जुबिली न्यूज डेस्क
पिछले कुछ दिनों से योगी सरकार की जनसंख्या नीति चर्चा में है। जहां एक तबका इसकी वकालत कर रहा है तो एक तबका नाराज भी है।
विश्व हिंदू परिषद ने भी योगी सरकार की ओर से प्रस्तावित जनसंख्या नीति पर सवाल उठाया था और उसमें कुछ बदलाव का सलाह भी दिया था। अब योगी सरकार के इस मसौदे का इस्लामी शिक्षा के प्रमुख संस्थान दारुल उलूम ने विरोध किया है।
दारुल उलूम ने एक बयान जारी कर कहा है कि यह समाज के हर वर्ग के हितों को प्रभावित करेगा। दारुल उलूम के वाइस चांसलर अबुल कासिम नोमानी ने कहा है कि यह नीति समाज के हर वर्ग के खिलाफ है।
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उन्होंने कहा कि आखिर यह कैसी नीति है जिसमें लोगों की बेसिक जरूरतों के लिए भी सरकार इनकार करती है, जिनके दो से अधिक बच्चे हैं। यह मानवाधिकारों के खिलाफ हैं।
योगी सरकार के विधि आयोग की ओर से तैयार मसौदे के मुताबिक दो से अधिक बच्चों वाले लोगों को स्थानीय निकायों के चुनाव लडऩे की अनुमति नहीं होगी। इसके अलावा सरकारी नौकरियों में प्रमोशन , किसी भी सरकारी योजना या सब्सिडी का भी लाभ नहीं मिल सकेगा।
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इस कानून के खिलाफ सरकार से अपील करने के सवाल पर दारुल उलूम के प्रवक्ता अशरफ उस्मानी ने कहा, ‘आखिर सरकार से अपील करने वाले हम कौन होते हैं? लेकिन यह कह सकते हैं कि यह सही नहीं है। उदाहरण के तौर पर यदि किसी व्यक्ति के तीन बच्चे हैं तो आखिर उन बच्चों की क्या गलती है। आखिर उन्हें कोई बेसिक जरूरतों से वंचित रखा जाएगा। यह सही नहीं है।’
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वहीं दारुल उलूम की राय पर केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान की ओर से भी जवाब दिया गया है। बालियान ने कहा कि दारुल उलूम को इस तरह के बयान देने की जरूरत नहीं है। आखिर इसमें धर्म को क्यों लाया जा रहा है। हम दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी आबादी हैं और इसमें तेजी से इजाफा हो रहा है। यह हमारे लिए सही समय है, जब इस पर कुछ एक्शन लिया जाना चाहिए।