जुबिली न्यूज़ डेस्क
नई दिल्ली. राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने देश में बेहिसाब बढ़े अपराधों पर नियंत्रण के लिए पीएम मोदी को पत्र लिखकर पूरे देश में थानागाजी माडल अपनाने की सलाह दी है. गहलोत का मानना है कि इस माडल को अपनाने से महिला सशक्तिकरण को बल मिलेगा और रेप जैसे अपराधों में कमी आयेगी.
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने रेप पीड़िता को न्याय दिलाने के लिए जांच की गति को तेज़ करने का निर्देश दिया है. इस प्रक्रिया को थानागाजी माडल नाम दिया गया है.
जयपुर में महिला, बाल सुरक्षा और सशक्तिकरण को लेकर हुए वेबिनार में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि रेप मामलों की जांच थानागाजी माडल से हो. इस माडल से हुई जांच के अच्छे नतीजे सामने आये हैं. अब तक इस माडल से हुई जांच में चार रेप आरोपितों को सजा हो चुकी है.
अशोक गहलोत ने कहा कि थानागाजी माडल पूरे देश में लागू किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि इस सम्बन्ध में वह प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी को पत्र भी लिखेंगे. इस पत्र में यह भी लिखेंगे कि देश के सभी थानों में एफआईआर दर्ज करना अनिवार्य किया जाए.
मुख्यमंत्री ने बताया कि गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिखकर यह अनुरोध किया जा चुका है कि हर राज्य में एफआईआर दर्ज करना अनिवार्य किया जाए. अपराध के आंकड़े घटाने के चक्कर में थानों पर एफआईआर दर्ज नहीं की जाती और पीड़ित को न्याय नहीं मिल पाता.
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राजस्थान पुलिस से फरियादियों के साथ अच्छा व्यवहार करने की अपेक्षा की है. इस संदर्भ में डीजीपी से कहा है कि वह कांस्टेबिल से लेकर थाना स्तर के अधिकारियों को व्यवहार सुधारने की ताकीद करें. पुलिस के खराब व्यवहार की वजह से लोग थानों पर जाने से डरते हैं.
उन्होंने कहा कि हर फरियादी की एफआईआर दर्ज करने से अगर अपराध के आंकड़े बढ़ते हैं तो बढ़ जाएँ लेकिन इससे पीड़ितों को न्याय मिलेगा. मुख्यमंत्री ने कहा कि मुकदमे बढ़ने का मतलब अपराध बढ़ना नहीं होता है यह बात पुलिसकर्मियों को समझना चाहिए.
2019 में राजस्थान के विभिन्न थानों में दर्ज कराये गए रेप के 44 फीसदी मामले फर्जी पाए गए. इस बात की जानकारी इसी वजह से हो पाई क्योंकि एफआईआर दर्ज करने के बाद उसकी जांच की गई. रेप की गलत शिकायतें भी आती हैं लेकिन महिला सुरक्षा सबसे जरूरी मुद्दा है. इसलिए हर शिकायत की जांच ज़रूरी है.
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मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राजस्थान की तर्ज़ पर पूरे देश में क़ानून व्यवस्था के संचालन की जो बात कही है उसमें यह तथ्य भी दर्ज किया है कि राजस्थान में केस पेंडेंसी 9 फीसदी पर पहुँच गई है जबकि राष्ट्रीय स्तर पर यह 34 फीसदी है. अगर हर मामले की रिपोर्ट दर्ज हो और उसकी जांच हो तो आपराधिक आंकड़े बढ़ेंगे लेकिन न्याय पाने वालों की तादाद भी बढ़ जायेगी.