जुबिली न्यूज़ डेस्क
नई दिल्ली। कोरोना संकट के बीच भारत के लिए वित्तीय घाटा चिंता बढ़ा रहा है। अप्रैल से सितंबर यानी इस वित्त वर्ष की पहली छमाही में वित्तीय घाटा पूरे साल के लिए तय किए लक्ष्य के पार निकल गया है।
वित्तीय घाटा बढ़कर 9.14 लाख करोड़ हो गया है बल्कि पूरे साल का लक्ष्य 8 लाख करोड़ के करीब था। वहीं रेवेन्यू गैप भी बढ़कर 7.5 लाख करोड़ से ज्यादा हो गया है।
इस दौरान हुए कुल सरकारी खर्च की बात करें तो ये 14.79 लाख करोड़ रही। कैपेक्स के तौर पर 1.66 लाख करोड़ खर्च हुए हैं। टैक्स से होने वाली आय घटकर 7.21 लाख करोड़ ही रही है।
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ताजे आंकड़ों पर नजर डालें तो अप्रैल- सितंबर में Fiscal Deficit पिछले साल के 6.52 लाख करोड़ से बढ़कर 9.14 लाख करोड़ हो गया है। वहीं अप्रैल-सितंबर में राजस्व पिछले इसी अवधि के 4.85 लाख करोड़ से बढ़कर 7.63 लाख करोड़ रहा है। वहीं खर्च पिछले साल की इसी अवधि के 14.89 लाख करोड़ से घटकर 14.79 करोड़ रुपए रही है।
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अप्रैल- सितंबर में Receipts पिछले साल की समान अवधि के 8.37 लाख करोड़ से घटकर 5.65 लाख करोड़ और कैपेक्स (पूंजीगत खर्च) पिछले साल के इसी अवधि के 1.88 लाख करोड़ रुपए से घटकर 1.66 लाख करोड़ रुपए रही है।
अप्रैल-सितंबर में राजस्व खर्च पिछले साल के इसी अवधि के 13.01 लाख करोड़ से बढ़कर 13.14 लाख करोड़ रहा है। अप्रैल-सितंबर में गैर- कर आय यानी Non-Tax Revenue पिछले साल की इस अवधि के 2.09 लाख करोड़ से घटकर 92,300 करोड़ और टैक्स रेवेन्यू 9.19 लाख करोड़ से घटकर 7.21 लाख करोड़ रही है।
सिर्फ सितंबर की बात करें तो सितंबर में राजकोषीय घाटा 97,700 करोड़ से घटकर 43,600 करोड़, Tax Revenue 2.59 लाख करोड़ से घटकर 2.17 लाख करोड़ रुपए रही है।
इस तरह सितंबर में राजस्व घाटा यानी Revenue Deficit पिछले साल के सितंबर के 48,700 करोड़ से घटकर 20,200 करोड़ रही है। सितंबर में खर्च 3.13 लाख करोड़ से घटकर 2.32 लाख करोड़ और Receipts 2.16 लाख करोड़ से घटकर 1.88 करोड़ रुपए रही है।
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