जुबिली न्यूज डेस्क
मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव के नतीजे बीते रविवार को आ गए हैं. इन नतीज़ों के आने के बाद एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) ने अपनी रिपोर्ट जारी की है जिसमें बताया गया है कि राज्य में 230 में से 90 नवनिर्वाचित विधायक यानी लगभग 39 फ़ीसदी विधायक ऐसे हैंजिनपर आपराधिक मामले चल रहे हैं.
34 ऐसे हैं जिन पर गंभीर मामले चल रहे हैं और अगर वो दोषी साबित हुए तो पांच साल की सज़ा होगी. रिपोर्ट के मुताबिक़कुल 90 विधायकों ने अपने नामांकन में खुद पर चल रहे आपराधिक मामलों की जानकारी दी है. साल 2018 में ये संख्या 94 थी.
पांच साल बाद यानी अब संख्या घटकर 90 हो गयी है. आपराधिक मामले वाले इन 90 विधायकों में से 51 बीजेपी के और 38 कांग्रेस पार्टी के हैं, एक भारतीय आदिवासी पार्टी के हैं.
क्या कहती है रिपोर्ट
रिपोर्ट में एक और दिलचस्प डेटा है कि राज्य में 205 चुने गए विधायक यानी लगभग 89 फ़ीसदी करोड़पति हैं. इन करोड़पति विधायकों में से 144 बीजेपी के और 61 कांग्रेस पार्टी के हैं. राज्य में करोड़पति विधायकों की संख्या पिछले विधानसभा चुनाव की तुलना में बढ़ी है 2018 के विधानसभा चुनाव के दौरान 187 विधायक करोड़पति थे.
दर्ज हैं मामले
रिपोर्ट के अनुसार, एक विधायक पर हत्या से संबंधित, पांच के खिलाफ हत्या के प्रयास, तीन के खिलाफ महिलाओं पर अत्याचार से संबंधित मामले दर्ज हैं. दल वार बात करें तो भाजपा के 51 विधायक, कांग्रेस के 38 और भारत आदिवासी पार्टी के एक विधायक पर आपराधिक मामले दर्ज हैं. इनमें भाजपा के 16, कांग्रेस के 17 और भारत आदिवासी पार्टी के एक विधायक पर गंभीर मामले दर्ज हैं.
सबसे अधिक संपत्ति किसके पास
भाजपा के करोड़पति विधायकों की औसत संपत्ति 12.35 करोड़ और कांग्रेस के विधायकों की औसत संपत्ति 10.54 करोड़ और भारत आदिवासी पार्टी के विधायक की औसत संपत्ति 18.32 लाख रुपये है. प्रदेश में सबसे अधिक संपत्ति रतलाम सिटी से भाजपा विधायक चेतन कश्यप के पास 296 करोड़ रुपये से अधिक है, जबकि दूसरे नंबर पर विजयराघवगढ़ से भाजपा विधायक संजय पाठक के पास 242 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति है, जबकि तीसरे नंबर पर छिंदवाड़ा विधायक एवं प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ हैं, उनके पास 134 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति है.
शैक्षणिक योग्यता
शैक्षणिक योग्यता की बात करें तो रिपोर्ट के अनुसार, 64 विधायक (28 फीसदी) पांचवीं से 12वीं तक पढ़े-लिखे हैं, जबकि 161 (70 फीसदी) विधायकों की शैक्षिक योग्यता स्नातक या इससे ज्यादा है. वहीं, तीन विधायक डिप्लोमा धारक और दो विधायक केवल साक्षर (हस्ताक्षर करने योग्य) हैं.