- 3200 परिवारों ने मांगा मुआवजा पर 900 के आवेदन हुए खारिज
जुबिली न्यूज डेस्क
फरवरी माह में पूर्वोत्तर दिल्ली में हुए दंगे में लोगों का काफी नुकसान हुआ था। सैकड़ों लोगों की दुकाने बर्बाद हो गई तो कइयों के घरों में लूटपाट हुई। इन लोगों ने सरकार से हर्जाना मांगा तो प्रशासन ने हर्जाने के नाम पर खिलवाड़ किया है। जिसने तीन लाख रुपये मांगा उसे 750 रुपये का भुगतान कर दिया गया।
पूर्वोत्तर दिल्ली के दंगों के दौरान गोकुलपुरी में उस्मान अली के एक छोटे रेस्टोरेंट में तोडफ़ोड़ और लूटपाट की गई थी। उस्मान ने राज्य सरकार से हर्जाने के रूप में 3 लाख रुपये मांगा था लेकिन प्रशासन की ओर से उन्हें सिर्फ 750 रुपये का भुगतान किया गया है।
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उस्मान का मामला तो एक बानगी है। ऐसे कई पीडि़त है जिनका या तो प्रशासन आवेदन खारिज कर दिया है और जिन्हें मुआवजा दिया है वह चिढ़ाने जैसा है।
दंगों के छह महीने बाद भी दिल्ली सरकार को पीडि़तों और उनके परिवारों द्वारा मुआवजे में देरी, बेमतलब मुआवजा खारिज करने जैसे आरोपों का सामना करना पड़ रहा है।
अल्पसंख्यकों के कल्याण पर दिल्ली विधानसभा के एक पैनल ने बुधवार को राज्य के राजस्व विभाग से मिसमैच के कम से कम 30 मामलों और रजेक्शन्स के 50 केसों की समीक्षा करने को कहा।
गुलजेब परवीन का मामला जानिए। दंगों के दौरान गुलजेब गर्भवती थी। दंगाइयों ने 25 फरवरी को उनके पति मोशिन अली को मार दिया गया था। मोशिन का शव खजूरी खास पुलिस स्टेशन से कुछ मीटर की दूरी पर मिला था।
परवीन ने 15 सितंबर को एक बच्ची को जन्म दिया, जो हापुड़ के अस्पताल में आईसीयू में है। परवीन का मुआवजा प्रशासन ने रोक दिया है। मोहसिन के बड़े भाई शाहनवाज ने बताया “मुआवजे को रोक दिया गया था क्योंकि हमारे पास मोहशिन का मृत्यु प्रमाण पत्र नहीं था और तालाबंदी के कारण यह लेट हो गया। अब, हमने सभी दस्तावेज जमा कर दिए हैं, लेकिन हमें अभी भी कोई मुआवजा नहीं मिला है।”
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मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक मुआवजा के लिए आए 3,200 दावों में से अब तक 900 से अधिक आवेदन खारिज कर दिए गए हैं। सरकार ने 1,526 दावों को मंजूरी दे दी है और मुआवजे की राशि लगभग 19 करोड़ रुपये है।
हालांकि, मुआवजे के दावे के बीच कई मामलों में हर्जाने के रूप में मांगी गई राशि और स्वीकृत राशि में बड़ा अंतर देखने को मिला है। जिसने पैनल को मामले को उठाने के लिए प्रेरित किया।
आम आदमी पार्टी के मुस्तफाबाद के विधायक और पैनल के एक सदस्य हाजी यूनुस ने 16 सितंबर को पैनल की बैठक के दौरान जिला और राजस्व विभाग के शीर्ष अधिकारी से कहा ” सीएम और डिप्टी सीएम के दिशा निर्देशों के बावजूद कोई काम हुआ ही नहीं।”
वहीं पैनल के एक अधिकारी का कहना है कि मुआवजे के लिए तैयार किया गया मसौदा अजीब है। उन्होंने कहा कि अगर कोई व्यक्ति 3 लाख रुपये की पूरी लूट का दावा करता है तो उसे मुआवजे के रूप में 1 लाख रुपये मिलेंगे। लेकिन वहीं अगर कोई व्यक्ति कहता है कि उसकी में दुकान आंशिक रूप से 6 लाख रुपये की लूटी की गई है तो उसे केवल 50,000 रुपये मिलेंगे।
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