जुबिली न्यूज डेस्क
फरवरी माह में दिल्ली में हुए दंगे में पुलिस की भूमिका पर कई बार सवाल उठ चुका है। इस मामले की जांच में एक बार फिर पुलिस की भूमिका पर सवाल उठाया गया है।
दिल्ली दंगों की जांच मामले में दो छात्रों के बयानों की बात हो रही है जिसके आधार पर फाइल की गई सप्लिमेंट्री चार्जशीट में प्रोफेसर जयति घोष और अपूर्वानंद का नाम आया है।
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लेकिन अंग्रेजी अखबार टेलीग्राफ की खबर के अनुसार गिरफ्तार किए गए छात्रों के बयान में ये डिस्कलेमर है कि उन्होंने अपने बयान पर हस्ताक्षर करने से मना किया है। साथ ही बयान के बहुत से हिस्से हूबहू हैं, यहां तक की स्पेलिंग की गलतियां भी। बावजूद इसके दिल्ली पुलिस ने ने सप्लीमेंट्री चार्जशीट में योगेंद्र यादव समेत बाकी लोगों का नाम लिख दिया है।
रविवार रात को इस चार्जशीट का कंटेट मीडिया के एक तबके को लीक किया गया लेकिन कई लोगों ने इस कंटेट की गलत व्याख्या की है। टेलीग्राफ ने लिखा है कि जिस तरह से इन लोगों का नाम सप्लिमेंट्र चार्जशीट में डाला गया और दोनों बयान एक तरह से ‘कट-पेस्ट’ नजर आ रहे हैं, ये बात दिल्ली पुलिस पर कई सवाल खड़े करती है।
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वहीं शनिवार को दिल्ली पुलिस ने उन सभी मीडिया रिपोर्ट्स को खारिज कर दिया था जिनमें बताया गया था कि सीपीएम महासचिव सीताराम येचुरी, स्वराज अभियान के नेता योगेंद्र यादव, अर्थशास्त्री जयती घोष, डीयू के प्रोफेसर अपूर्वानंद और डॉक्युमेंट्री फिल्ममेकर राहुल रॉय के नाम दिल्ली दंगों की पूरक चार्जशीट में सह-साजिशकर्ता के तौर पर हैं।