न्यूज डेस्क
दिल्ली उच्च न्यायालय ने 2018 बैच के आईएएस और आईपीएस अफसरों को तगड़ा झटका दिया है। कोर्ट ने नई नीति के तहत 2018 बैच के अफसरों के केन्द्र सरकार के कैडर आवंटन को निरस्त कर दिया। साथ ही कोर्ट ने नये सिरे से कैडर आवंटन करने का आदेश दिया है। कोर्ट के इस फैसले से कई ट्रेनी आईएएस-आईपीएस की मुश्किलें बढ़ सकती है। साथ ही करीब 30 अफसरों का कैडर भी बदल सकत है।
अदालत की शरण में आने वाले अधिकारियों की इस दलील पर न्यायमूर्ति विपिन सांघी और न्यायमूर्ति रेखा पल्ली की पीठ ने प्रक्रिया को चुनौती देते हुए सहमति जताई कि कैडर आंवटन ऐसा विषय है जो भविष्य में उनके करियर को प्रभावित करेगा।
खंडपीठ ने कहा कि प्राधिकारों द्वारा कैडरों के पुन आवंटन करने में ज्यादा समय नहीं लगेगा क्योंकि यह इलेक्ट्रानिक तरीके से होता है और प्राधिकारों के पास इस संबंध में जरूरी डेटा पहले से मौजूद है। पीठ ने कहा कि याचिकाओं का अनुरोध स्वीकार करने 2018 के पत्रों द्वारा आईएएस अधिकारियों के कैडर आवंटन को निरस्त करने के पक्ष में हैं।
पेश मामले में चार अलग-अलग याचिकाएं दायर की गई थी। इसमें सिविल सेवा परीक्षा 2017 के परिणामों के आधार पर आईएसएस और आईपीएस उम्मीदवारों को कैडर आवंटित करने की केंद्र की अधिसूचना को चुनौती दी गई थी। याचिकाकर्ता का तर्क था कि अधिकारियों की ओर से अपनाई गई कैडर आवंटन नीति 2017 की प्रक्रिया अनुचित, अन्यायपूर्ण और मनमानी थी।
सीएसई 2017 में उच्च स्थान प्राप्त करने वाले मेधावी उम्मीदवारों को आवंटन से वंचित किया गया है और मनमाने ढंग से कैडर आवंटन कर दिया गया।