न्यूज़ डेस्क
नई दिल्ली। नशा चाहे कैसा भी हो, सेहत को केवल नुकसान ही पहुंचाता है। कुछ लोग स्ट्रेस दूर करने के लिए सिगरेट पीना, शराब पीना अच्छा समझते हैं, मगर इन गलत चीजों की लत आगे चलकर व्यक्ति को अपनी सेहत पर भुगतनी पड़ती है।
आज पूरे विश्व में 31 मई को विश्व तंबाकू निषेध दिवस मनाया जाता है, इस खास मौके पर हम आपको बताते है भारत में तंबाकू का बड़ा कारोबार है और दिनों- दिन ये बढ़ रहा है।
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थॉट आर्बिट्रेज रिसर्च इंस्टीट्यूट की एक स्टडी के मुताबकि तंबाकू उत्पादों का हर साल भारत की इकोनॉमी में करीब 11.79 लाख करोड़ रुपए का योगदान रहता है। यह राशि भारत सरकार द्वारा हाल ही में कोरोना संकट के लिए जारी किए गए पैकेज का 59 फीसदी हिस्सा है।
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पीएम मोदी द्वारा जारी किया गया पैकेज यदि जीडीपी का 10 फीसदी है तो यह राशि भी जीडीपी के 5 फीसदी हिस्से से ज्यादा है। ऐसे में राजस्व के लिए तंबाकू का कोरोबार सरकार जिंदगियों से खेल कर भी जारी रखेगी। यह लाचार सरकार की मजबूरी है यहां संभलना सिर्फ आप को ही है।
इतने करोड़ लोगों को मिलता है रोजगार
भारत में तकरीबन 4.57 करोड़ लोग तंबाकू उद्योग और इससे संबंधित क्षेत्र में रोजगार से अपनी रोजी-रोटी चलाते हैं। रिपोर्ट की माने तो देश में तकरीबन 60 लाख किसान तंबाकू की खेती करते हैं। इस खेती से करीब दो करोड़ खेतिहर मजदूरों की रोजी-रोटी चलती है, इसलिए तंबाकू उत्पादों का उत्पादन पूरी तरह बंद होने से इतनी बड़ी तादाद में भूखमरी की हालत पैदा हो जाएंगे।
एक्सपोर्ट से जुड़े है लाखों लोग
तंबाकू उत्पादों के उत्पादन को बंद करना इसलिए भी संभव नहीं है क्योंकि तकरीबन 40 लाख लोग तंबाकू की पत्तियां तोड़ने के काम से अपनी आजीविका चलाते हैं। इसके अलावा एक्सपोर्ट के कारोबार में 85 लाख कर्मचारी काम करते हैं। वहीं तंबाकू और इसके उत्पादों के खुदरा कारोबार में 72 लाख लोग शामिल हैं।
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इसके अलावा टेरी की स्टडी बताती है भारत दुनिया में तंबाकू प्रोड्क्ट्स का दिग्गज एक्सपोर्टर है। इससे सरकार को सालाना 6 हजार करोड़ रुपये की विदेशी मुद्रा प्राप्त होती है। भारत 4,173 करोड़ रुपए का कच्चा तंबाकू एक्सपोर्ट करता है। सिगार, चेरूट, सिगारिलोस, सिगरेट और कई अन्य प्रोड्क्ट्स के एक्सपोर्ट का बिजनैस 1,830 करोड़ रुपए का बताया जाता है।
कई देशों में फैला है कारोबार
फ्लू क्योर्ड वर्जीनिया (एफसीवी) तंबाकू की विश्व में सबसे ज्यादा मांग है। तंबाकू पत्तियों का विश्व में एक्सपोर्ट का बिज़नेस 12 अरब डॉलर का है, जिसमें भारत की 5 प्रतिशत की हिस्सेदारी है। भारत इस तंबाकू की फसल का 70 फीसदी हिस्सा निर्यात कर देता है। भारत का 100 से ज्यादा देशों में तंबाकू का एक्सपोर्ट का कारोबार है। इस तरह इस सेक्टर का भारत की इकोनॉमी में करीब पौने बारह लाख करोड़ रुपए से ज्यादा की हिस्सेदारी है।
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अर्थव्यवस्था में अहम हिस्सा
इन आंकड़ों से एक बात तो साफ है कि भारत तंबाकू का कारोबार बंद करता है तो देश की अर्थव्यवस्था बुरी तरह से डांवाडोल हो जाएगी। जाहिर है तंबाकू के सेवन से लोगों को ही बचना है। सरकार लोगों की जिंदगियों से खेल कर अपना काम जारी रखेगी, उत्पादों पर मौत के संदेश चस्पे रहेंगे, ऐसे में एकमात्र विकल्प सिर्फ आप खुद हैं।
हर साल 50 लाख लोग गवाते है जान
डब्ल्यूएचओ के अनुसार इस वक्त पूरे विश्व में प्रत्येक साल 50 लाख से अधिक व्यक्ति धूम्रपान करने की वजह से अपनी जान गवा रहे हैं। इनमें से ज्यादातर लोगों को कैंसर की बीमारी होती है। अगर इस समस्या को नियंत्रित करने के लिए सख्त क़दम न उठाये गये तो साल 2030 में धूम्रपान करने से मरने वालों संख्या 80 लाख प्रतिवर्ष हो जाएगी।
इसलिए मनाया जाता है ये दिन?
इस दिन को मनाने का मुख्य उद्देशय लोगों को धूम्रपान से होने वाले नुकसान के बारे में जागरूक करना है। इस दिन पर खास लोगों को तंबाकू से होने वाली बीमारियों को बारे में जागरूक किया जाता है। नशे की लत को छोड़ने के तरीके बताए जाते हैं।
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