प्रो. अशोक कुमार
“डीप फेक” एक शक्तिशाली तकनीक है जिसका उपयोग अच्छे या बुरे के लिए किया जा सकता है। यह महत्वपूर्ण है कि हम इस तकनीक के संभावित खतरों से अवगत हों और इसे जिम्मेदारी से इस्तेमाल करें।
“डीप फेक” तकनीक को कई वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं द्वारा विकसित किया गया था। इसमें प्रमुख योगदानकर्ताओं में शामिल हैं:
एलेन एम. तू: एक कंप्यूटर वैज्ञानिक और कृत्रिम बुद्धिमत्ता विशेषज्ञ, जिन्होंने 2014 में कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय, बर्कले से अपनी डॉक्टरेट की डिग्री पूरी की थी। उनकी थीसिस “डीप फेक: चेहरे को बदलकर वीडियो को संपादित करने के लिए एक नया दृष्टिकोण” थी।
राकेश मोहन ए.पी. और क्रिश्चियन थेओबाल्ट: जिनके 2016 के पेपर “डीप वीडियो पोर्ट्रेट्स” ने मशीन लर्निंग का उपयोग करके वीडियो में चेहरे को बदलने के लिए एक नई तकनीक का प्रस्ताव किया।
मारिओ क्लिगमैन: एक कलाकार जिन्होंने 2017 में पहली व्यापक रूप से मान्यता प्राप्त दीप फाके कलाकृतियां बनाई, जो प्रौद्योगिकी की क्षमता को केवल हेरफेर से परे दिखाती हैं।
अलेक्सांद्र सिरोहिन और शिन-यू चेन: जिन्होंने 2017 में कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय, बर्कले के एक शोध दल का नेतृत्व किया, जिसने “फेस फोरेंसिक्स” नामक एक विधि विकसित की जो उच्च सटीकता के साथ दीप फाके का पता लगा सकती है। इन शोधकर्ताओं और अन्य लोगों के काम ने “डीप फेक’ तकनीक के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। इस तकनीक ने मीडिया और संचार के तरीके को बदल दिया है, और इसका उपयोग विभिन्न उद्देश्यों के लिए किया जा सकता है, जिनमें गलत सूचना फैलाना, अपराध करना और मनोरंजन शामिल हैं।
“डीप फेक “एक प्रकार का मनोवैज्ञानिक हमला है !”डीप फेक” एक प्रकार का धोखाधड़ीपूर्ण मीडिया है जिसमें किसी व्यक्ति के चेहरे या आवाज को किसी अन्य व्यक्ति के चेहरे या आवाज से बदल दिया जाता है। यह कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) और मशीन लर्निंग का उपयोग करके किया जाता है।
डीप फेक वीडियो, छवियों, ऑडियो और यहां तक कि टेक्स्ट में भी बनाया जा सकता है। डीप फेक वीडियो, छवियां, या ऑडियो फ़ाइलें हो सकती हैं।
डीप फेक का उपयोग विभिन्न उद्देश्यों के लिए किया जा सकता है, जिनमें शामिल हैं
गलत सूचना फैलाना: डीप फेक का उपयोग किसी व्यक्ति या संस्थान की छवि को नुकसान पहुंचाने या गलत सूचना फैलाने के लिए किया जा सकता है। उदाहरण के लिए, किसी राजनेता के वीडियो को संपादित करके उसे किसी गैर-कानूनी या आपत्तिजनक कार्य करते हुए दिखाया जा सकता है।
व्यक्तिगत प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाना: डीप फेक का उपयोग किसी व्यक्ति की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने के लिए किया जा सकता है। उदाहरण के लिए, किसी व्यक्ति के वीडियो को संपादित करके उसे किसी ऐसे कार्य करते हुए दिखाया जा सकता है जो वह वास्तव में नहीं किया है।
अपराध करना: डीप फेक का उपयोग अपराध करने के लिए किया जा सकता है। उदाहरण के लिए, किसी व्यक्ति के वीडियो को संपादित करके उसे किसी अपराध करते हुए दिखाया जा सकता है, जिससे उस व्यक्ति को गिरफ्तार किया जा सकता है।
सावधानियाँ
डीप फेक की बढ़ती लोकप्रियता के साथ, यह महत्वपूर्ण है कि हम इस तकनीक के उपयोग के बारे में सावधान रहें। यहां कुछ सावधानियां दी गई हैं जो आपको डीप फेक से बचने में मदद कर सकती हैं:
वीडियो या छवियों की स्रोत जांच करें: किसी भी वीडियो या छवि को साझा करने से पहले, यह सुनिश्चित करने के लिए कि यह असली है, स्रोत की जांच करें।
वीडियो या छवियों में अस्पष्टता के लिए देखें: डीप फेक में अक्सर अस्पष्टता या अन्य खामियां होती हैं जो उन्हें असली से अलग करती हैं।
अपने संदेह को व्यक्त करने में संकोच न करें: यदि आपको लगता है कि कोई वीडियो या छवि एक डीप फेक है, तो अपने संदेह को व्यक्त करें।
चुनौतियाँ
डीप फेक की तकनीक तेजी से विकसित हो रही है, जिससे इन्हें पहचानना और उनका पता लगाना अधिक कठिन हो रहा है। डीप फेक की चुनौतियों में शामिल हैं:
उन्नत तकनीक: डीप फेक बनाने के लिए उपयोग की जाने वाली तकनीक लगातार विकसित हो रही है, जिससे इन्हें अधिक यथार्थवादी और पहचानना मुश्किल बना रही है।
उपलब्धता: डीप फेक बनाने के लिए आवश्यक उपकरण और तकनीक अब आमतौर पर उपलब्ध हैं, जिससे कोई भी डीप फेक बना सकता है।
सामाजिक मीडिया: सामाजिक मीडिया डीप फेक के प्रसार के लिए एक आदर्श मंच है।
डीप फेक की चुनौतियों से निपटने के लिए, सरकार, निजी क्षेत्र और सार्वजनिक के बीच सहयोग की आवश्यकता है। इनमें शामिल हैं:
शिक्षा: लोगों को डीप फेक के बारे में शिक्षित करने के लिए शिक्षा कार्यक्रमों की आवश्यकता है ताकि वे इन्हें पहचान सकें और उनसे बच सकें।
तकनीकी विकास: डीप फेक का पता लगाने के लिए नई तकनीकों के विकास की आवश्यकता है।
कानूनी ढांचा: डीप फेक के उपयोग को नियंत्रित करने के लिए कानूनी ढांचे की आवश्यकता है।
डीप फेक के उपयोग के कानूनी परिणाम अनिश्चित हैं: डीप फेक के उपयोग के कानूनी परिणाम अभी भी अनिश्चित हैं। इससे डीप फेक के उपयोग से जुड़े खतरों को कम करना मुश्किल हो सकता है।
डीप फेक की बढ़ती लोकप्रियता के कारण उत्पन्न होने वाली चुनौतियों का समाधान करने के लिए, सरकार, व्यवसायों और व्यक्तियों को मिलकर काम करना होगा।
(लेखक पूर्व कुलपति कानपुर, गोरखपुर विश्वविद्यालय , वैदिक विश्वविद्यालय निंबहारा, निर्वाण विश्वविद्यालय जयपुर , अध्यक्ष आईएसएलएस, प्रिसिडेंट सोशल रिसर्च फाउंडेशन, कानपुर हैं )