न्यूज डेस्क
दिल्ली कांग्रेस में घमासान मचा हुआ है। हर दिन नेताओं का कोई न कोई मसला सार्वजनिक हो रहा है। लेकिन कांग्रेस में मची इस फूट से बीजेपी चिंतित है। बीजेपी लगातार कांग्रेस की अंदरूनी लड़ाई पर नजर बनाए हुए हैं। चूंकि दिल्ली में जल्द ही विधानसभा चुनाव होना है इसलिए बीजेपी परेशान है।
कांग्रेस की फूट से आम आदमी पार्टी खुश है, लेकिन बीजेपी चिंता में हैं। दरअसल सारा मामला वोट बैंक को लेकर है। दरअसल, आम आदमी पार्टी के उदय के बाद दिल्ली की सियासत में त्रिकोणीय मुकाबला होने लगा है।
वर्ष 2013 से लेकर अब तक हुए सभी चुनावों में आप, भाजपा व कांग्रेस के बीच मुकाबले हुए हैं। इन चुनावों में कांग्रेस की कमजोरी का सीधा लाभ आप को मिला है और यही समीकरण भाजपा रणनीतिकारों के लिए चिंता का सबब है।
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गौरतलब है कि लोकसभा चुनाव में भाजपा लगभग 57 फीसद वोट हासिल करने में सफल रही। कांग्रेस दूसरे नंबर पर रही थी। यदि इसी तरह से विधानसभा चुनाव में भी आप व कांग्रेस के बीच मतों का बंटवारा हुआ तो भाजपा के लिए विधानसभा चुनाव का सफर आसान हो जाएगा। इस सियासी समीकरण को भाजपा के रणनीतिकार भी समझते हैं और वह कांग्रेस की कमजोरी को अपने लिए नुकसानदेह मान रहे हैं।
आप के आने से दिल्ली का बदला सियासी समीकरण
आम आदमी पार्टी के आने के बाद दिल्ली का चुनावी सियासी समीकरण बिल्कुल बदल गया है। पहले दिल्ली में भाजपा और कांग्रेस के बीच सीधा मुकाबला होता था। 15 वर्षों तक दिल्ली की सत्ता में काबिज कांग्रेस आप के आने के बाद हाशिए पर चली गई।
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कांग्रेस के हाथ से विधानसभा गया साथ ही लोकसभा सीटें भी नहीं बचा पायी। वहीं बीजेपी जिसने 2014 लोकसभा चुनाव में सातों सीटों पर कब्जा जमाया था वहीं कुछ माह बाद हुए विधानसभा चुनाव में मात्र सात सीट नसीब हुई।
दिल्ली में होने वाले विधानसभा चुनाव पर है बीजेपी की नजर
2014 विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी ने 70 में से 67 सीटों पर कब्जा जमाया था। बीजेपी को इस चुनाव में मुंह की खानी पड़ी थी लेकिन नगर निगम के चुनाव में बीजेपी ने शानदार जीत हासिल किया। 2019 लोकसभा चुनाव में भी बीजेपी ने दोबारा सातों सीटों पर विजय प्राप्त किया। अब विधानसभा चुनाव जीतना बीजेपी के लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न है।
बीजेपी के दिग्गज नेता लगातार काम कर रहे हैं। विधानसभा चुनाव जीतने के लिए पार्टी संगठन को मजबूत करने में लगी है। लेकिन कांग्रेस की कलह ने बीजेपी नेताओं की धड़कने बढ़ा दी हैं।
बीजेपी की चिंता का कारण वाजिब है। दरअसल आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस के परंपरागत वोटरों को अपने साथ करके पिछले विधानसभा चुनाव में ऐतिहासिक जीत हासिल की थी। हालांकि, उसके बाद हुए नगर निगम चुनाव व लोकसभा चुनाव में उसका ग्राफ नीचे गिरा है, जबकि कांग्रेस का वोट शेयर बढ़ा है। इसका सीधा लाभ भाजपा को मिला है। नगर निगम चुनाव में जहां तीनों दलों में वोट बंटवारे से भाजपा तीनों नगर निगमों में हैट्रिक लगाने में सफल रही थी।