जुबिली न्यूज डेस्क
मां बनना हर किसी के लिए एक खूबसूरत अहसास होता है, फिर चाहे वो हाउसवाइफ हो या वर्किंग वुमन। हालांकि कामकाजी महिलाओं को मैटरनिटी लीव लेते समय कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है। कुछ महिलाएं तो इसके कारण अपना करियर भी दांव कर लगा देती है। क्योंकि बहुत कम महिलाएं मातृत्व अवकाश यानि मैटरनिटी लीव को लेकर अपने अधिकारों से वाकिफ है।
एक सर्वे के अनुसार, भारत में केवल एक फीसदी महिलाएं ही मैटरनिटी लीव का फायदा ले पाती हैं। वो तब जब वे सरकार कर्मचारी हो। वहीं, प्राइवेट सेक्टर की अधिकतर कामकाजी महिलाओं को अपनी नौकरी दांव पर लगानी पड़ जाती है। मैटरनिटी लीव को लेकर हमारे देश में काफी दिनों से बहस चल रही है। कई वर्षो से महिला संगठन मैटरनिटी लीव से जुड़ी अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रही हैं।
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इस बीच मैटरनिटी लीव को लेकर एक नई बसह छिड़ गई है। दरअसल, उत्तर प्रदेश में गाजियाबाद जिले के मोदीनगर में एसडीएम पद पर तैनात IAS अधिकारी सौम्या पांडेय इन दिनों अपनी काकरने और ऑफिस ज्वाइन करने को लेकर काफी चर्चा में हैं।
उनसे जुड़ा एक वीडिया सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है। ये वीडियो उस समय का बताया जा रहा है जब उन्होंने अपनी एक महीने के मैटरनिटी लीव के बाद ऑफिस ज्वाइन किया। इस वीडियो में उनके साथ उनकी दुधमुंही बच्ची भी साथ में दिख रही है जो 22 दिन पहले ही जन्मी है।
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सोशल मीडिया में उनके इस कदम को काफी सराहा जा रहा है। लेकिन कई यूजर्स उनके इस कदम की काफी आलोचना भी कर रहे हैं। कई लोगों ने इसे सोशल मीडिया पर एक स्टंट करार दिया है।
Maternity leave isn’t a vacation that women avail of because they feel like it or are lazy. Women need to recover from childbirth & infants need mothers constantly. Publicity stunts like these not only endanger the infant’s health but do the greatest disservice to new mothers. https://t.co/NKb1oPrYRs
— Rohini Singh (@rohini_sgh) October 13, 2020
पत्रकार रोहिणी सिंह ने ट्विटर पर लिखा है कि मैटरनिटी लीव ऐसी छुट्टियां नहीं हैं, जिसका लाभ महिलाएं उठाती हैं। महिलाओं को प्रसव से और शिशुओं को लगातार माताओं की जरूरत है। इस जैसे प्रचार स्टंट शिशु और नई माताओं दोनों के स्वास्थ को खतरे में डालने का काम करते हैं।
But as per my point of view this is not good for both of theirs health. I don't think any doctor will advise this. In that case what is use of maternity leave?
— Dr.Chayanika Uniyal Panda (@dr_chayanika) October 13, 2020
दिल्ली यूनिवर्सिटी की शिक्षिका डॉ. चयनिका उनियाल ने लिखा है, “मेरे दृष्टिकोण के मुताबिक यह उन दोनों के स्वास्थ्य के लिए अच्छा नहीं है। मुझे नहीं लगता कि कोई भी डॉक्टर ऐसी सलाह देगा। आखिर ऐसी स्थिति में मैटरनिटी लीव का क्या उपयोग है?
पूर्व वैज्ञानिक पी विश्वनाथ ने लिखा है कि सौम्या पांडेय यह गलत है। आप अपने छोटे बच्चे को खतरे में डाल रहीं हैं जो खुद नहीं बोल सकता। यह गैर जिम्मेदाराना हैं।
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बता दें कि प्रयागराज की रहने वालीं सौम्या पांडेय की गाजियाबाद में मोदीनगर एसडीएम के पद पर यह पहली नियुक्ति है। सौम्या पांडेय ने बताया कि इस दौरान उन्हें लगातार अधिकारियों और कर्मचारियों का सहयोग मिलता रहा। उन्होंने कहा कि कर्तव्यों के साथ-साथ एक मां के दायित्वों का निर्वाहन करना भी उनका फर्ज है और वो वही कर रही हैं।
कितनी मैटरनिटी लीव ले सकती है महिला?
मातृत्व लाभ (संशोधन) अधिनियम, 2017 के अनुसार एक प्रेग्नेंट महिला 26 हफ्ते की मैटरनिटी लीव ले सकती है। यह छुट्टियां प्रसव के 8वें हफ्ते से शुरू होती हैं लेकिन इससे जुड़ी कुछ शर्ते भी हैं जैसे…
- सिर्फ पहली 2 प्रेगनेंसी में ही मैटरनिटी लीव दी जाएगी। तीसरी प्रेगनेंसी में सिर्फ 12 हफ्ते की ही मैटरनिटी लीव दी जाएगी।
- मैटरनिटी लीव सिर्फ उन्हीं कंपनी में मान्यनीय है, जहां 10 या इससे ज्यादा कर्मचारियों हो।
3 माह या उससे छोटे शिशु को गोद लेना, सरोगेसी के जरिए मां बनने वाली महिला को भी 12 हफ्ते की वैतनिक अवकाश लेने की अनुमति होती है।
हालांकि यह नियम सरकार की तरफ से बनाए गए है लेकिन हर कंपनी की मानव संसाधन नीति (एचआर पॉलिसी) अलग-अलग हो सकती है। इसके लिए आप कंपनी के HR डिपार्टमेंट से जानकारी ले सकते हैं।
क्या मातृत्व अवकाश में मिलेगी सैलरी?
-मातृत्व लाभ (संशोधन) अधिनियम, 2017 के अनुसार मैटरनिटी लीव पर सैलरी मिलने का प्रवधान है। अगर आप 12 या 26 हफ्ते की लीव है तो आपको सैलरी मिलेगी।
-साल 1961 के मातृत्व लाभ अधिनियम कानूनी नियम के अनुसार, मैटरनिटी लीव की तनख्वाह आपको छुट्टी के पहले 3 महीने किए गए काम के अनुसार दी जाएगी। इसा दावा आप तभी कर सकती हैं, जब पिछले 12 महीने में आपने कंपनी के लिए कम से कम 80 दिन काम किया हो।
-हालांकि प्रेगनेंसी की स्थिति में आप 6 हफ्ते की छुट्टी और वेतन की हकदार होंगी।
मैटरनिटी लीव की अवधि पूरी होने पर क्या होगा?
- मैटरनिटी लीव खत्म होने की स्थिति में महिलाएं मातृत्व लाभ (संशोधन) अधिनियम, 2017 के अनुसार वर्क फ्राम होम भी कर सकती हैं। हालांकि यह कंपनी के काम पर निर्भर करता है कि वो घर से हो सकता है या नहीं। इस मामले में आप अपनी कंपनी के हैड से बात कर सकती हैं।
- संशोधन के अनुसार, अगर कंपनी में 50 या इससे ज्यादा कर्मचारी है तो आसपास क्रच की व्यवस्था करनी होगी, जिसके लिए आप कंपनी से बात कर सकती हैं।
- कानून के अनुसार, आप एक दिन में 4 बार क्रच जा सकती हैं। वहीं, काम पर वापिस लौटने के बाद आपको शिशु को स्तनपान करवाने की सुविधा भी होगी।
हालांकि अगर ऑफिस में मीटिंग चल रही हो तो आपका आना मुश्किल हो सकता है ऐसे में बेहतर होगा कि आप ब्रेस्टमिल्क क्रच में स्टोर करवा दें, ताकि आपकी गैरमौजूदगी में भी शिशु को दूध पिलाया जा सके।
क्या कंपनी मुझे नौकरी से निकाल सकती है?
बिल्कुल नहीं, गर्भवती होने पर कंपनी आपको नौकरी से नहीं निकाल सकती। ऐसा करना कानून के खिलाफ माना जाएगा। गर्भवती महिलाओं के साथ भेदभाव के लिए कई कानून भी बनाए गए है लेकिन ज्यादा माओं को इसकी जानकारी नहीं होती। वहीं, कुछ महिलाएं ऑफिस के प्रेशर और कर्मचारियों की बातें सुन-सुन कर खुद ही इस्तीफा देने पर मजबूर हो जाती हैं। आप चाहें तो इस मामले में कानूनी सलाह भी ले सकती हैं।
मैटरनिटी लीव लेने के लिए क्या करना होगा?
-दूसरा महीना शुरू होते ही अपने बॉस और HR डिपार्टमेंट से बात करें। कंपनी की पॉलिसी जानें और उने लीव लेने का तरीका पूछें क्योंकि ज्यादातर कंपनियों में एडवांस नोटिस मांगती हैं।
गर्भवती महिला के तौर पर मिलेंगे कौन से फायदे?
. कई कंपनियां गर्भवती महिलाओं को स्वास्थ्य बीमा और अन्य चिकित्सा भत्ते मुहैया करवाती हैं।
. जरूरत पड़ने पर आप 1 महीने की सिक लीव (बीमारी की छुट्टी) भी ले सकती हैं। बस, शर्त यह होती है कि आपकी बीमारी गर्भावस्था, प्रसव या जन्म से पहले डिलीवरी से जुड़ी होनी चाहिए।
. इस दौरान आप हर महीने वेतन पाने की हकदार होंगी।
. कानून के अनुसार, प्रसव की निर्धारित तारीख से 10 हफ्ते पहले आपसे कोई मेहनत वाला काम नही करवाया जाएगा। आपको कई घंटे तक खड़ा नहीं रखा जा सकता।
मैं मातृत्व बीमा कैसे ले सकती हूं?
वैसे तो ज्यादा कंपनियां प्रेगनेंसी तो तलर नहीं करती क्योंकि इसमें जोखिम कम होते हैं। हालांकि आपकी कंपनी में ग्रुप इंश्योरेंस पॉलिसी हो सकती है, जो एक निर्धारित समय तक हॉस्पिटल व डिलीवरी का खर्च उठाएगी। इसमें पहले और बाद के 60 दिन का खर्चा कवर हो सकता है। वहीं, कुछ कंपनियां प्रसव के पहले व बाद के खर्चों का भुगतान भी करती हैं।
फैमिली बीमा की पॉलिसी
अगर आपके पास ग्रुप इंश्योरेंस पॉलिसी नहीं है तो आफ फैमिली बीमा भी ले सकती हैं। हालांकि, इनमें शर्त होती है कि प्रेगनेंसी से कम से कम 24 महीने पहले पॉलिसी रखी गई हो और प्रसव का खर्च उठाने से पहले आपने 3 प्रीमियम भरे हो।