Wednesday - 30 October 2024 - 2:31 PM

अनुशासन, कुशल प्रबंधन के साथ समाज के लिए रचनात्मक भूमिका सिखाता है दीपोत्सव..

ओम प्रकाश सिंह

अयोध्या। दिव्य दीपोत्सव भारत का अनूठा आयोजन है। 18 हजार युवाओं की स्वयंसेवा से संयोजित यह आयोजन लोक-भागीदारी का महोत्सव है। यह आयोजन राज्य द्वारा प्रायोजित होने के बावजूद आयोजन की पूरी जिम्मेदारी युवाओं की स्वैच्छिक सेवा पर निर्भर है। इसमें शामिल होने वाले विश्वविद्यालय के छात्र समयबद्धता, अनुशासन व टीमवर्क का जो सबक सीखते हैं वह किसी विश्ववविद्यालय के परिसर में उन्हें सुलभ नहीं।

रामनगरी में मंदिर निर्माण की प्रगति से उल्लास का माहौल है। छठवें दीपोत्सव में रिकार्ड बनाने के लिए चौदह लाख पचास हजार दीयों को जलाने की चुनौती मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने घोषित कर रखा है। इसके अलावा अयोध्या के कई मंदिरों, भरतकुंड, जुड़वां शहर फैजाबाद के गुप्तारघाट सहित अन्य स्थानों पर भी छ लाख से ज्यादा दीये जलाए जाएंगे। रामामण, दीपावली से जुड़े तमाम प्रसंगों पर सरकारी आयोजनों की झड़ी लगेगी। लेजर शो के साथ सरयू की रेत में आतिशबाजी, सरयू आरती भी मनमोहक होंगेंइस बार के दीपोत्सव में झारखंड के आदिवासी समाज से 25 छात्र छात्राएं वालंटियर्स के रूप में शामिल

दुनिया में कौतूहल जगा रहे दीपोत्सव का सबसे कठिन कार्य तय समय सीमा में दीयों को जलाना व एक निश्चित समय तक जलना होता है। यह समय सीमा गिनीज़ बुक आफ वर्ल्ड रिकॉर्ड की टीम राम की पैड़ी पर घोषित करती है। रिकॉर्ड बनाने की इस चुनौती को डाक्टर राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय व अन्य संगठनों के वालंटियर्स स्वीकार कर लगातार अपने ही बनाए हुए रिकॉर्ड को ध्वस्त कर अगले वर्ष के नये लक्ष्य की तैयारी में जुट जाते हैं।

दीपोत्सव अच्छी नागरिकता के लिए एक स्वीकृत प्रकार का चरित्र प्रशिक्षण और तैयारी है, जो जिम्मेदारी और भरोसेमंद स्नेह की भावना को प्रेरित करता है। पहल और नेतृत्व के विकास के लिए व्यक्तिगत अवसर हों और आत्म-नियंत्रण, आत्मनिर्भरता और आत्म दिशा को बढ़ावा देति है। दीपोत्सव के रचनाकार, अवध विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति आचार्य मनोज दीक्षित ने जब इसकी शुरुआत किया तो विद्यार्थियों की भागीदारी को लेकर आलोचनाओं की झड़ी लग गई थी। आचार्य मनोज दीक्षित ने कहा था कि ज्ञान सिर्फ बंद कक्षाओं में नहीं मिलता। प्राचीन भारतीय शिक्षण व्यवस्था तो समाज से सीखने की पक्षधर रही है। दीपोत्सव सिर्फ़ बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक भर नहीं है। यह आयोजन लोक भागीदारी का महोत्सव भी है जहां से विश्वविद्यालय, महाविद्यालयों के छात्रों के साथ तमाम संगठनों के लोग अनुशासन, समयबद्धता व टीमवर्क की भावना सीखते हैं।

छठवें दीपोत्सव की सफलता के लिए अवध विश्वविद्यालय के कार्यवाहक कुलपति ने दीपोत्सव समिति के खास लोगों के साथ बैठक कर खाका खींचा। विश्वविद्यालय के वालंटियर्स राम की पैड़ी पर 16 लाख दीए बिछाने के साथ सावधानी पूर्वक जलायेंगे। चिन्हित घाटों पर 20 अक्टूबर से दीए लगाने का कार्य शुरू हो जायेगा जो 21 तक सम्पन्न होगा। घाटों पर दीए की सुरक्षा के लिए जिला प्रशासन के सहयोग, एनसीसी कैडेटों तथा सुरक्षाकर्मी तैनात रहेंगे। दीपोत्सव को यादगार बनाने के लिए 12 अक्टूबर से 15 अक्टूबर के मध्य जागरूकता अभियान चलाया जायेगा।

जिससे आम जनमानस को अयोध्या के एतिहासिक दीपोत्सव से परिचित कराया जा सके। सभी घाटों पर मार्किंग का कार्य 17 से प्रारम्भ होकर 19 तक चलेगा।बैठक में दीपोत्सव नोडल अधिकारी प्रो0 अजय प्रताप सिंह ने बताया कि राम की पैड़ी पर दीए की रखरखाव के लिए स्थान चिन्हित कर लिया गया है। विश्वविद्यालय को दीपोत्सव के 15 दिन पहले तेल व दीए की सप्लाई हो जायेगी जिससे दीपोत्सव में दीए व तेल की कोई कमी रह जाए। 18 हजार वालंटियर्स के लिए जलपान व भोजन की व्यवस्था की गई है।

लक्ष्य का पीछा करने की रणनीति, कुशल प्रबंधन के साथ दीपोत्सव युवा लोगों की शिक्षा में योगदान करता है, ताकि एक बेहतर दुनिया का निर्माण करने में मदद मिल सके जहां लोग व्यक्तियों के रूप में स्वयं-पूर्ण होते हैं और समाज में रचनात्मक भूमिका निभाते हैं।कहा जा सकता है कि दीपोत्सव युवा आंदोलन, संतुलित, जीवंत और सकारात्मक रुझानों के प्रति उत्तरदायी है।

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