न्यूज डेस्क
देश के ऑटोमोटिव सेक्टर में करोड़ों रूपये के घाटे से सिर्फ कारों की बिक्री ही नहीं घटी है पिछले दो साल में हर हफ्ते औसतम दो डीलरशिप भी बंद हुई है। इस सेक्टर में करीब दो हजार करोड़ का घाटा हुआ है। इससे पिछले दो सालों में 205 डीलरों ने काम बंद कर दिया जिससे लगभग तीन हजार लोगों की नौकरियां जा चुकी है।
एक्सपर्ट्स के मुताबिक ऑटोमोबाइल सेक्टर में घाटा कहीं ज्यादा हुआ है। घाटा होने के बाद से उन्हें डर भी सता रहा है कि डीलरों को बैंकों ने जो कर्ज दिया था, वह बैड लोन में बदल रहा है। भारत में डीलरों का मार्जिन 2.5-5 प्रतिशत है, जबकि वैश्विक स्तर पर यह 8-12 प्रतिशत है। बड़े शहरों में किराया और एंप्लॉयीज की सैलरी बढ़ने से डीलरों की परेशानी बढ़ी है।
इंश्योरेंस और फाइनेंस कंपनियों से उनका मार्जिन घट रहा है और गुड्स ऐंड सर्विसेज टैक्स (जीएसटी) लागू होने के बाद से डीलरों को कैश की कमी का भी सामना करना पड़ रहा है। कार और दोपहिया कंपनियों के बिक्री का लक्ष्य हासिल नहीं करने के बावजूद डीलरशिप नेटवर्क बढ़ने भी इंडस्ट्री पर बुरा असर पड़ा।
इस बारे में फेडरेशन ऑफ ऑटोमोबाइल डीलर्स असोसिएशंस के अध्यक्ष ने बताया कि बिक्री के सुस्त होने के बीच कैश की कमी, मिसमैनेजमेंट और शहरों में डीलरशिप की संख्या बढ़ने से डीलरों के लिए वजूद बचाए रखना मुश्किल हो गया है। उन्होंने बताया कि ‘जिस तेजी से डीलरशिप बंद हो रही हैं, वह सही नहीं है।
एक और जहां वर्किंग कैपिटल जीएसटी से अधिक लगानी पड़ रही है, वहीं दूसरी तरफ गाड़ियों का जायदा स्टॉक रखने पर भी डीलरों का खर्च बढ़ रहा है। इसके अलावा कैश की कमी ने परेशानी को और बढ़ा दिया है।’
डीलरों के पास जीएसटी के लागू होने से पहले सेल्स टैक्स और कारों पर वैट चुकाने के लिए कुछ महीनों की मोहलत होती थी। लेकिन जीएसटी शुरू होने से पहले ही टैक्स चुकाना पड़ रहा है। इसलिए कारोबार करने के लिए उन्हें अधिक पूंजी लगानी पड़ रही है। हाल के वर्षों में मेट्रो और बड़े शहरों या टॉप 20-30 मार्केट्स में हर दूसरे डीलर को घाटा हो रहा है।
वहीं दूरदराज के इलाकों के डीलरों की हालत अभी ठीक है, लेकिन गाड़ियों की बिक्री होने से उन्हें भी लगाई गई पूंजी से रिटर्न हासिल करने में अधिक समय लग रहा है।
निसान मोटर कंपनी ने 2017-18 में 38 और ह्यूंदै मोटर इंडिया के 23 डीलरों ने कामकाज बंद किया। मारुति सुजुकी, टाटा मोटर्स, महिंद्रा ऐंड महिंद्रा और होंडा कार्स इंडिया के भी 9-12 डीलरों ने इस दौरान दुकान बंद की। महाराष्ट्र और बिहार में क्रमश: 56 और 26 डीलरशिप बंद हुईं। केरल और राजस्थान में 19 डीलरों को कामकाज समेटना पड़ा।
वित्त वर्ष 2013 से 2018 के बीच पैसेंजर गाड़ियों की बिक्री में चार प्रतिशत और दोपहिया में पांच प्रतिशत सीएजीआर (चक्रवृद्धि दर) से बढ़ोतरी हुई, जबकि कंपनियों ने दोहरे अंकों में सेल्स ग्रोथ का लक्ष्य रखा था। एक्सपर्ट्स के मुताबिक डीलरों पर सबसे अधिक दबाव इसी वजह से पड़ा है।