसा में एक हेड कॉन्स्टेबल की मौत हो गई है, जबकि शाहदारा एसीपी अमित शर्मा समेत तीन दर्जन से अधिक पुलिसकर्मी घायल हैं। इस बीच एक फोटो सामने आई है, जिसमें पुलिसकर्मी अपने आपको पत्थरबाजी से बचाने के लिए बांस की टोकरी का इस्तेमाल करते हुए दिखे।

सवाल उठ रहे हैं‍ कि जब हिंसा की चिंगारी उठी तभी पुलिस ने कोई कार्रवाई क्‍यों नहीं की। अगर उसी वक्त आरोपियों को पुलिस ने पकड़ लिया होता, तो हिंसा की प्लानिंग करने वालों में पुलिस और कानून का थोड़ा-बहुत भय पैदा होता। पुलिस सख्ती से निपटने के बजाय दोनों पक्षों को समझा-बुझाकर आमने-सामने आने से रोकने भर में जुटी रही। पुलिस की इसी ढुलमुल चाल का नाजायज लाभ उपद्रवियों ने उठाया।

कारण चाहे जो भी रहा हो, मगर जिम्मेदारी हर तरफ से पुलिस की ही बनती है। जब शनिवार को दोनों पक्षों के लोगों ने सड़कों-गलियों में मय पत्थर आना शुरू किया, उसी वक्त पुलिस को सख्ती से उन्हें खदेड़ देना और दबोच लेना था, मगर हुआ इसके विपरीत। पुलिस लोगों को दौड़ाकर गलियों-घरों में कर आई और उसके बाद समझ लिया कि भीड़ डर गई है, अब कुछ नहीं करेगी। जबकि जिला पुलिस की यही सोच पुलिस के लिए सोमवार को बेहद घातक साबित हुई।

शनिवार यानी 23 फरवरी को दिन और रातभर पुलिस की इसी ढुलमुल रवैये का फायदा उपद्रवियों ने उठा लिया। दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल के एक सूत्र के मुताबिक, जिला पुलिस नहीं ताड़ पाई कि रविवार को हुई छिटपुट हिंसक घटनाएं सोमवार को इस कदर खतरनाक रूप धारण कर लेंगी कि पुलिस का अपना ही एक बेकसूर जांबाज हवलदार रतन लाल उपद्रवियों के षड्यंत्र में फंसकर जान गंवा बैठेगा। सोमवार को भीड़ के बीच फंसे शाहदरा जिले के डीसीपी अमित शर्मा भी दंगाइयों की भीड़ के सामने पड़कर बुरी तरह जख्मी हो गए।

जिस तरह से पुलिस के सामने दिल्‍ली में हिंसा हुई और कुछ दिन पहले जामिया यूनिवर्सिटी के बाहर युवक बंदूक लहराते हुए गोली चलाई थी। उसके बाद दिल्‍ली पुलिस पर सवाल उठने लगा है कि आखिर क्‍यों दिल्‍ली पुलिस इतनी लापरवाह व कमजोर हो गई है।

Radio_Prabhat
English

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com