न्यूज़ डेस्क
लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार ने उच्चतम न्यायालय को सूचित किया कि लखनऊ में आयोजित होने वाली रक्षा प्रदर्शनी भारत- 2020 के लिये 64,000 वृक्ष काटने पर वह विचार नहीं कर रही है।
शीर्ष अदालत ने रक्षा प्रदर्शनी के लिये वृक्षों की कटाई के बारे में खबरों के आधार पर याचिका दायर करने वाली कार्यकर्ता शीला बर्से से कहा कि वह इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ जाएं।
शीला बर्से ने अपनी याचिका मे वृक्षों को किसी प्रकार का नुकसान नहीं पहुंचाने, उन्हें नहीं काटने या छोटा नहीं करने का केन्द्र और उप्र सरकार को निर्देश देने का अनुरोध किया था।
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प्रधान न्यायाधीश एस.ए. बोबडे, न्यायमूर्ति बी.आर. गवई और न्यायमूर्ति सूर्यकांत की पीठ ने कहा कि उच्च न्यायालय पहले से ही इस तरह के एक मामले पर विचार कर रहा है और याचिकाकर्ता को वहां जाने की छूट है।
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शीर्ष अदालत ने यूपी सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता रवीन्द्र रायजादा और अधिवक्ता राजीव दुबे का यह बयान दर्ज किया कि अभी तक एक भी वृक्ष नहीं काटा गया है और रक्षा प्रदर्शनी के लिये वृक्ष काटने की कोई योजना भी नहीं है।
शीर्ष अदालत ने शीला बर्से की याचिका पर 18 दिसंबर को यूपी सरकार से जवाब मांगा था। इस याचिका में कहा गया था कि बड़ी संख्या में वृक्षों की कटाई अन्याय है और इस पर हमेशा के लिये पाबंदी लगाई जानी चाहिए।
बता दें कि उन्होंने कहा था कि लखनऊ में आयोजित होने वाली रक्षा प्रदर्शनी के अयोजना के लिए सरकार 15 जनवरी, 2020 सारे क्षेत्र को साफ सुथरा करके आयोजकों को सौंपना चाहती है और इसके लिये 64,000 वृक्षों को हटाने की योजना बना रही है।
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